Wednesday 30 December, 2009

अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला



अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला
आँखें बंद करू तो तेरे ख्यालो में खो जाना
आँखें खोलू तो सब कुछ ओझल हो जाना
तेरी तस्वीर को बस निहारना
करू तो क्या करू ओह श्याम
जब तुझ बिन और कुछ भी सूझे ना घनशयाम
तेरे नाम का लबो पे रहना
मन का मनमोहनमय हो जाना
वो इक पल ही बस
इक पल में ही सारी खुशियों का पाना
मैं क्या कहू मोहन?
अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला

Tuesday 29 December, 2009

ऐ श्याम इक बात तो बता



ऐ श्याम इक बात तो बता
जब भी तेरी याद आती हैं
यह आंसुओं का सैलाब क्यों उमड़ आता हैं
क्यों यह आँखों के किनारों को कर पार
मेरी पलकें भिगो जाता हैं
कभी तो यह आंसू बहुत ही रुलाते हैं
और कभी कभी तेरी यादें में
यही आंसू मुझे बहुत हसाते हैं
मेरे चेहरे पे एक मुस्कराहट सजा जाते हैं
पर कई बार में सोचती हूँ
के यह आंसू तेरी याद में क्यों आते हैं
क्यों मैं बेबस सी हो जाती हू
तेरी यादों में खो जाती हू
क्या कही मुझसे कोई भूल हुई हैं
जो तुम भी दरस नही दिखाते
और तेरी यादों के साथ
यह आँसू चले आते
पता नही क्या पाप मैंने किये होंगे
जो तू भी इतना हुआ मजबूर बैठा हैं
ना तो तू दरस देने आता हैं
ना ही मुझे बुलाता हैं
सामने रहकर मुझे यूँ तड़पाता हैं

Monday 28 December, 2009

क्या हैं यह? कैसा हैं यह नाता?



क्या हैं यह? कैसा हैं यह नाता?
क्यों श्याम तू बार बार हैं मुझे याद आता
सुबह उठते ही पहला ख्याल तेरा सताता
रात को सोने से पहले
तेरी यादों का मुझ को तडपाना
आँखें बंद करते ही
कही अनजाने सपनो में तेरा याद आना
सपनो में भी मेरे ख्यालो में तेरा छाना
उठते बैठते हर साँस के साथ
तेरे नाम की धुन गाना
क्या हैं यह?कैसा हैं यह नाता ?
क्यों श्याम तू मुझे हर बार
बार बार याद आता

Saturday 26 December, 2009

साँझ सवेरे मैं श्याम ही श्याम पुकारू



साँझ सवेरे मैं श्याम ही श्याम पुकारू
आँखों से मैं नित्य तेरी याद में
अश्रु बिन्दु छलकाउ
हर दम गाती रहू में तेरा ही नाम
तेरे सिवा कुछ और आये ना मोहे ध्यान
कर दो कृपा ऐसी मेरे श्याम
तुम्हारे चरण कमलो की धूल
उड़ मुझ से लिपट जाए
मुझे तेरे चरण कमलो का प्यारा एहसास करवाए
तुझ बिन ना आये मोहे एक भी साँस
मुझे श्याम करवा दे अपने दीदार

Friday 25 December, 2009

हमे अपना पागल बनाओ मेरे साँवरे



कृपा की नजर इक कर दो मेरे साँवरे
जादू भरी अपनी नजर तो मिलाओ
हमे श्यामसुंदर अपना दीवाना बनाओ
यूँ मुड मुड के न जाओ मेरे साँवरे
जरा पास आओ
धुन मुरली की सुनाओ मेरे साँवरे
हमे अपना दीवाना बनाओ मेरे साँवरे
लोग कहते हैं जो भी कहने उन्हें दो
हमे अपना पागल बनाओ मेरे साँवरे
हमे अपना पागल बनाओ मेरे साँवरे

Tuesday 22 December, 2009

क्या लिखू मैं पाती में



क्या लिखू मैं पाती में
ओह श्याम करके ध्यान
क्या मुझ में इक अंश भी हैं
तेरे प्रेम सागर की बूँद का
जो मैं कर सकू तेरा बखान
मैं तो ख़त लिखती हूँ तेरे नाम
मेरे श्याम करके बस एक ही ध्यान
इक दिन तो तेरी नजर पड़ेगी
विनती हमारी होगी स्वीकार
आ जाओगे तुम फिर
हमे देने अपने दीदार
मैं नही कहती हु मोहन
के तुम जरूर आना
पर इतना ध्यान रखना
के हम तेरे दरस प्यासे
कबसे कर रहे तेरा इंतज़ार हैं
जन्मो जन्मो से लगी
हैं मोहन तेरे दरस की आस हैं

