Wednesday 30 December, 2009

अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला



अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला
आँखें बंद करू तो तेरे ख्यालो में खो जाना
आँखें खोलू तो सब कुछ ओझल हो जाना
तेरी तस्वीर को बस निहारना
करू तो क्या करू ओह श्याम
जब तुझ बिन और कुछ भी सूझे ना घनशयाम
तेरे नाम का लबो पे रहना
मन का मनमोहनमय हो जाना
वो इक पल ही बस
इक पल में ही सारी खुशियों का पाना
मैं क्या कहू मोहन?
अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला

Tuesday 29 December, 2009

ऐ श्याम इक बात तो बता



ऐ श्याम इक बात तो बता
जब भी तेरी याद आती हैं
यह आंसुओं का सैलाब क्यों उमड़ आता हैं
क्यों यह आँखों के किनारों को कर पार
मेरी पलकें भिगो जाता हैं
कभी तो यह आंसू बहुत ही रुलाते हैं
और कभी कभी तेरी यादें में
यही आंसू मुझे बहुत हसाते हैं
मेरे चेहरे पे एक मुस्कराहट सजा जाते हैं
पर कई बार में सोचती हूँ
के यह आंसू तेरी याद में क्यों आते हैं
क्यों मैं बेबस सी हो जाती हू
तेरी यादों में खो जाती हू
क्या कही मुझसे कोई भूल हुई हैं
जो तुम भी दरस नही दिखाते
और तेरी यादों के साथ
यह आँसू चले आते
पता नही क्या पाप मैंने किये होंगे
जो तू भी इतना हुआ मजबूर बैठा हैं
ना तो तू दरस देने आता हैं
ना ही मुझे बुलाता हैं
सामने रहकर मुझे यूँ तड़पाता हैं

Monday 28 December, 2009

क्या हैं यह? कैसा हैं यह नाता?



क्या हैं यह? कैसा हैं यह नाता?
क्यों श्याम तू बार बार हैं मुझे याद आता
सुबह उठते ही पहला ख्याल तेरा सताता
रात को सोने से पहले
तेरी यादों का मुझ को तडपाना
आँखें बंद करते ही
कही अनजाने सपनो में तेरा याद आना
सपनो में भी मेरे ख्यालो में तेरा छाना
उठते बैठते हर साँस के साथ
तेरे नाम की धुन गाना
क्या हैं यह?कैसा हैं यह नाता ?
क्यों श्याम तू मुझे हर बार
बार बार याद आता

Saturday 26 December, 2009

साँझ सवेरे मैं श्याम ही श्याम पुकारू



साँझ सवेरे मैं श्याम ही श्याम पुकारू
आँखों से मैं नित्य तेरी याद में
अश्रु बिन्दु छलकाउ
हर दम गाती रहू में तेरा ही नाम
तेरे सिवा कुछ और आये ना मोहे ध्यान
कर दो कृपा ऐसी मेरे श्याम
तुम्हारे चरण कमलो की धूल
उड़ मुझ से लिपट जाए
मुझे तेरे चरण कमलो का प्यारा एहसास करवाए
तुझ बिन ना आये मोहे एक भी साँस
मुझे श्याम करवा दे अपने दीदार

Friday 25 December, 2009

हमे अपना पागल बनाओ मेरे साँवरे



कृपा की नजर इक कर दो मेरे साँवरे
जादू भरी अपनी नजर तो मिलाओ
हमे श्यामसुंदर अपना दीवाना बनाओ
यूँ मुड मुड के न जाओ मेरे साँवरे
जरा पास आओ
धुन मुरली की सुनाओ मेरे साँवरे
हमे अपना दीवाना बनाओ मेरे साँवरे
लोग कहते हैं जो भी कहने उन्हें दो
हमे अपना पागल बनाओ मेरे साँवरे
हमे अपना पागल बनाओ मेरे साँवरे

