Friday 31 July, 2009

कृष्ण!


मैं कनु कैसे तुम्हे बताऊ
कैसे इस दिल का हाल सुनाऊ
जब सामने तेरे जाती हूँ
दुनिया से बेखबर हो जाती हूँ
मैं तेरी प्यारी प्यारी मतवाली
कजरारी आँखों में डूब जाती हूँ
रसराज रसशेखर रस हमें भी पिला
कब से खडे कतार में
दो बूँद प्रेम रस पिला
इस दिल का हाल
न छिपा हैं तुमसे मोहन
दीद प्यासों को दीद करा
मेरे मन मंदिर में आ
श्याम मेरे अब न सता

अब तो आ जा



कृष्णा!मेरे बाँके बिहारी!हे गिरधारी!
तू अब तो आ जा
दरस की प्यासी अखियों पुकारें
तू आकर थोडा दरस रस पिला जा
अब तो अपने सारे ताने मारे
अपने सब लगे बेगाने
तू मेरे मन में समा जा
श्याम मेरी सरकार आ जा
नैना कब से राह निहारें
हर क्षण हर लम्हा तोहे पुकारें
मेरे हमदम मेरे सनम अब तो आ जा

Wednesday 29 July, 2009

तेरे दीवाने तुझको ढूँढे



तेरे दीवाने तुझको ढूँढे,
ओह मेरे श्याम!
तेरे बिन कटे न पल भी उनका
करते हर समय तेरा गुणगान
तेरे दीवाने तुझको ढूँढे
ओह मेरे श्याम
तुझको निहारें तुझको ध्यायें
करते हैं हर समय तिहारा ध्यान
तेरे दीवाने तुझको ढूँढे
ओह मेरे श्याम!
उनके मन में रहे तुम्हारा ख्याल
करते वो तुमसे अपनी हर कोई बात
तेरे दीवाने तुझको ढूँढे
ओह मेरे श्याम
रास्ता तके तुम्हारा
करें तुम्हारा इंतज़ार
पलक पांवडे बिछाएं
लगाये बेठे तुमसे मिलन की आस
आ जाओ बिहारी
न तरसाओ दर्शन अपने दिखाओ
तेरे दीवाने तुझको ढूँढे
ओह मेरे श्याम!

Tuesday 28 July, 2009

मैं दीवानी भई तेरी श्याम



मैं दीवानी तेरी ओह श्याम पिया
तुझ संग करना चाहू यारी ओह श्याम पिया
मैं दीवानी भई तेरे नाम की
कृष्णा नाम मोहे सोहावे
कृष्णा नाम से आनंद आवे
कृष्णा नाम प्रेम बढ़ावे
कृष्णा नाम रस पीती जाऊँ
कृष्णा नाम में जीती जाऊँ
मैं दीवानी भई तेरी आँख की
तेरे कजरारे नैना जादू डारे
प्रेम जाल में हमे फसावे
मतवारे तेरे नैना मस्त बनावे
हर किसी को अपना दीवाना बनावे
कजरारे तेरे नैना जादू भरे
मैं दीवानी भई तेरी बात की
तेरी प्यारी बातें चित चुरावे
हर बात पे तुझपे प्यार आवे
तेरी बातों ने छीना करार
रहे हर दम तेरा ख्याल
मैं दीवानी भई तेरी बंसुरिया की
तेरी बांसुरी बजावे सुरीली तान
तेरे रसीले होंठो को छूते ही
मदमस्त हमे बना डाले
तेरा दीवाना हमको बना डाले
मैं दीवानी भई तेरी चाल की
मोरो जैसी चाल तिहारी
छम छम बाजे पायलिया तुम्हारी
मैं बलिहारी तुझपे ओह बिहारी
मैं दीवानी भई तेरी श्याम
मोको तो बस हैं तोसे काम
तेरी रसीले अधरों की मुस्कान
तेरी प्यारी निगाहों भरी नजरे
तेरी घुन्ग्राली लट
तेरा चलना तेरा बात करना
तेरा मुरली बजाना तेरा धेनु चराना
तेरा रूठना मनाना
छिप छिप के माखन चुराना
क्या कहू तुमसे श्याम
मैं दीवानी भई तेरी श्याम

Monday 27 July, 2009

हुए दीवाने तेरे श्याम



लुट गए हम तेरी अदाओं पे
हुए दीवाने तेरे श्याम
तेरे बिन अब भाए न मोहे कोई बात
मोहे तो करनी तो संग यारी
मोहे तो संग ही हैं प्रीत निभानी
प्रीत की रीत सिखा जा रे
मोहे प्रेमी जोगन बना जा रे
लुट गए हम तेरी अदाओं पे
हुए दीवाने तेरे श्याम

Sunday 26 July, 2009

तुम बिन श्याम!



