Saturday 31 October, 2009

नयना रिम झिम रिम झिम काहे बरसे



नयना रिम झिम रिम झिम बरसे काहे
मोहन तुम बिन हम तरसे काहे
नयना!हाय नयना तरसे काहे
काहे लगी हैं तुमसे मिलन की आस ओह श्याम
काहे लगे गिरधारी होगा दर्शन तेरा
होगी पूरी मेरी हर आस
आएगा इक दिन
पूरा होगा जिस दिन मेरा हर ख्वाब
काहे लगे मोहे आज यह श्याम
याद तेरी काहे सताएं
काहे रुलाये पल पल खिजाये
काहे होकर के संग भी
होता न दर्शन तेरा ओह श्याम
मैं तो करती हूँ विनती एक मेरे श्याम
मेरे मन से न जाना
हर पल मेरे साथ बिताना
किसी पल भी न भूलू
दुःख हो या सुख हो
मेरे मन में समाना
चाहे लोग कहे पागल
तो परवाह न हो
मेरे मन से अपनी यादों को
एक पल के लिए भी न हटाना
मेरे श्याम ...........

Friday 30 October, 2009

हे केशव



हे केशव कुछ तो रहम कर
कुछ तो कर दया
तुम बिन नही लगता मन
भरी हैं दुनिया सारी
पर कोई नही हैं तुम बिन अपना
तुम्ही बस मेरे अपने हो
और तुम्ही दर्शन ना देने की जिद लिए बैठे हो
कब तक हमे यूँ रुलाते रहोगे मोहन
कब तक ना दोगे दर्शन
सब तुम्हे पुकार रहे हैं
पृथ्वी अम्भर,समुन्द्र की जल धारा
सब को हैं इंतज़ार तुम्हारा
कब आओगे श्याम कब आओगे ?

Wednesday 28 October, 2009

क्यों मोहन



क्यों मोहन तुम परदे पे पर्दा किये जा रहे
हुए हैं पता नही कितने मुझसे गुनाह
तुम हर गुनाह प्यार से नजर अंदाज किये जा रहे
न तो सामने आ कर कुछ बतलाते हो
न ही तुम दरस अपने दिखाते हो
क्यों मोहन क्यों?
क्यों हमे इतने श्वास दिए जा रहे
और कैसे हम तुम बिन जिए जा रहे
तेरे आने की आस से ही हम हैं
तेरे दीदार के लिए बस दम हैं
अब तो आ जाओ गिरधारी
अब न सताओ
प्यारे कर कमलो से मुरली उठाओ
उसे अधरों का रस पिलाओ
श्याम मेरे आ जाओ

Tuesday 27 October, 2009

मेरे श्याम मेरे मोहन तेरे रूप अनेक



मेरे श्याम मेरे मोहन तेरे रूप अनेक
क्या कहें सब एक से बढ़कर एक
जिस और निहारु बस
एक तेरा ही जलवा दिखाई पडे
कभी बांसुरी बजाता हुआ
कभी गोपियों को नचाता हुआ
कभी भोली भाली प्यारी प्यारी
अपनी गईया गले से लगाता हुआ
कभी मोरो को पास बिठाये हुए
कभी मृग के साथ करता तू अठखेलिया हैं
धन्य भाग भय पाहन के
जो चरण कमल उन पर पड़ते हैं
कभी बेठ जाता हैं तू
किसी वृक्ष की शाखा तले
कभी बंसी बजाता हैं मनोरम यमुना किनारे
तेरी बंसी तो बस राधा राधा पुकारें
घनश्याम प्यारे मेरा रोम रोम तुझको पुकारें
आजा दे दे दीदार एक बार कर दे हमे निहाल

चाहते हैं सब तेरा दीदार



चाहते हैं सब तेरा दीदार
आओ न मोहन एक बार
एक बार तो गले से लगाओ
ऐ श्याम रे मोहे तुम अपनी
गईया बनाओ
श्यामसुंदर अब आओ
अब न हमे तुम सताओ
प्राण प्रीतम घास का एक तिनका बनाओ
और कृपा कर उसे
काली कमली में छिपाओ
ऐ श्याम सुन्दर कोई यतन कर
मोहे तुम अपने दरस दिखाओ
मोहे अपने प्रेम समुन्द्र
की एक बूँद पिलाओ
श्याम आओ

