Tuesday 30 June, 2009

ऋतू की पहली बरसात का एहसास



कृष्णा प्यारे दिल-ओ-जान हमारे
दिल लूट हो हमारा ले जाते
इसीलिए तो हम चितचोर हैं तुम्हे बुलाते
ऋतु की पहली पहली बरसात में
बूँदों की बोछार में,मौसम के हर मिजाज में
मुझे तेरा ही आता ख्याल हैं
ऐसा लगता हैं जैसे
तू इसमें कही दे रहा एहसास हैं
फूलों की हर पत्ती में,महकती खुशबू में
मुझको तेरा ही एहसास आता हैं
मुझे हर धड़कन के साथ
जाने क्यों तू याद आता हैं
क्या कहू कान्हा तेरा बंसी बजाना
तेरे नन्हे हाथो से माखन चुराना
बरबस यूँ ही माखन से मुख लपटाना
कोमल पाँव में पाजेब बाँध छनकाना
रसीले अधरन से यूँ ही मुस्काना
हाय रे मोहन !
तेरी हर अदा ने मुझे दीवाना तेरा बनाया
तू चाहे माने या ना माने
मैंने तो तुझे ही अपना बनाया

Monday 29 June, 2009

कृष्ण से नाता



कृष्णा से कैसा नाता बना हमारा
जग यह समझ न पाए बेचारा
मैं तुम बिन प्यासी ओह श्याम
प्यास बुझाना तेरा काम
तुझ बिन न कोई जाने मोहे
न समझ में आये किसी को मेरी बात
अटपटी वाणी मेरी अटपटी हैं बात
कृष्णा से ही करना चाहू बात
कृष्णा की बंसी गाये राधा नाम
में पुकारू तुझको मेरे श्याम
करू विनती तुमसे युगल सरकार
तेरे चरणों में रहे सदा मेरा ध्यान
कृष्णा की यादों में रहू खोयी
हर समय गाऊ तेरा नाम
राधा कृष्णा राधा कृष्णा मेरी सरकार

Saturday 27 June, 2009

यादो का सहारा



मेरे मोहन मेरे मुरारी,
कृपापुंज,कृपामय कृष्णा मुरारी
तेरी यादों का हैं सहारा
तुम बिन नही मेरा कोई गुजारा
तेरे बिन गुजरता नही कोई लम्हा
न कटता हैं पल तुम्हे सोचे हुए
हर पल तेरा ही ध्यान जमाये रहू
अपने नैनो से तेरी छवी को
अपने हृदय में बनाये रहू
हर पल तेरी यादों में खोये रहू
तेरी यादों के गीत मन में संजोये रहू
मेरे मोहन मेरे मुरारी
इन यादों का ही हैं सहारा
इन्हे न तुम हमसे कभी चुराना
न इनको कभी चुराना
और ना ही अपनी प्रेम धारा
तुम कभी हमारी आँखों से हटाना
बस मोहन हमे तुम अपना बनाना

आ जाओ ना



ओह!साँवरे घनशयाम
मुरली अधरन पे धर
तुम यूँ मुस्कुराते हो
और हमारी आँखों से
शम शम नीर बहाते हो
नैनन में डाल काजल
काजल को भी धन्य बनाते हो
मुकुट पे लगा मयूर पंख
मयूर को भी अपना बनाते हो
होंठों से सपर्श करवा के वंशी
इसे अपने करीब ले जाते हो
हमे अपना बनाओ ना
मोहन,मेरे बनवारी,
राधा रमण,बाँके बिहारी
आ जाओ ना!आ जाओ

