Tuesday 3 February, 2009


जब याद तुम्हारी आती हैं
नयना खुद शलके जाते हैं
शलक शलक कर
शलक शलक कर नीर बहाते हैं
पलकें इन्हें संजो लेती हैं
पलकें इन्हें संजो लेती हैं
फिर नाम तुम्हारा
फिर नाम तुम्हारा ले लेती हैं
खुलती गिरती पलकें इन्हें
खुलती गिरती पलकें इन्हें अपने मैं समाती हैं
कई प्रयास यह करती हैं के यह नयना
यह नयना नीर बहाये ना
जब याद तुम्हारी आती हैं
मोहन मेरे जब याद तुम्हारी आती हैं

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