Sunday 25 October, 2009

ओह!मेरे साँवरे गिरधारी,



ओह!मेरे साँवरे गिरधारी,
मैं तो तेरी मोहिनी सूरत पे वारी,
हूँ फ़िदा तुझपे मेरे बाँके बिहारी
अब तो कर ली हैं मैंने तो संग यारी
अब तो सुना दे वो तान ,
जिसपे नचाया था तुने यह संसार
आज भी रहा तू नचा हैं
अपनी बाँसुरिया की धुनों पर
करवा रहा तू ही सब काम हैं
माखनचोर मेरे चितचोर नटवर नन्द किशोर
आ जाओ अब न सताओ
धुन बंसुरिया की सुनाओ
रुनुक झुनुक पालो का संगीत सुनाओ
मीठी प्यारी तोतली बोली में
हमसे दो चार बातें कर जाओ
मेरे श्यामसुंदर आ जाओ

Saturday 24 October, 2009

मोहन प्यारे क्या कहें तुमको क्या हो तुम हमारे



मोहन प्यारे क्या कहें तुमको क्या हो तुम हमारे
कह देंगे अगर प्राण हो हमारे प्राण प्रियतम
तो प्राणों के बाद क्या तेरा साथ न होगा
तुम्ही बताओ न मोहन
तुम्हारी यादो का क्या हमे ख्याल न होगा
कह देंगे अगर दिल हो हमारे दिलबर
तो क्या धड़कन बंद होने के बाद तेरा एहसास न होगा
तुम्ही बताओ न मोहन
तुम्हारी बांसुरी की तान का हमे एहसास न होगा
अब तुम्ही बताओ न मोहन के
क्या हो तुम हमारे
क्यों याद आते हो इतना
क्यों तड़पाते हो इतना

Friday 23 October, 2009

कबसे इस मन को सजाये बैठे हैं मोहन



कबसे इस मन को सजाये बैठे हैं मोहन
तेरे इंतज़ार में पलकें बिछाये बैठे हैं मोहन
तेरे दीदार की तमन्ना लिए
नाजाने कबसे तेरे आने की आस लगाये हैं मोहन
जाने तुम कब आओगे
कब तुम इस पगली को जी भर दरस दिखोगे
जाने तुम कब आओगे
मोहन अब करो न देर
ऐसा न हो के कहीं ज्यादा ही हो जाए देर
अब तो सुन लो करुण पुकार
मेरी न सही भोली भाली गईया तुम्हे पुकार रही
वृक्ष,लताएं,फल,फूल,जल की धार
सब कर रही हैं तुम्हारा गुणगान
यमुना जी भी कर रही पुकार हैं
आ जाओ ना गिरधारी
तुम बिन सूने वन उपवन
सूना संसार हैं
आ जाओ सांवरिया

Thursday 22 October, 2009

शायद श्यामसुंदर



शायद श्यामसुंदर तुम्हे याद करना
इक आदत सी बन गयी हैं
तुम्हारी यादें ही मेरी इबादत बन गयी हैं
क्या करें तुम बिन चैन आता नही
तुम्हे याद किये बिन हिय मानता नही
मनमोहन तेरी आँखों की दीवानी सी हो गयी हूँ
मैं तेरी बातों में कहीं खो सी गयी हूँ
तेरी मुस्कान जाने क्यों पागल बनाती हैं
मुझे तेरी हर बात तेरा दीवाना बनती हैं
मनमोहन आ जाओ अब देर न लगाओ
आन मिलो मनमोहन आन मिलो

Tuesday 20 October, 2009

मनमोहन मोटे कजरारे नैनों वाले



मनमोहन प्यारे मोटे कजरारे नैनों वाले
हमें अपने कंठ से लगा ले
हमें तू कहीं अपनी बनमाल में छुपा ले
मनमोहन प्यारे,मोटे कजरारे नैनों वाले
हमे तू अपने अधरन से लगा ले
हमे तू अपनी मुरलिया बना ले
मनमोहन प्यारे अपने अधरन का रस तू
इस मुरली पे फिर बरसा दे
मनमोहन प्यारे,मोटे कजरारे नैनों वाले
हमे तू अपनी आँखों में बसा ले
हमे तू काजल बना अपनी आँखों में लगा ले
मनमोहन प्यारे
हमे तू अपनी कलाईयों से लगा ले
हमे कंगन बना अपनी कलाईयों से लगा ले
मनमोहन प्यारे
हमे अपने चरणों से लगा ले
हमे नुपुर बना अपने चरणों से लगा ले
मनमोहन प्यारे
हमे तू अपने कर कमलो से उठा ले
हमे तू माखन बना
अपने कर कमलो से उठा
और अपने मुख से बरबस लपटा
मनमोहन प्यारे मोटे कजरारे नैनों वाले