मेरे बाँके बिहारी मेरे सनम
मैं चाहू करना एक ही करम
हर समय तुमको ध्याऊ
तेरे चरणों में सर को झुकाऊ
मैं तो करना चाहू तुमसे हर बात
तुम्ही हो बंधू,सखा,मम् प्राण
तुम बिन अधूरी हैं हर बात
चाहे तुम देते हो हृदय को घात
पर मुझे तुम्ही लगते हो अच्छे मेरे नाथ
तुम बिन सूना हैं जीवन
सूनी हैं मेरी हर बात
तेरे इस दर्द का भी हमे
प्रिये हैं सुन्दर एहसास
इस एहसास को संग लिए
हम जिए जा रहे हैं
तेरा नाम रस ले पिए जा रहे हैं

Saturday 25 July, 2009

बुलाओ वृन्दावन में



काहे श्याम तुम मोसे रूठे?
का हैं अपराध हमारा?
बोलो यूँ चुप न बेठो
कुछ तो करो हमसे बात
नहीं सही जाती अब यह पीरा
हाय रे मोहन हरो मोरी पीरा
दिखाओ दर्शन अपने
बुलाओ वृन्दावन में
बसाओ वृन्दावन में
मेरा रोम रोम वृन्दावन बना दो
मोहे श्याम अपने संग बुला लो
कृपा करो नाथ!
दया का रख दो मेरे सिर पे हाथ
दरस बिन प्यासा रोम रोम हैं
पुकारता तुझे रोम रोम हैं
आजाओ नाथ!मेरी सरकार
कृपा अपनी बरसो
दर्शन प्यासी को दर्शन दिखाओ

Friday 24 July, 2009

अलफाज नही



उसकी शोभा का वर्णन करूँ कैसे
यह दिल जो उसे दे रखा हैं
वंशी वो बजाता हैं
चित हमारा खो जाता हैं
उसके मतवाले नैनो की
शोभा के लिए अलफाज नही
सुरीली बांसुरी के सिवा लगता हैं
जैसे कोई और साज ही नही
उसकी शोभा का वर्णन करूँ कैसे
उसके लिए मेरे पास अलफाज नहीं

आता नही समझ में कुछ भी



आता नहीं समझ में कुछ भी
तुझे कैसे मैं रिझाऊ?
तुझे कैसे मैं मनाऊ?
कैसे करू गुणगान तेरा
कैसे करू दीदार तेरा
मैं तेरी गुलाम रसिया
सुनादे रसीली तान रसिया
रसराज प्यारे,नन्द दुलारे,बृज कुँवर हमारे
आता नहीं समझ में कुछ भी
तुझे कैसे मैं रिझाऊ?
तुझे कैसे मैं मनाऊ?
लाखो तेरे दीवाने
सब दर पे आ तेरे
मोहन तुमको पुकारें
सुन ले करूँ पुकार हमारी
दिखला दे छवि प्यारी
प्यारी प्यारी न्यारी न्यारी
आता नहीं समझ में कुछ भी
वृन्दावन तू मोहे बुला ले
अपने चरणों से लगा ले

Thursday 23 July, 2009

कसूरवार हु कान्हा



माना के कान्हा कसूरवार हूँ मैं
गुनाहगार भी तो हु मेरे कान्हा
पता नही अपराध कितने किये होंगे हमने
फिर इस अपराधी को क्यों तू दरस दिखायेगा
क्यों तू इन सजल नेत्रों की पीडा हरेगा
क्यों इनकी दर्शन प्यास बुझायेगा
लाखो किये होंगे अपराध हमने
लाखो ही गुनाह हमसे हुए होंगे
फिर भी तुमसे विनती हैं ठाकुर
गुनाहों को मेरे भुलाना
करना क्षमा अपराधो को मेरे
मोहे अपने दरस दिखाना
मोहे चरणों से अपने लगाना
मेरे मन मंदिर में सदा सदा के लिए बस जाना

Wednesday 22 July, 2009

तेरा नजारा छा रहा हैं !