Friday 26 June, 2009

साँवरिया प्यारा प्रीतम हमारा



साँवरिया प्यारा प्रीतम हमारा
तूने चैन-ओ-करार मेरा छीना
मेरा मुश्किल कर दिया तूने जीना
छिप छिप कर देखे प्यारी निगाहों से
करे कतल हमे अपनी अदाओं से
कभी बंसी बजाये,कभी मोर मुकुट लहराए
कभी करे घायल अपनी मुस्कान से
लट लहराए,तिरछी निगाहों से पिलाये
माथे पे हैं तिलक सुंदर लगाये
मोहन क्या करूं चाँद सितारों आसमान में भी
मुझे तेरा ही अक्स नजर आये
मेरा मन हर पल तुम्हे चाहे
जाने वो पल कब आएगा
जब सुंदर श्याम सलोना मेरा
मेरे सामने साकार आ जाएगा

Thursday 25 June, 2009

आस और प्यास



कान्हा प्यारे दिल-ओ-जान हमारे
ब्रिज के राज दुलारे,राधे के प्राण प्यारे
बस जाओ मम् आत्मा में प्यारे
बस रोम रोम हर समय तेरा ही नाम पुकारे
कहे हर समय नाथ मेरे आ जाओ
मुझे अपने दरस दिखा जाओ
मोहे तेरे दरस की आस
मुझे तेरे दर्शन की प्यास
प्यासों की हर प्यास बुझाने वाले
मेरी प्यास का भी करो कोई इलाज
मगर इतनी विनती भी करना सवीकार
यह प्यास पूरी होकर भी रहे बरकरार
हर पल यह प्यास बढती जाए
तेरे मिलन की आस बढती जाए
तेरे नाम का रस धारा चढ़ती जाए
हर पल तेरी नाम खुमारी चढ़ती जाए
मैं हर पल तुझे मनाती जाऊँ

Wednesday 24 June, 2009

मुरली ने जादू किया



ओह नृत्यराज साँवरिया,मुरली बजैया
तेरी मुरली ने ऐसा जादू किया
बेकाबू हो गया मेरा जिया
तुध बिन प्यासी अखिया छम छम बरसे
रैन दिवस तुम बिन तरसे
सांझ सवेरे तुझको ही ढूँढे
बाट निहारे तुझको ही खोजे
ओह मेरे नृत्यराज साँवरिया
गोविन्द गोपाल मुरली बजैया
आ जाओ श्याम सुंदर मेरे कन्हैया

Monday 22 June, 2009

सुन रे मना



सुन रे ओह मेरे मना
तू जा न कान्हा के पास
जाके उनको यह दे दे संदेशा
के करता हैं सब जग याद तुम्हे
आजा बाँके बिहारी , नन्दलाल मेरे
आजा सांवरिया घनशयाम मेरे
तू जा छिपा कहा मेरे श्याम वे
आन बसों मेरे उर भीतर मेरे नन्दलाल
अब लगता नही दिल तुम बिन
न आता हैं करार,
दिल करे कैसे भी पहुँच जाऊँ
मै अपने श्याम के पास
मोहे बुला ले या खुद आ जा मेरी सरकार
तुम बिन रहा नही जाता
यह लम्बा सफ़र सहा नही जाता
मुझको दीवाना बनाया
तो खुद राह भी दिखा
मोहन मेरे मतवारे दरसन तो करा
मेरे मदन मोहन मधुसुदन आ

Saturday 20 June, 2009

कोई बंसी की प्यारी तान सुना



मेरे साँवरिया, मेरे प्रियतम, मेरे हमदम
तू चितचोर, माखनचोर, नंदकिशोर
मेरे प्यारे रास रसिया
शेल शबीले कृष्णा कन्हैया
मुरली बजैया साँवरे मनहर
कोई बंसी की प्यारी तान सुना ना
मेरी पायलों को रुनुक झुनुक
अपनी तानो पे नचा ना
मोहे यमुना के तीर बुला ना
अपनी वो प्यारी लीला
फिर से दिखा ना
कभी हाथ पकड़ना
कभी मटकी फोड़ देनी
कभी अपनी मुरली की धुन पे मस्त बनाना
कभी हमे बिन सुर ताल नचाना
फिर सबके बीच पागल कहलवाना
कान्हा मेरे प्रियतम आ जा
आकर मोहे अपना बना जा
मेरे साँवरिया आ जा