Monday 19 October, 2009

ऐ श्याम



कौन दिवस?कौन पल हैं होगा?
जिस दिन दर्शन तुमरा होगा
ऐ श्याम प्यारे अखिया प्यासी
राह तक तक हारी
आओगे कब हमरे प्रभु
नागर नंदा बांके बिहारी
ओह मेरे श्याम मुरारी,दीनन हितकारी
अब तो आओ गिरधारी ,
तनिक भी देर न लगाओ
मनवा हैं बैचैन
,का करें अगर आवे न तुम बिन चैन
तुम बिन लगे न चित कहीं और
यह दुनिया के सब बंधन
न लगते हैं अचछे अब और
कुछ तो करो?आ जाओ मोहन

Friday 16 October, 2009

देखो मोहन



देखो मोहन सुन लो मेरी भी बात
अब न चलेगी तेरी कोई चाल
तेरी मीठी बातों में न अब आउंगी
चाहे बना लो जितने भी बहाने
अब उन बहानो से न बात बन पाएगी
चला लो तीर तुम नजरो के चाहे
घायल कर दो चाहे हृदय हमारा
फैला लो चाहे जादू मुस्कान का
या फिर बना दो मदहोश अब तुम
सुना कर वो रसीली मुरली की तान
अब नही गलने वाली यहा तुम्हारी दाल
पायल के घूंगरू छनकओ या फिर
कंगन के खनकार सुनाओ
माखन चुराओ या ग्वाल बाल सब ले आओ
अब न करो कोई बहाना
अब तो जिद्द छोड़ दो मेरे कान्हा
दे दो दर्शन,समा जाओ
इन नयनन में मेरे कान्हा
इस भिखारिन को इक बूँद
अपने अथाह प्रेम समुन्द्र की पिला दो
समझ उस कतरे को अपना
अपने ही प्रेम समुन्द्र में मिला लो

Wednesday 14 October, 2009


जय श्री कृष्ण

हे कान्हा !मुझे कुछ ऐसा बना दे,
इक सच्चे पागल जैसा बना दे,
हर पल ध्यान रहे तेरा ही,
हर पल तुझे रिझाऊं कान्हा जी,
किसी की ना परवाह करूं मैं,
केवल श्री जी श्री जी कहूँ मैं,
जीवन के सभी कर्तव्य निभाऊं मैं,
पर इनमें डूब न जाऊं मैं,
सभी कर्म निभाऊं मैं,
इक पल न तुम्हे भुलाऊं मैं

मेरी ये है प्रार्थना प्रभु आप के चरणों में,
दास की ये है अरदास पभु आप के चरणों में,

जय श्री राधे
--
PAWAN SHARMA
SANWARIYA GROUP

खाली झोली खाली हाथ , कुछ नहीं है मेरे पास ,
आँखो में कुछ आँसू लिए , मैं तेरे बरसाने आया हूँ ,
थोडी सी कृपा बरसा दो,
अर्पण करने को तुझे , मैं कुछ भी तो नहीं लाया हूँ ,
तन में कोई जोर नहीं , पर मन में प्यास जगी है ,
इन सूनी आँखों में दर्शन की प्यास जगी है ,
इक बार तू आ जा युगल छवि की इक झलक दिखा
इस प्यासे मन की प्यास बुझा !!!

जय श्री राधे
--
PAWAN SHARMA
SANWARIYA GROUP

तुझ बिन मोहन



मोहन की मोहिनी अदाओं ने
आज क्या कातिलाना अंदाज अपनाया हैं
इसकी मंद मंद मुस्कनिया ने
देखो आज कितना तडपाया हैं
ऊपर से यह नयना मतवारे इसके
इन्होने भी अपना जादू बिखराया हैं
क्या कहें तोसे मोहन
तेरी यादों ने आज कितना सताया हैं
तेरी रसीली बांसुरी की तान
रंग रसिया जाने क्या क्या करती हैं कमाल
तेरे सिवा अब कोई दूजा दिखता नही
तेरे सिवा कोई और बात करने को मन करता ही नही
जिस बात में तेरी बात न हो
वो कोई बात मायने न रखती हैं
जिस सांस में तेरा नाम न हो
वो सांस कोई मायने न रखती हैं
मेरे मोहन तेरे सिवा कुछ भी नही
तू हैं तो सब कुछ हैं
वरना कुछ भी नही

Monday 12 October, 2009

एक आस



ऐ श्याम प्यारे,मधुसूदन नंदनंदन हमारे
कब आओगे? एक आस तो बंधा दे
नैन रस धारा कब तक बरसेगी
ऐ मोहन तू इतना तो बतला दे
कब होंगे दर्शन तेरे
कब सुनूंगी मै मुरली की वो तान
कुछ तो बतला दे
ऐ श्याम प्यारे एक आस तो बंधा दे
माना के हुई गलती मोसे मोहन
अब क्षमा कर मोहे अपना ले
ऐ श्यामसुंदर प्यारे प्रीतम
फिर वो नैनों का जादू दिखा दे
अपनी पायलों की झंकार सुना दे
ऐ श्यामसुंदर,मधुसूदन नंदनंदन हमारे
दर्शन की इक आस तो बंधा दे