Tuesday 22 December, 2009

क्या लिखू मैं पाती में



क्या लिखू मैं पाती में
ओह श्याम करके ध्यान
क्या मुझ में इक अंश भी हैं
तेरे प्रेम सागर की बूँद का
जो मैं कर सकू तेरा बखान
मैं तो ख़त लिखती हूँ तेरे नाम
मेरे श्याम करके बस एक ही ध्यान
इक दिन तो तेरी नजर पड़ेगी
विनती हमारी होगी स्वीकार
आ जाओगे तुम फिर
हमे देने अपने दीदार
मैं नही कहती हु मोहन
के तुम जरूर आना
पर इतना ध्यान रखना
के हम तेरे दरस प्यासे
कबसे कर रहे तेरा इंतज़ार हैं
जन्मो जन्मो से लगी
हैं मोहन तेरे दरस की आस हैं

मुझे मुझ से बेहतर



मुझे मुझ से बेहतर तू जानता हैं श्याम
मुझे तेरे सिवा न किसी से कोई काम
इक बार जो तू आ जाये
हाय श्याम तू अपने दरस दिखा जाए
तो सब बातें बन जायेंगी
वरना तो यह दिल यु ही
तेरी यादो में ही भरता जाएगा
तेरे आने से ही बनेगी बात कुछ श्याम
तो आ जईयो न श्याम
मोहे दरस अपने दिखा जईयो न श्याम
मगर हा आकर जाने की
तुम करना न मुझसे बात
कुछ ऐसा चक्कर चलाओ श्याम
इक पल भी रहू न तोसे दूर
तू रहे हरदम इन आँखों में समाया
रोम रोम गाता रहे बीएस तेरा ही नाम
चलाओ कुछ ऐसा चक्कर श्याम

Saturday 19 December, 2009

मोहन मेरे मन



मोहन मेरे मन के भाव मैं तुझसे क्या कहू
क्या तू नही जानता इन्हें
पहले खुद ही आते हो
हमे अपना दीवाना बनाते हो
फिर देखो न तुम
कैसे एक झलक के लिए भी इतना तडपाते हो
कईयों को तूने अपना दीवाना बनाया हुआ हैं
अपनी झलक दिखाने के लिए तरसाया हुआ हैं
अब तो आ जाओ न इक पल की देर लगाओ

Tuesday 15 December, 2009

कहा मैं ढूँढू



कहा मैं ढूँढू तुझको
ओह घट घट के वासी श्याम
जिस और मैं निहारु तुझको
नजारा तेरा ही पाउ मै श्याम
आसमाँ का रंग भी नीला
मेरा श्याम भी छैल छबीला
हाय!मोहन तू भी तो हैं नीला
आसमाँ का रंग भी हैं नीला
नीली आभा तेरी लागे प्यारी
तूने मुरली से सजाई ऋतुएं सारी
आसमाँ मै बिजुरी का यू चमकना
ऐसा लागे मानो कान्हा तेरा हँसना
तू देगा कब अपने दर्शन
राह ताकू मैं ओह मेरे नटवर
रहता हैं तू छिपा मेरे सामने
अब तो आजा दे दे दर्शन ओह साँवरे

Sunday 13 December, 2009

कान्हा को ख़त.....ओह मनमोहन



मेरा मन मनमोहन हो ना शायद मीरा सा
ना हो मुझ में मीरा सी भक्ति
ना हो शायद तप मीरा सा
होगी ना शायद प्रीत भी मीरा सी
पर मेरा मन ओह मनमोहन
करता हैं चाह तेरे दरस की
मेरा मन मनमोहन हो ना शायद गोपियों सा
ना हो मुझ में गोपी सी प्रतीक्षा भी
ना हो शायद प्रेम भी गोपियों का
पर मेरा मन ओह मनमोहन
करें चाह तेरे आने की
आने की तेरे प्रकट हो दरस दिखाने की
मेरा मन मनमोहन हो ना शायद तेरे भक्तो सा
ना हो शायद मुझमें भक्ति तेरे भक्तो सी
ना हैं मुझ में ज्ञान भी कोई
पर मेरा मन ओह मनमोहन
करें तुझसे ही हर इक बात
तेरी मर्जी हैं आना ना आना
दरस दिखाना ना दिखाना
मोहे अपना बनाना ना बनाना
मेरा मन ओह मनमोहन
क्यों तुझमें खो जाया करता हैं
कुछ तो बताओ इक बार तो चले आओ
मेरा मन ओह मनमोहन.....