Thursday 18 June, 2009

ख़त कान्हा के नाम



ख़त मैं अपने कान्हा के नाम लिखू
सुध बुध अपनी बिसराए दूँ
तेरे ख्यालों मैं ही गुम हो जाऊँ
कभी गोकुल कभी बरसाने
तो कभी वृन्दावन झूमती फिरू
मैं अपने नन्दलाल के आगे पीछे डोलती फिरू
मैं तो उसके दर्शन चाहू
उसके विरह मैं पागल हो जाऊँ
मैं खुद को भूल उसी की हो जाऊँ
ऐसी कोई करो कृपा मेरी श्यामा
श्याम के दर्शन पाऊँ
उसकी बंसी की धुन पे नाचू गाऊँ
थिरके मेरे पाँव उसकी ही तान पर
बजे रागिनिया उसकी मुरली की तान पर
मैं उस मैं खो जाऊँ इस कदर
के और न आये मुझको कुछ भी नजर
हर शय मैं उसकी ही
अनुपम झांकी दिखाई पडे
जित निहारु तित श्याम दिखाई पड़े
मैं उसमें ही खो जाऊँ
मैं उसी की हो जाऊँ
मेरे चाहने से न कुछ होगा
अब कुछ तुम भी करो प्रयास
आ जाओ ना मेरे गिरधर गोपाल

Wednesday 17 June, 2009

मेरे श्याम पिया



मेरे श्याम पिया आ जाओ
के लागे न तुम बिन जिया
आ जाओ मेरे श्याम पिया
मेरे श्याम की हर बात निराली
रस रसीली चित चुराने वाली
हर अदा हैं इसकी मस्तानी
अपने मस्तानो को
मदमस्त बनावन वाली
आ जाओ मेरे श्याम पिया
के तुम बिन न लागे जिया
हर और निहारना चाहे सब तुझे
और तू मेरे श्याम
क्यों छिप छिप बेठा हैं
सामने रहकर छिपा बेठा हैं
आँखों के सामने हैं
मगर कई पर्दों मैं जा बैठा हैं
आ जाओ मेरे श्याम पिया
के लागे न तुम बिन जिया
तेरी बातें मोहन याद आती हैं
हमे बड़ा सताती हैं
तुमसे मिलने को हमे तडपाती हैं
आ जाओ मेरे श्याम पिया
के तुम बिन न लागे जिया

Monday 15 June, 2009

दीवानी



तेरी दीवानी यादों ने मोहन
तेरा ही रूप बना लिया
आते ही याद तुम्हारी
तुम्हे मन में बसा लिया
तेरे ही संग में
मैंने अपना संग बना लिया
तुझे दिल में याद करके
अपने दिल को तेरे लिए सजा दिया
प्यारे तेरे रंग में रंग के
खुद को तेरा बना दिया
प्यारे तेरी दीवानी यादों ने
तेरा ही रूप बना लिया

Sunday 14 June, 2009

कौन था वो?कहीं तुम तो नही आए



हर पल चाहू तुझे ओह श्याम
करूं हर पल तेरा ही इंतज़ार
जाने क्यों लगे आज ऐसा बार बार
के तू आया और आके चला गया
और मुझ भोली को अपनी चाल दिखा गया
चालबाज कान्हा छल गया रसिया
दे गया हमे फिर से छलावा
लगा आज कुछ ऐसे के तू आया
काली कमली ओडे हुए
मुह में पान का बीडा दबाते हुए
नजरो से हमारी नजरे मिलाते हुए
साँवरे भेष में शायद कहीं तू आया
मैं चाहती रही के तेरे चरणों से लिपट जाऊँ
मगर तेरी इजाजत न थी शायद
हे कान्हा मोरे चितचोर
मेरे प्रियेतम मेरी सरकार
मोहे अपने मोर मुकुट वाले
घोओंग्राली लत वाले दरस करा
अपनी मुरली की तान सुना
तेरी इछा के अनुरूप
तू चाहे जिस भी रूप में आ
मगर हमे अपने चरण स्पर्श का भाग्य दिला
हमे अपनी मोहिनी मुस्कान से लूट ले जा
हमे अपने संग ले जा
श्याम ऐसे मेरा दिल न जलाया करो
मेरे करीब आकर पल में दूर न जाया करो