देखू जिधर भी मैं मोहन
तेरा नजारा नजर आ रहा हैं
हमे हर शय में तू ही तू नजर आ रहा हैं
मेरी नजरो में ऐ श्याम प्यारे
तू ही तू नजर आ रहा हैं
देखू जिधर भी मैं मोहन
तेरा नजारा नजर आ रहा हैं
हमे तू ही तू नजर आ रहा हैं
फूलों में तेरी खुशबू हैं शाई
कलियों में तेरी शकल नजर आई
गुलशन गुलशन खिला तेरी बंसी की तान से
लूटी हैं दुनिया तूने नजरो के जाम से
देखू जिधर भी मैं मोहन
हमे तू ही तू नजर आ रहा हैं
तेरा नजारा हर तरफ छा रहा हैं
मेरी नजरो में तू समा रहा हैं
देखू जिधर भी मैं मोहन
मुझे तू नजर आ रहा हैं

Tuesday 21 July, 2009

बांकेबिहारी!न सताओ हमे यूँ मुरारी



बाँकेबिहारी!न सताओ हमे यूँ मुरारी
दर्शन की प्यासी यह अखियाँ हमारी
आ जाओ बाहर पर्दों से ओह मुरारी
करवा दो इन नैनो तो दीदार अपना
खो जाए यह तुम में इस कदर
रहे न इनमे कुछ भी और अपना
बाँकेबिहारी!न सताओ हमे यूँ मुरारी
बुला लीजे वृन्दावन माहि
बसा लीजे वृन्दावन माहि
देना चरणन में स्थान अपने
दासी बना मोहे रख लो चरणों में अपने
बाँकेबिहारी!न सताओ हमे यूँ मुरारी

Monday 20 July, 2009

बरसे बदरा सावन के



बरसे बदरा सावन के पर तुम न आये मनमोहन
बूँद बूँद नभ से बिंदु भी छलक आये
हमे तेरी याद सताये,
रह रह कर यह स्मरण तुम्हारा करवाए
बरसे बदरा सावन के पर तुम न आये मनमोहन
उमड़ घुमड़ कर बादल आये
गरज गरज कर छोर मचाये
नाम कान्हा तेरा पुकारें तुम्हे बुलाये
बरसे बदरा सावन के पर तुम न आये मनमोहन
बागों में हरियाली छाई
हर कुसुम हर कली मुस्काई
खुश होकर पुकारें तेरा नाम
बुलाएं तुम्हे यह बारम्बार
बरसे बदरा सावन के पर तुम न आये मनमोहन
कोयल ने कु कु का राग सुनाया
पपीहे ने पिहू पिहू गया
पर मेरा पिव मेरा श्याम सलोना
काहे न अब तक आया
बरसे बदरा सावन के पर तुम न आये मनमोहन
डाल डाल पर झूले पड़े हैं
सब सखियाँ झोंटा लेवे
मुझे दोगे झोंटा कबरे मुरारी
बरसे बदरा सावन के पर तुम न आये मनमोहन
इतना तो बतला दीजे
कब होंगे दरस मुरारी
कब आओगे मेरे बनवारी

Sunday 19 July, 2009

कृष्ण एक दिन तो आओगे



कृष्णा कब तक यूँ मुझसे छिपते रहोगे
कब तक यूँ ही भागोगे
एक दिन तो मोहन सामने आओगे
मीठी बंसी की तान सुनोगे
अपनी प्यारी प्यारी बातें सुनोगे
अपने नुपुर की रुन झुन से मन बहलाओगे
एक दिन तो तुम फिर दधि माखन के लिए
छम छम पायलों की तान पर
नृत्यराज साँवरिया नृत्य कर के दिखाओगे
एक दिन तो श्यामसुंदर तुम सामने हमारे आओगे