मुझे मुझ से बेहतर



मुझे मुझ से बेहतर तू जानता हैं श्याम
मुझे तेरे सिवा न किसी से कोई काम
इक बार जो तू आ जाये
हाय श्याम तू अपने दरस दिखा जाए
तो सब बातें बन जायेंगी
वरना तो यह दिल यु ही
तेरी यादो में ही भरता जाएगा
तेरे आने से ही बनेगी बात कुछ श्याम
तो आ जईयो न श्याम
मोहे दरस अपने दिखा जईयो न श्याम
मगर हा आकर जाने की
तुम करना न मुझसे बात
कुछ ऐसा चक्कर चलाओ श्याम
इक पल भी रहू न तोसे दूर
तू रहे हरदम इन आँखों में समाया
रोम रोम गाता रहे बीएस तेरा ही नाम
चलाओ कुछ ऐसा चक्कर श्याम

Saturday 19 December, 2009

मोहन मेरे मन



मोहन मेरे मन के भाव मैं तुझसे क्या कहू
क्या तू नही जानता इन्हें
पहले खुद ही आते हो
हमे अपना दीवाना बनाते हो
फिर देखो न तुम
कैसे एक झलक के लिए भी इतना तडपाते हो
कईयों को तूने अपना दीवाना बनाया हुआ हैं
अपनी झलक दिखाने के लिए तरसाया हुआ हैं
अब तो आ जाओ न इक पल की देर लगाओ

Tuesday 15 December, 2009

कहा मैं ढूँढू



कहा मैं ढूँढू तुझको
ओह घट घट के वासी श्याम
जिस और मैं निहारु तुझको
नजारा तेरा ही पाउ मै श्याम
आसमाँ का रंग भी नीला
मेरा श्याम भी छैल छबीला
हाय!मोहन तू भी तो हैं नीला
आसमाँ का रंग भी हैं नीला
नीली आभा तेरी लागे प्यारी
तूने मुरली से सजाई ऋतुएं सारी
आसमाँ मै बिजुरी का यू चमकना
ऐसा लागे मानो कान्हा तेरा हँसना
तू देगा कब अपने दर्शन
राह ताकू मैं ओह मेरे नटवर
रहता हैं तू छिपा मेरे सामने
अब तो आजा दे दे दर्शन ओह साँवरे

Sunday 13 December, 2009

कान्हा को ख़त.....ओह मनमोहन



मेरा मन मनमोहन हो ना शायद मीरा सा
ना हो मुझ में मीरा सी भक्ति
ना हो शायद तप मीरा सा
होगी ना शायद प्रीत भी मीरा सी
पर मेरा मन ओह मनमोहन
करता हैं चाह तेरे दरस की
मेरा मन मनमोहन हो ना शायद गोपियों सा
ना हो मुझ में गोपी सी प्रतीक्षा भी
ना हो शायद प्रेम भी गोपियों का
पर मेरा मन ओह मनमोहन
करें चाह तेरे आने की
आने की तेरे प्रकट हो दरस दिखाने की
मेरा मन मनमोहन हो ना शायद तेरे भक्तो सा
ना हो शायद मुझमें भक्ति तेरे भक्तो सी
ना हैं मुझ में ज्ञान भी कोई
पर मेरा मन ओह मनमोहन
करें तुझसे ही हर इक बात
तेरी मर्जी हैं आना ना आना
दरस दिखाना ना दिखाना
मोहे अपना बनाना ना बनाना
मेरा मन ओह मनमोहन
क्यों तुझमें खो जाया करता हैं
कुछ तो बताओ इक बार तो चले आओ
मेरा मन ओह मनमोहन.....

Friday 11 December, 2009

कहू मैं तुझे क्या,तू कब हैं मुझसे जुदा



कहू मैं तुझे क्या,तू कब हैं मुझसे जुदा
मेरी हर बात को तू जानता हैं
क्या हैं दिल में मेरे यह तू पहचानता हैं
मैं खुद भी खुद को उतना जानती नही
जितना जानता हैं तू मोहे श्याम
कहू मैं तुझे क्या,तू कब हैं मुझसे जुदा
मेरे मन में तुम्ही हो समाए हुए
रोम रोम बस जपता रहे तेरा नाम
ऐसी कर दे कृपा तू मेरे श्याम
मुझे दे दे तू अपने दर्शन श्याम
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मुरलीवाले आजा तेरी मेनू याद औंदी हैं
याद औंदी हैं मेनू बड़ा स्तौन्दी हैं
मुरलीवाले आजा तेरी मेनू याद औंदी ऐ