Friday 11 December, 2009

कहू मैं तुझे क्या,तू कब हैं मुझसे जुदा



कहू मैं तुझे क्या,तू कब हैं मुझसे जुदा
मेरी हर बात को तू जानता हैं
क्या हैं दिल में मेरे यह तू पहचानता हैं
मैं खुद भी खुद को उतना जानती नही
जितना जानता हैं तू मोहे श्याम
कहू मैं तुझे क्या,तू कब हैं मुझसे जुदा
मेरे मन में तुम्ही हो समाए हुए
रोम रोम बस जपता रहे तेरा नाम
ऐसी कर दे कृपा तू मेरे श्याम
मुझे दे दे तू अपने दर्शन श्याम
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मुरलीवाले आजा तेरी मेनू याद औंदी हैं
याद औंदी हैं मेनू बड़ा स्तौन्दी हैं
मुरलीवाले आजा तेरी मेनू याद औंदी ऐ

Monday 7 December, 2009

तेरी बाँकी सी छवि



तेरी बाँकी सी छवि मेरे मन में समाए जाती हैं
नंदनंदन तेरा इक नूर सा रहता हैं ख्यालो में मेरे
जब भी मैं तोरी छवि निहारु ,बस उसी नूर में खो जाती हू
ऐसा लगता हैं के जैसे उसी में सिमट के तू
मोहे दर्शन देने आ जाएगा,मेरे परदे सब गिराएगा
मोहे तो जी भर के अपने सांवले सलोने से
प्यारे से ,नीलमणि कृष्ण दरस करवाएगा

Sunday 6 December, 2009

मेरे श्यामसुंदर मोपे कृपा कीजो



मेरे श्यामसुंदर मोपे कृपा कीजो
कृपा कीजो कृपा कर कृपा अपनी दीजो
मोहे अपनी मोहिनी रूप माधुरी की
श्यामसुंदर इक झलक दिखाए दीजो
श्यामसुंदर कृपा कीजो
हर पल अंग संग मेरे तुम रहा कीजो
मुझ में आ तुम समाए जाओ श्याम
मोहे घट भीतर ही तुम
अपने दरस करवाए जाओ श्याम
मोहे प्रेम सिन्धु में डूबकिया लगवाये जाओ श्याम
मोहे अपना बनाये जाओ श्याम

Saturday 5 December, 2009

तेरे रूप में ऐसा जादू हैं



तेरे रूप में ऐसा जादू हैं

तुझे निहारूं हर वकत

मन मेरा बेकाबू हैं

तेरी आँखों में

खुद को समाए जाती हूँ

अपनी सारी दुनिया तुझी में

बसाये जाती हूँ

तेरे होंठों की मुस्कराहट

को बस! निहारे जाती हूँ

तेरे इस श्रृंगार को बस!

मन में बसाये जाती हूँ

तेरा यह रूप जो अब

मेरी आँखों में समाया हैं

अब पलकें कैसे झुकाऊ

अब तू जो इन नैनन में

मनबसिया आन समाया हैं

Thursday 3 December, 2009

मेरे माधव



मेरे माधव आ जा ना
दो बूँद प्रेम समुन्द्र की पिला जा ना
मुझ दासी को चरणों से अपने लगा जा ना
तेरे बिन हिये लगता नही
तेरे बिन कोई बात मेरी होती नही
मुझे अपनी ही रजा से तू
अपने दरस दिखा जा ना
तरस गयी हैं आँखें दीदार को ओह प्यारे
यमुना तट पे आके बांसुरी की तान सुना जा ना
साँवरे गिरधर मेरे आ जा ना
माना के मैं अधम पापी गुनाहगार हु
तेरे दर्शन के लायक भी ना हु
पर फिर भी मन में लगाये एक आस हु
उस आस पे जमाये पूरा विश्वास हु
हैं भरोसा पूरा मोहे तुझ पे ओह स्याम
के इक रोज़ तू दीदार अपना करवाएगा
रुख से परदे तू सारे हटाएगा
मेरे भाग्य चमकाएगा
श्याम मेरा मोहे अपनी प्रेमा भक्ति दे जाएगा
मोहे अपने संग ही ले जाएगा
मेरा श्याम आएगा मेरा श्याम आएगा