Saturday 18 July, 2009

मोहन मतवारे



मोहन मतवारे मोहिनी अदा वाले
कब आओगे,कब अधरों पे धर मुरली
तुम कोई प्यारी सी तान सुनाओगे
कब दीदार का जलवा तुम हमे दिखाओगे
मोहन मतवारे मोहिनी अदा वाले,कब आओगे
कब पायलों की रुनुक झुनुक सुनाओगे
कब तुम छम छम करते दोडते आओगे
कब इस दर्शन अभिलाषी को तुम दर्शन दिखाओगे
मोहन मतवारे मोहिनी अदा वाले,कब आओगे
कब तुम माखन चुराओगे
अपने माखन से कोमल कर
के कंगन की खनकार सुनाओगे
कब तुम दरस प्यासी की प्यास बुझओगे
मोहन मतवारे मोहिनी अदा वाले,कब तुम आओगे

Friday 17 July, 2009

मोहन के नैना



मोहन तेरी मोहिनी अदा की क्या करू बात
तेरे बिन लगता न जिया एक भी पल ओह श्याम
मोहन के नैना कजरारे
कजरारे नैनो में मोहन काजल डाले
मोहन के नैना हैं जादूभरे
नैनो से अपने यह मोपे जादू करें
इसकी तिरछी चितवन बड़ी मतवारी
जिसपे पड़ जाए समझो वही है भाग वाली
तिरछी चितवन चित चुराए
हर किसी को मोहन का दीवाना बनाये
जो भी देख ले इक झलक मोहन की
वो बस मेरे मोहन को देखता रह जाए
मोहन की नजरे कृपा बरसाती
हर किसी पे यह अकारण ही कृपा बरसाती
श्याम मेरे के नैना बड़े प्यारे
हर किसी का मोहे मन और सुध बिसरा दे

Thursday 16 July, 2009

कैसे कहू मैं तुमसे मोहन!



कैसे कहू मै तुमसे मोहन
के कितना तुम याद आते हो
अब यह भी कोई बताने की बात हैं
तुम हर पल हमारी यादों में बसे रहते हो
क्या तुम्हे अब मै यह बताऊ
तुम मेरी दिल की हर धड़कन के साथ याद आते हो
मेरी हर धड़कन मुझे तेरा एहसास करवाती हैं
अब तुम्हे कैसे बताऊ मोहन
कितनी प्यारी लगती हैं तुम्हारी बातें
मन तो करता हैं हर बात में तेरी बात हो
हर साज में तेरी बांसुरी की तान हो
काश!के मोहन तेरी मुरली होती में
तू अपने कर कमलो से उठाता
और होंठो से अपने लगाता
मगर मालूम हैं हमे मोहन
हम इस काबिल नही
मुरली तो दूर की बात
हम तो तेरे कदमो की धूल के काबिल भी नहीं
पता नही मोहन किस हक से तुम्हे बुलाती रहती हू
हर पल तुम्हे पुकारती रहती हूँ
इतना तो मानती हूँ
के रिश्ता तो ज़रूर हैं कोई तेरा मेरा
यूँ ही नही होता होता कोई दीवाना किसी का

Wednesday 15 July, 2009

मोहन!



मोहन!
सुन मोहन मोहिनी मुरली की तान सुना जा
इस मुरली को अधरों से लगा न
मोहन इस मोहिनी मुरली को
तू एक बार फिर अधरामृत पिला न
श्याम इन श्याम बादलो के बीच से
तू कही से आ जा na
इस दमकती दामिनी में
तू अपनी मधुर मुस्कराहट दिखा जा न
इस मंद मंद चलती रसीली पवन में
तू अपनी बंसी के राग सुना जा
अपनी प्यारी सी खुशबू महका जा
मैं भी क्या अजीब हूँ श्याम
इन सबमे तो तू पहले सी हैं समाया
तुने तो बस मुझे ही अपना दरस नही दिखाया
मोहन तू कब समक्ष हमारे साकार रूप लेकर आएगा
कब तू मुरली की मदभरी तान सुनाएगा
कब तू आएगा ?

Tuesday 14 July, 2009

कैसे तुम्हे रिझाऊ श्याम?