Saturday 13 June, 2009

कृपा की नजर



अगर की कृपा की तूने नजर
तो एक दिन ढूँढ ही लूंगी तुम्हे कान्हा
एक दिन आ जाओगे तुम सामने हमारे
फिर करूंगी जी भर के दीदार तुम्हारे
मगर तेरे दर्शन से दिल क्या कभी भर पायेगा
इसलिए फिर रहना हमेशा समक्ष हमारे
ले जाना कहीं भी अपने संग ओह मेरे प्राण प्यारे
मैं तो तुम्हे देखती ही रहती हूँ
तूने देखा या नहीं यह तुझे हो पता
बस आना तुम दरस प्यारे दिखाना तुम

Friday 12 June, 2009

ओह श्याम



क्या कहूँ ओह श्याम
ख्वाबो ख्यालो में छा जाने वाले
मस्त निगाहों से मस्ताना बनाने वाले
तेरी छवी देख कर लुट गयी दुनिया सारी
तेरी इस छवी पे ओह वृन्दावन बिहारी
यह तेरी माही बलिहारी
अब सुन लो टेर हमारी
दर्शन दीजो ओह बाँके बिहारी
सुन लो करूँ पुकार हमारी
सुना दो बांसुरी की तान मतवाली
कर दो कृपा ओह श्याम
मेरे माधव मेरे मुरारी

Thursday 11 June, 2009

जाने क्यों?


मोहन मेरे क्यों इतना सताते हो
क्यों हमे इतना तड़पाते हो
क्यों इन कजरारी आँखों से दीवाना बनाते हो
क्यों इस मधुर मुस्कान से
तुम इतना माधुर्य बरसाते हो
क्यों पागल हमे बनाते हो
क्यों इन अलोकिक अधरों से
तुम अलोकिक बांसुरी की तान सुनाते हो
ग्वाल बालों संग कभी माखन चुराते हो
तो कभी अपनी लीला अद्भुत दिखाते हो
हमसे क्या हुई भूल
जो तू हमे पराया बनाते हो
ना तो सामने आते हो
ना ही हमसे दूर जाते हो
जाने क्यों तुम इतना सताते हो
सामने होकर भी क्यों तुम सामने ना आते हो
मगर मोहन चाहे तुम जब भी सामने आना
बस तुम कभी मुझसे दूर ना जाना

Wednesday 10 June, 2009

दर्शन


निरख निरख छवी तेरी
मैं तो हो गयी बांवरिया
अब तो करादे दर्शन अपने
दीद को तरस रही अखिया प्यासी
प्यासी आँखें प्यासा तन मन
अब तो दरस प्यास बुझा जा
अब तो मोहे अपने दर्शन करा जा
अपने दरस करा
मुझे प्रेम सागर मैं डुबो दे
इस सागर मैं मुझे कहीं छोड़ दे
बना के अपनी माही
मेरे नैनो मैं समा जा
मेरे उर मैं बस
मेरे हृदय सिंघासन पे आ जा
मोहे कृष्णमय बना जा
श्यामसुंदर मेरे आ जा

Tuesday 9 June, 2009

आँखें



दिल करें तुम्हे आँखों मैं बसा लू
तुम्हे आँखों मैं बसा के पलकें झुका लूँ
फिर मन करता हैं के रुक जाऊँ अभी
कहीं आँखों मैं आ गए आंसू
तो कही तुम उस में भीग न जाओ
कहीं यह आंसू हमारे तुम्हे कोई तकलीफ न दे
फिर मन करता हैं के भीग जाने दूँ
तुमने ही तो इन नैनो को रुलाया हैं
यह भी तो हर पल
तुम्हे अपने में समाने को बेठी हैं
कुछ समज नहीं आता
के निहारती रहू तुम्हे हर पल
बस तेरा दर्शन चाहू हर पल