Wednesday 2 December, 2009

मेरे बाँके अनोखी हैं तेरी हर अदा


मेरे बाँके अनोखी हैं तेरी हर अदा
तेरी हर अदा पे हैं मेरा दिल लुटा
पर अफ़सोस हैं तो इस बात का
के दिल लुटा कई बार होश भी उड़ा
पर दिल लुट के होश उड़ के
यह मेरा होश वापिस क्यों मुड़ा
चाहती हूँ बस इतना ओह श्याम
इक पल इक घडी भी ना बीते
तेरी यादों के बिन ओह श्याम
तू दर्शन दे या ना दे
यह तेरी रजा हैं
मुझे अपना या ना अपना
यह तेरी ही मर्जी हैं
बस ऐसा मोहे बना दे
पल भी ना बिसरे तू
ऐसा अपनी यादों का जादू कोई
तू मुझ पे चला दे
हां श्याम मुझपे चला दे

Tuesday 1 December, 2009

हो तो तुम पास ही मेरे



हो तो तुम पास ही मेरे ओह मेरे श्याम
पर नजाने क्यों दर्शन ना देते हो श्याम
तेरी ही मूरत मन में बसी हैं घनशयाम
बसी हैं बन्सीवाले की बाँकी अदा
जिसने सारे जग को दीवाना हैं किया
मोर मुकुट लगाये घूमते हो हिये में हमारे
बंसी बजाके हिये को चुरा के
अब चित चोर तुम जाते हो कहा
आँखों का पर्दा तो हटा दो
मोहे दरस अपने तो करवा दो

Monday 30 November, 2009

मुरलीवाले



मुरलीवाले सुन भी ले अब हमरी पुकार
करू मैं वन्दन बारम्बार
जाती तो हैं मेरी हर पुकार तेरे पास
फिर भी क्यों ना देने आता हैं तू
मोहे अपने दर्शन साकार
अपने प्रेम सागर की लहरों में
तू आ के कहीं हमे डुबो जा
हमे अपना बना ले कमलनयन
या कान्हा मेरा तू हो जा
मेरा इक तू सखा हैं श्याम
सखी अपनी को तू
दर्शन अपना देजा

Sunday 29 November, 2009

मेरे प्यारे मोहन,नीलमणि



मेरे प्यारे मोहन,नीलमणि
नीलम जडित मुकट सीस पे हैं सोहे
मकराकृत कुंडल झूल रहे हैं कानो में
उसपे यह तेरी प्यारी लट
कर रही शायद कुछ यह भी अदाएँ हैं
बड़े भाग्य हैं इन तेरी मतवाली लटों के
जो तेरा संग हर दम पाती हैं
होके दीवानी यह तेरी
तुझे पाने को आपस में ही उलझी जाती हैं
हवा के हर आते जाते झोंके से
जैसे इनकी उमंगें तरंगें बढती जाती हैं
तभी तो उड़ उड़ कर
गालो को श्याम तेरे सहलाती हैं
अब तुम ही बताओ इन्सा भाग्य किसी का होना हैं
यह तेरी प्यारी लटें तो बस
तेरी दीवानी हुई फिरती हैं
हमरे साथ भी मोहन करो ना कुछ बात
आ जाएँ तांकि इस बेचैन हृदय को करार

Saturday 28 November, 2009

ऐ मेरे प्यारे श्यामसुंदर,



ऐ मेरे प्यारे श्यामसुंदर,
क्यों नैनो को इतना तरसाते हो
क्यों हिये को हमारे तुम तडपाते हो
क्या हुई हैं भूल हमसे
जरा हमे इतना ही बताते जाओ
तुम क्यों नही करते मुझसे बात
जरा यह राज बताते जाओ
नैनो में लगी हैं असूअन लड़ी
मैं कबसे हूँ तेरे इंतज़ार में
तेरे ही द्वार पर पड़ी
पर तू दो शब्द भी मुझसे क्यों नही कहता
क्यों कर रखी हैं तुमने
मुझसे यु इतनी दूरी
इतने पास हो तुम
फिर भी क्यों मोहन हैं यह दूरी
दो बातें मुझसे भी तो करते जाओ
श्यामसुंदर मेरे मुझ पर कृपा करो