कैसे तुमको रिझाऊ,किस भावः से तुमको मनाऊ
आता नही हैं मुझे तो कुछ भी
कैसे कोई सुर ताल बनाऊ
मैं तो तेरे चरणों की दासी श्याम
तू ही बता तेरे चरणों को छोड़ कैसे जाऊ
मैं दीवानी तेरी मुरली की धुन की मुरारी
कैसे तेरी धुन को ना सुनूँ
आता नही हैं मुझको कुछ मोहन
तू ही बता कैसे तुझे रिझाऊ
बोल ना कैसे तुम्हे मनाऊ
कैसे तुम्हे मनाऊ के तू
बजाये मुरली फिर इक बार
मीरा ना तुम्हे मनाया
गा कर तेरे लिए संगीत
दीवानी भई हो गयी जोगन
मैं क्या गाऊ,क्या बन जाऊ
मुझे कुछ समाज नही आता हैं
मैं श्याम तुम्हे कैसे मनाऊ
कैसे तुम्हे रिझाऊ
धन्ने का भोलापन तुझे रास आ गया
ठाकुर बन तू उसके पास आ गया
मुझमें भी बना ले तू खुद ही कोई बात
के आ जाऊ मैं तुझ को रास
दे दे तू दर्शन मोहे,बस जाए हृदय में श्याम

Monday 13 July, 2009

बजा दे मुरली मोहन फ़िर एक बार



क्या कहू आपसे अब मोहन
अब तो यह हमारा रोज़ का अफसाना हो गया
तुम्हे अपने पास बुलाना
जैसे रोज़ का काम हमारा हो गया
रोज़ ही आँसू की नदिया बहती हैं
मेरे गिरते अश्रु जल की बूंदे
रोज़ ही तुमसे दर्शन देने को कहती हैं
हृदय भी हमारा रोज़ ही करता पुकार हैं
बुलाता रोज़ ही तुम्हे बारम्बार हैं
धड़कन भी हमारी कर रही विनय पुकार हैं
आ जाओ श्याम आ जाओ श्याम
कह रही बारम्बार हैं
गाती सिर्फ यह तेरे नाम का ही राग हैं
तेरी मुरली की धुन सुनने को बेकरार हैं
सिर्फ धड़कन ही नही
कर्ण भी तरस रहे सुनने को यह नाद
रोम रोम कर रहा हैं तुमसे पुकार
बजा दो मुरली मोहन फिर एक बार

Sunday 12 July, 2009

द्वारका विच रहें वालया



द्वारिका विच रहन वालिया
गोपिया दे प्रेम समुंदर विच वेहेन वालिया
कातो गोपियाँ नु याद विच आपनी रुलौन्दा ए
कातो प्रेम वाली तान बंसी दी न हुन तू सुनौनदा ए
पागल बन बन इधर उधर फिरदिया ने
हर चीज विच श्याम तेनु ही लाभदिया फेरदियाँ ने
क्यों तू एना जुल्म साडे ते दाउन्दा हैं
क्यों नही तू सामने साडे आउंदा ए

Saturday 11 July, 2009

हद हो चुकी हैं श्याम



हद हो चुकी हैं श्याम अब चले आओ
हे माधव! अब हमे इतना ना तरसाओ
जो भी गिला शिकवा हो तुम्हे
अब उसे दूर करो,करो पूरी अब मेरी आस
मैं आई आनंदकंद तेरे द्वार
बनवारी पकड़ लो मेरा हाथ
दे दो दरस हमे दीनबंदु दीनानाथ
करूं मैं विनती तुमसे
जोड़ कर दोनों हाथ
हद हो चुकी हैं श्याम अब चले आओ
हे मोहन! चरणों से अपने लगाओ
हुई कोई भूल हैं गर मुझसे श्याम
तो क्षमा करदो मेरे नाथ
मगर यूँ तो न हमे सताओ
मोहन करू विनती तुमसे
सदा सदा के लिए मेरी यादों में बस जाओ

Friday 10 July, 2009

कहा जा छिपे हो मोहन



कहा जा छिपे हो मोहन
क्यों कर रहे हो हमसे इतनी रुसवाई
क्या तुम्हे हमारी हालत पे दया नही आई
कब तक करवाओगे तुम इंतज़ार
कब तक इतना तडपाओगे मेरी सरकार
सच कह रही हूँ मोहन आ जाओ इक बार
अब कटता नही हैं तेरे बिन मेरा दिन-रात
मोहन हर श्वास के साथ आते हो तुम याद
तुम चाहे जितनी भी करो रुसवाई
मगर हमे यह यकीन हैं
एक रोज़ तुम आओगे
प्राण प्रीतम दरस अपने तुम दिखोगे
हमे अपने संग ही ले जाओगे
हमे चरणों से अपने लगाओगे
हां मोहन हमे हैं यकीन
के सच में एक रोज़ तुम आओगे
अपना साकार रूप के दर्शन करवाओगे