Monday 7 December, 2009

तेरी बाँकी सी छवि



तेरी बाँकी सी छवि मेरे मन में समाए जाती हैं
नंदनंदन तेरा इक नूर सा रहता हैं ख्यालो में मेरे
जब भी मैं तोरी छवि निहारु ,बस उसी नूर में खो जाती हू
ऐसा लगता हैं के जैसे उसी में सिमट के तू
मोहे दर्शन देने आ जाएगा,मेरे परदे सब गिराएगा
मोहे तो जी भर के अपने सांवले सलोने से
प्यारे से ,नीलमणि कृष्ण दरस करवाएगा

Sunday 6 December, 2009

मेरे श्यामसुंदर मोपे कृपा कीजो



मेरे श्यामसुंदर मोपे कृपा कीजो
कृपा कीजो कृपा कर कृपा अपनी दीजो
मोहे अपनी मोहिनी रूप माधुरी की
श्यामसुंदर इक झलक दिखाए दीजो
श्यामसुंदर कृपा कीजो
हर पल अंग संग मेरे तुम रहा कीजो
मुझ में आ तुम समाए जाओ श्याम
मोहे घट भीतर ही तुम
अपने दरस करवाए जाओ श्याम
मोहे प्रेम सिन्धु में डूबकिया लगवाये जाओ श्याम
मोहे अपना बनाये जाओ श्याम

Saturday 5 December, 2009

तेरे रूप में ऐसा जादू हैं



तेरे रूप में ऐसा जादू हैं

तुझे निहारूं हर वकत

मन मेरा बेकाबू हैं

तेरी आँखों में

खुद को समाए जाती हूँ

अपनी सारी दुनिया तुझी में

बसाये जाती हूँ

तेरे होंठों की मुस्कराहट

को बस! निहारे जाती हूँ

तेरे इस श्रृंगार को बस!

मन में बसाये जाती हूँ

तेरा यह रूप जो अब

मेरी आँखों में समाया हैं

अब पलकें कैसे झुकाऊ

अब तू जो इन नैनन में

मनबसिया आन समाया हैं

Thursday 3 December, 2009

मेरे माधव



मेरे माधव आ जा ना
दो बूँद प्रेम समुन्द्र की पिला जा ना
मुझ दासी को चरणों से अपने लगा जा ना
तेरे बिन हिये लगता नही
तेरे बिन कोई बात मेरी होती नही
मुझे अपनी ही रजा से तू
अपने दरस दिखा जा ना
तरस गयी हैं आँखें दीदार को ओह प्यारे
यमुना तट पे आके बांसुरी की तान सुना जा ना
साँवरे गिरधर मेरे आ जा ना
माना के मैं अधम पापी गुनाहगार हु
तेरे दर्शन के लायक भी ना हु
पर फिर भी मन में लगाये एक आस हु
उस आस पे जमाये पूरा विश्वास हु
हैं भरोसा पूरा मोहे तुझ पे ओह स्याम
के इक रोज़ तू दीदार अपना करवाएगा
रुख से परदे तू सारे हटाएगा
मेरे भाग्य चमकाएगा
श्याम मेरा मोहे अपनी प्रेमा भक्ति दे जाएगा
मोहे अपने संग ही ले जाएगा
मेरा श्याम आएगा मेरा श्याम आएगा

Wednesday 2 December, 2009

मेरे बाँके अनोखी हैं तेरी हर अदा


मेरे बाँके अनोखी हैं तेरी हर अदा
तेरी हर अदा पे हैं मेरा दिल लुटा
पर अफ़सोस हैं तो इस बात का
के दिल लुटा कई बार होश भी उड़ा
पर दिल लुट के होश उड़ के
यह मेरा होश वापिस क्यों मुड़ा
चाहती हूँ बस इतना ओह श्याम
इक पल इक घडी भी ना बीते
तेरी यादों के बिन ओह श्याम
तू दर्शन दे या ना दे
यह तेरी रजा हैं
मुझे अपना या ना अपना
यह तेरी ही मर्जी हैं
बस ऐसा मोहे बना दे
पल भी ना बिसरे तू
ऐसा अपनी यादों का जादू कोई
तू मुझ पे चला दे
हां श्याम मुझपे चला दे

Tuesday 1 December, 2009

हो तो तुम पास ही मेरे



हो तो तुम पास ही मेरे ओह मेरे श्याम
पर नजाने क्यों दर्शन ना देते हो श्याम
तेरी ही मूरत मन में बसी हैं घनशयाम
बसी हैं बन्सीवाले की बाँकी अदा
जिसने सारे जग को दीवाना हैं किया
मोर मुकुट लगाये घूमते हो हिये में हमारे
बंसी बजाके हिये को चुरा के
अब चित चोर तुम जाते हो कहा
आँखों का पर्दा तो हटा दो
मोहे दरस अपने तो करवा दो