Thursday 26 November, 2009

श्यामसुंदर की यादें



श्यामसुंदर की यादें बड़ा ही सतावे
पर यह श्यामसुंदर मेरा
जाने क्यों अब तक न दरस दिखावे
जाने कौन भूल कर बैठे हैं हम
जो श्यामसुंदर मेरो रसिया
सामने होकर भी पर्दा न सरकावे
परदे में रहता हैं वो इस कदर
के न तो बेपर्दा होता हैं
और न ही छिपता है
परदे की ओट से ही वो देख रहा हैं
पागल बना रहा हैं दीवानों को
कृष्णा नाम के मतवालों को

Wednesday 25 November, 2009

साँवरे



साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
मुझे बना कर गईया तुम
जरा लगाना हाथ ओह श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे..
मुझे बना कर मुरली तुम
अधरामृत पिलाना श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
मुझे बना कर पंख मयूर का
अपने पास ही रखना ओह श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
मुझे बना कर पुष्प माल
ह्रदय से लगाना ओह श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
मुझे बना कर पायल अपनी
चरणों से लिपटाना श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
मुझे बनाना चाही कुछ भी ओह श्याम
रखना सदैव मोहे अपने ही पास
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...

Monday 23 November, 2009

कहा हो छिपे तुम




कहा हो छिपे तुम?कहा हो छिपे
आन मिलो अब आन मिलो
तुम बिन न भाये कुछ
याद न आये कुछ
तेरी ही यादों ने ऐसा हैं मंजर बनाया
दिल-ओ-दिमाग पे छाए हो तुम्ही
जहा भी मैं देखू नजर आये हो तुम्ही
रातो को उठ उठ के तुझको निहारु
सो जाऊ तो सपनो में भी
मैं मोहन तुमको पुकारू
जागते हुए भी ख्याल तेरा सताएं
तेरी यादों में मोहन
तेरी यादो में मोहन
मैंने क्या नहीं कमाया
तेरी यादों ने ही मुझे
तेरा एहसास हर पल कराया
अब करो न देर गिरधारी
आ जाओ दरस दो मेरे नाथ
मेरे साँवरिया मेरे गिरधारी

Sunday 22 November, 2009

कैसे तुझे मैं बताऊ



ऐ श्याम कैसे तुझे मैं बताऊ
के किस कदर तेरी याद सताती हैं
जिस और भी जाऊ
कहीं भी जाऊ,कुछ भी करू
तेरी बात साथ साथ ही आती हैं
कैसे तुम्हे बताऊ मैं श्याम
के किस कदर तुम्हारी यह याद हमे सताती हैं

Saturday 21 November, 2009

मीरा के मोहन



मीरा के मोहन सुनो हमारी भी पुकार
देने को दर्शन अपने प्यारे श्याम
आ जाओ एक बार,आ जाओ एक बार
रास्ता निहारें हम,तकें बार बार
आ जाओ गिरधर मेरे एक बार
मीरा हुई थी तेरी दीवानी श्याम
नाची गली गली बनके जोगन तेरी
तुझ में ही खो गयी
तेरी ही हो गयी श्याम
आ जाओ एक बार मेरे गिरधर गोपाल
किया कमला तूने था धन्ने को
हुआ फिरता था वो शोदायी
तेरी प्रीत में ओह साँवरिया
पागल हुआ हर कोई
मेरी भी सुन लो पुकार
आ जाओ मेरे गिरधर

कान्हा रे ओह कान्हा



कान्हा रे ओह कान्हा सुन ले मेरी पुकार
मुझे बुला ले तू अपने पास
या फिर तू ही आजा न मेरे पास
तू इस कदर पास मेरे आना
के तेरे सिवा किसी और का ध्यान ही न रहे
मैं खो जाऊ तुझमें इस कदर
के दुनिया को कोई परवाह न रहे
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ
कृपा मुझपे कर दो मेरे नाथ