Thursday 9 July, 2009

करूं विनय आ तेरे द्वार



आता ना कुछ भी मोहे हैं श्याम
बस करूँ विनय आ तेरे द्वार
दे दो दर्शन ओह मेरे कृष्णा मुरार
कर जोड़ करू विनय आ तेरे द्वार
तुझ से ही मैं सब लाड लडाउन
तेरी ही प्रीत के गीत गाऊ
तुझ से ही करू प्यार
और तुझी से करती हूँ तकरार
कोई हो जाए भूल तो मुझे करना माफ़
मैं तो करू विनय आ तेरे द्वार
मोहे दरस अपने दिखाना
मेरे हिये से श्यामसुंदर कभी ना जाना

Wednesday 8 July, 2009

जब तूने बंसी बजाई



सावन ने ली अंगडाई
ओह श्याम!जब तूने बंसी बजायी
आसमान में हैं बदरा छाई
ओह!श्याम जब तूने पलकें उठाई
जब छेडी तूने सप्त्सुरों की तान
चुपके से होले से पवन ने किया तब नाद
देख तेरी मुस्कनिया को
छाई हर देखो बहार
तेरे कारे कारे घून्ग्रालय केसू जब लहराए
आसमान में घनघोर घटाए
घनन घनन करती छाए
जब होंठो की और बडाई तूने मुरली श्याम
मेघ भी करने लगे सुन्दर नाद
जब लगाया मुरली को होंठो से तूने श्याम
जब कराया मुरली को तूने रसिया रसपान
देखो सावन की बूंदे भी
झूम झूम कर गाने लगी सुरीले तान
हाय!अधरामृत पीकर मुरली तो भई निहाल
हमे भी करो रसिया रसराज यह रसपान
दे दो चरणों में जगह मेरे श्याम
बारिश की बूंदे भी करने लगी फुहार
जब तूने बजाई बंसी मेरे श्याम

Tuesday 7 July, 2009

हम तो तेरी यादों में ही जीते हैं



"मैं करती हूँ विनय कर जोड़,
रहे मेरा ध्यान सदा तेरे चरणों की और
पनपे ना मन में कोई और ख्याल
रहे सदा मेरे मन में मेरा श्याम "
हमको तो तेरी ही यादों का सहारा
इनको ना हमसे कभी तुम चुराना
तेरी यादों में ही तो जीते हैं
तेरा नाम ले लेकर नाम रस पीते हैं
हम तो तेरी यादों में ही जीते हैं
तेरी यादों में हमने नींद भी गवाई हैं
रातों को भी हमे इक तेरी ही याद सताती हैं
हाय!मोहन क्या बताऊ तुम्हे कितना मोहे रुलाती हैं
रातों को उठ उठ कर भी
तेरी तस्वीर निहारा करती हूँ
मैं तो बस!हर समय हर पल
मेरे सनम तोहे पुकारा करती हूँ
तेरी यादों में ही जीते हैं
तेरा नाम रस पीते हैं
तेरी ने यादों ने मन मोहन
चैन करार भी छीना हैं
क्या कहे अब तुम्हे मोहन
मुश्किल किया इसने जीना हैं
अब तुम मेरी और निहारो
मुझ दासी को तुम
अपने चरनन से लगा लो
मेरे मोहन तुम अपना मोहे बना लो

Monday 6 July, 2009

सुन री बंसी



सुन री बंसी तू बड़ी हैं महान
तुझे छुए मेरा नन्दलाल
करें तुझे अपने होंठो से प्यार
सुन री बंसी तू बड़ी भाग्यवान
रहती सदा मेरे कृष्णा की पास
नाजुक गुलाबी होंठो पे धर कृष्णा
बना रहे तोहे सप्तसुरो की खान
सुन री बंसी तू बड़ी हैं शैतान
कृष्णा के होंठो से लगते ही
बजाने लगती हैं मीठे राग
इसे सुन गम हो जाते हैं
हमारे होश और हवास
करते हैं हम तेरा गुणगान
मिला दो हमे बिहारी से इक बार