श्यामसुंदर


ऐ श्यामसुंदर आ जाओ अब यूँ तो न तड़पाओ
तुम बिन प्यासे है यह नयना
दिन रैन तरसे तेरे दरस को
आवे न इनहे इक पल भी चैना
कौन घडी तुम मीलोगे शयाम
उस घडी की हर घडी बाट जो रहे हैं यह नैना
आ जाओ श्यामसुंदर
परेम माखन चुराओ
और परेम माखन अपने संग हमे भी खिलाओ
सुघर श्यामसुंदर आ जाओ

Saturday 10 October, 2009

विश्वास



हैं विश्वास हमे ओह मोहन
के इक रोज तुम आओगे
अपनी पायलिया का शोर मचाते
दौडे भागते आ जाओगे
मोहन मधुकर पास हमारे आओगे
की हैं जो दोस्ती तुमने
दोस्त को दरस रस पिलाओगे
हैं ना कान्हा?तुम आओगे
हैं ना?तुम आओगे
दीवानों को और दीवाना बनाओगे
प्रेम रस का रसास्वादन प्रेमियों को कराओगे
मोहन प्यारे दरस रस पिलाओगे

Friday 9 October, 2009

मोहन!


मोहन मधुबन में मेको बुलाना
अपने सुन्दर दरस मोको कराना
चितचोर साँवरिया चित मेरा चुराना
ऐ श्यामसुंदर श्यामल शाम में
नीलवरण रूप छठा बिखराना
मोहे अपने प्यारे दरस दिखाना
अपना गुलाबी पटका दिखा
अपने नैनों से घायल कर जाना
ऐ श्यामसुंदर अपनी पग की पैझानिया की
रन झुन झंकार से मेरा रोम रोम झंकृत कर देना
ऐ श्यामसुंदर मोहे अपने सुन्दर दरस दिखाना
कहीं बादलो की ओंट से चले आना

Thursday 8 October, 2009

मोहन मदन मुरारी


मोहन मदन मुरारी सुन लीजो टेर हमारी
अखिया मेरी कब से हैं प्यासी
प्रेम रस की बूँद तो एक पिलाओ
हमे तुम प्रेम समुन्द्र में तो मिलाओ
प्यारे श्याम सुन्दर दर्शन तो दिखाओ
नैना भये बाँवरे कुछ तो तरस खाओ
देखो ब्रिज की गलियां भी करें करुण पुकार
सुन लीजो मनहर टेर इसकी इक बार
आ जाओ अब न देरी तुम लगाओ

Sunday 4 October, 2009

raasotsav



शरद पूनम की रात की ,
बधाई हो महारास की
प्रकृति ने अपनी छठा बिखराई
मोहन के रसीले होंठो पर मुस्कनिया छाई
चाँद ने चांदनी चहु और बिखराई
गगन पे चाँद खडा मुस्कुराये
कान्हा मेरो यमुना के तीर महारास रचाए
अम्बर पे छठा अलोकिक छाई
मोहन की मोहिनी महारास को आई
कमल नैनों वाली राधे अलबेली
करोडो चांदो को लजित कर रही
कृष्णा के संग गोप गोपिया महारास कर रही
चलो छोड़ सब काज
भूल जाओ आज सब लोक लाज
कृष्णा बंसी मधुर बजावे
बंसी की धुन पर सारा संसार थिरक थिरक जावे

Saturday 3 October, 2009

शरद पूनम की रात महारास !



शरद पूनम की आई हैं रात
सज लो सँवर लो कर लो श्रृंगार
मेरे मोहन ने बजाई हैं बंसी आज
आज आ गयी महारास की रात
महारास की रात मेरे श्याम की बात
आई रे मेरे श्याम से मिलन की रात
हो जाओ तैयार
आई हैं शरद पूनम की रात
मोहन का रूप अलोकिक नैनों में न समाये
कोटिन नयना भी मोहन का रूप न सहन कर पाए
रसीलो कान्हा मेरो प्यारो कान्हा मेरो
बड़ी सुन्दर चंद्रिम आभा छलकाए
करोडो चांदो,की चांदनी फीकी पड़ जाए
मेरो कान्हा कभी स्वर्णिम तो कभी चंद्रिम आभा छलकाए
कभी कभी तो रसीलो रसिया रंगीला बन
सब और धूम मचाये
मेरो कान्हा तो महारास रचाए
आई शरद पूनम की रात
सज लो सँवर लो कर लो श्रृंगार