Monday 8 June, 2009

यारी


यु चित चुरा न जाया करो
यूँ हमे अपना बना न जाया करो
यूँ अपनी दीवानी बना इतना न सताया करो
हमे तुमसे प्यार हैं
और तुम अपनी ढीठाई न दिखाया करो
एक दर्शन की बात हैं
अपने दर्शनों को इतना दुर्लभ न बनाया करो
नित् तू अपने मोर मुकुट वाले
पीताम्बर धारी,मुरली कर धारी
गले में गुंजन माल पहने
अलके बिखराए अपने दर्शन कराया कर
यार मेरे साँवरिया इतना न सताया कर
मो संग यारी लगाया करो
चाहे जितना भी तरसाया करो
बस अपने दीदार नित् कराया करो

Thursday 4 June, 2009

दीवाना

क्यों दीवाना हमे बनाया
अगर आना ही ना था
तो क्यों हमे दरस के लिए इतना तरसाया
काहे को अपना दीवाना बनाया
पागल हो फिरती रहती हूँ यहा वहा
कभी हस्ती तो कभी रो देती हूँ
क्यों हमे इतना तडपाया
अब तो आ जा
अब देर ना लगा
अब आ जा

कृष्ण


मेरे माधव मेरे प्यारे
दीनबन्धु,दीनानाथ हमारे
कृपासिन्धु कृपा कर दर्शन दो प्यारे
दीद को तरसे अखिया प्यासी
दे दो दर्शन ओह मेरे बाँके बिहारी
कब से खड़ी राह निहारु
थक गयी आँखे अब तो प्यारे
चोखट पे आ तेरी तुझ को पुकारू
अब तो आ जा बनवारी
कब से तेरे दीद को चाहू

Wednesday 3 June, 2009

कान्हा मेरे मुरारी



कान्हा मेरे मुरारी कृपा करो नाथ बाँके बिहारी
तेरी मस्ती में ही खोयी रहूँ डूबी रहूँ रस में तेरे
तेरे बिन आये न याद कुछ भी
पागल हो फिरू चार चुफेरे
याद करूं तोहे ही हर पल
हर क्षण हो ध्यान तुम्हारा
इक पल न बिसरू तोहे
हर दम बसु दिल में तोहे
नैनो के रास्ते दिल में समाओ
कृपा कर श्याम अपनी सांवली सूरत दिखाओ
एक बार बंसी बजाओ
अपनी बंसी की धुन पे हमको नचाओ
एक बार से मन नही भरता
बार बार आओ
हर बार हमे सताओ और अपनी दीवानी बनाओ
हमे अपना पागल बनाओ
श्याम सरकार मेरी आ जाओ

Monday 1 June, 2009

नजारा


अधभुत तेरा नजारा हैं
अलोकिक छवि बड़ी प्यारी हैं
सिर पे पटका गहरा गुलाबी
कर में प्यारी मुरली साजी
मोर पंख लेता हिलोर हैं
कानो के कुण्डल
केसुओं में उलझ लिपट
चूम रहे तेरे गाल हैं
तेरी आँखों ने पिलाये
मोहे मस्ती के जाम हैं
आये मेरे श्याम सरकार हैं
कभी बनाये रूप राधा महारानी का
कभी छीन ले दिल-ए- करार
धर के वेश बनवारी का
तेरी मूरत सूरत लुभानी लागे
लूट लिया हमे
और कर दिया मालामाल हैं
आँधी,तूफ़ान,बरसात लाये थे संग सरकार
डरने वाले भाग गए
प्यासों की प्यास और बड़ा दी
तूने ओ मेरे श्याम रे
करू वर्णन कैसे उस आनन्द का श्याम रे
तू ही तो हैं परमधाम रे
तेरे रूप को कैसे दिखाऊ शबदों में साँवरिया
आता नहीं मोहे कुछ याद तेरे सिवा ओह मन भावनिया