Sunday 5 July, 2009

इक बार चले आओ



इक बार चले आओ
आकर दिल में बस जाओ
मोर मुकुट की शोभा अति प्यारी
सर पे पगड़ी,तेरी पगड़ी बड़ी न्यारी
जिसने तेरी जुल्फों को छुआ
वो पगड़ी हैं बड़ी भाग्यवाली
तेरी पगड़ी पे सजी मोतियन माल
जिसने छूए मेरे घनशयाम तेरे बाल
कर रही मैं तेरा इंतज़ार ओह मेरे घनश्याम
तेरे हाथो में सोहे मुरलिया प्यारी
तेरे होंठो पे सजी हैं तान
जिसे सुन सुर नर गन्धर्वो ने
किया नभ मंडल में नाच
तेरे नैना बड़े विशाल करे मुझे बड़ा परेशान
तेरे नैना बड़े सुहाने,मोहे लगते बडे प्यारे
इन नैनो मैं डूब जाऊँ ना मैं घनश्याम
बजा दो फिर मुरली की तान

Saturday 4 July, 2009

jai shree radhay

क्या अपराध हमारा?



मोहन क्या अपराध हमारा जो इतना तुम सताते हो
अपनी इक झलक के लिए जन्मो से हमे तड़पाते हो
बंसी की मधुर धुन से रागिनियों को बजाते हो
अपनी बंसी की धुन बजा हमे पागल बनाते हो
बंसी को भी तुम अधरामृत पिलाते हो
उसे होंठो से छूकर उसे धन्य बनाते हो
और हमको तुम चरणों से भी क्यों दूर बिठाते हो
हमारा दिल छीन कर क्यों यूँ मुस्कराते हो
हमारे सजल नेत्रों से अश्रु जल गिराते हो
मोहन मेरे मन में समा जाओ
मोहे ना इतना सताओ

Friday 3 July, 2009

मोहन मोहिनी मूरत



साँवरिया प्राण प्यारे आके बस जाओ नैनो में हमारे
कोई मदभरी मुरली की मधुर तान सुनाओ
मेरे मन में मोहन मोहिनी मूरत बस जाओ
हर पल स्मरण तुम्हारा हो
तुम्हारे इलावा ना इक पल भी हमे गवारा हो
तेरी छवि पे लुट जाऊँ हो जाऊँ कुर्बान
मेरे बाँके बिहारी मेरी अलबेली सरकार

बैरन बंसी



कृष्णा तुम मेरे प्राण
क्यों बजाते हो बैरन बांसुरिया की तान
इस बांसुरिया को अधरामृत पिलाते हो
और हम पगली विरहन को
क्यों तुम चरणों से भी ना लगाते हो
क्यों हमे दरस देने में मोहन इतना संकुचाते हो
हम तुम्हे दिन रात याद करते रहते हैं
हर पल हर बात तुम्ही से कहते हैं
तुम्हारे ही बन बैठे हैं
आ जाओ ना मोहन
ना हमे इतना तरसाओ मोहन

Thursday 2 July, 2009

मोहन मिलन की मंशा



बस एक मोहन के मिलन की चाह हैं मन में समाई
इसीलिए करती हूँ राधे रानी मैं विनय पुकार,
मुझे मेरे सनम बाँके बिहारी से मिला दो इक बार
इक बार जो होगा उनका दरस,
तो सच कहते हैं हम
के नैनो में समा लेंगे
नैनो में उन्हें समा
हम अपनी पलकें झुका लेंगे
नैनो के रास्ते उन्हे हम
रोम रोम में बसा लेंगे
मेरा रोम रोम गायेगा उनका नाम
उनकी मुरली की तान पे
पागल हो झूमेगा सारा संसार
आ जाओ मेरे सनम कृष्णा मुरार
बाँके बिहारी मेरे नन्द लाल

Wednesday 1 July, 2009

बादलों की ओंट से



बादलों में छिपा चाँद नजर आया
चाँद के पीछे मेरे श्याम
चांदनी देता मैंने पाया
बादलों में ही साया
मेरे श्याम का उभर आया
बादलों के साए में
उसका मोर पंखा लहराया
भोली गांएओं को श्याम ने
हाय! अपने पास बैठाया
मुरली को अपने कमर से लगाया
बादलों की ओंट से
मुझे मेरे श्याम का आभास हो आया
मंद मंद पवन ने
आकर मेरे श्याम का एहसास करवाया
मैंने पवन को अपना
संदेशा दे सुनाया
और श्याम के पास जाकर
उसे पहुँचाने को हैं बताया
बादलों की ओंट से
मुझे मेरे श्याम का आभास हो आया