Wednesday 18 November, 2009

कुँवर कृष्ण कन्हाई


हे कुँवर कृष्णा कछु कृपा कीजे
प्रेम धन हमको भी दे दीजे
कछु कृपा कीजे
टेडी चितवन से इक बार
हमको भी देख लीजे
हाय श्याम घायल हमको ही कीजे
कछु कृपा कीजे
थारी दीवानी,फिरू मस्तानी
ढूँढू तोहे पाऊ तोहे
बनके तेरी दीवानी

हे कुँवर कृष्ण कन्हाई
मैं तो लुट गयी तुझ पे
यूँ ही बैठी बिठाई
यह हाल हैं मेरा तब
के जब उन्होने पर्दा अभी
जरा भी सरकाया ही नही
गर गिर जाए वो पर्दा तो....
ऐ श्याम सुन्दर अब तो
कछु कृपा कीजे
प्रेम धन हमको दे दीजे
आपकी दरस प्यास और तेज कर दीजे

यह आँसू



अब तो यह आँसू जब भी हमे तनहा पाते हैं
तेरी यादो में ऐ कान्हा ,तड़प तड़प कर
अपनी हद से बाहर छलक आते हैं
इतने शीतल के सब शीतल ही शीतल कर जाते हैं
तेरी यादों में हमे इक पल के लिए ही शायद
शायद यह हमे तेरा दीवाना बना जाते हैं

दरस प्यास लागी हैं मनमोहन



दरस प्यास लागी हैं मनमोहन
अब आ जाओ
दो बूँद अपने प्रेम समुन्द्र की
हमको भी तो पिला जाओ
नैनो का जल बन के धारा
बहता ही जाए तो क्या करू
रोके से भी न रुक पाए
तो तू ही बता मैं क्या करू
तेरे बिन कहीं चित लगता नही
तेरे नैनो के सिवा कहीं और
डूबने को मन करता ही नही
तो बता न मनमोहन बता
मैं क्या करू?कब आएगा तू
कब इन नैन बरसात की आस पुजाएगा तू
ऐ श्याम कब आएगा तू
अब और न कर देर
मोहे तू अपने हिये में समा ले
मोहे तू अपना बना ले

Friday 13 November, 2009

ऐ श्याम पुकारू



ऐ श्याम पुकारू तोहे बारम्बार
आजा श्याम आजा श्याम
दे जा मोहे तू अपना दीदार
अपने ही रंग में तू मोहे रंग दे
दीवानी अपनी मोहे बना जा
मेरी आँखों में तू अपना
प्रेम समुन्द्र का जल छिड़का जा
मेरे हृदय सिंघासन पे आ
मोहे श्याम खुद बी खुद अपनी बना
मैं न जानू कुछ भी
ज्ञान भक्ति वैराग्य कुछ भी न जानू श्याम
जानू तो बस तेरा इक नाम जानू
बस इतना ही जानू
के तू हैं मेरा सचा सहारा
तू ही मेरा यार तू ही दिलदार
तू ही तो हैं मेरा प्रीतम प्यारा
आजा न श्याम आजा

Thursday 12 November, 2009

कैसी लीला



कैसी लीला तू श्याम दिखा रहा हैं
इंसान ही बन बैठा दुश्मन
प्यारे भोले भाले जीवो का
क्या बिगाडा इन्होने किसी का
जो यूँ हत्यारा बन बैठा इंसान
शायद यह इंसान हैं ही न
इंसान के भेस में छिपा शैतान हैं
आ ना सांवरिया कर अब सबका उद्धार
तेरा नाम जपने से तो
कहते हैं न हो जाता बेडा पार
पर मुझे कुछ न चाहिए श्याम
अब आ जा
कर दे अब तू इनका कुछ इंतजाम
श्याम तेरी राह निहारु
हर पल सिर्फ तोहे पुकारू आ जा रे

सुन ले मेरी पुकार


कैसे करू कान्हा मैं तेरा श्रृंगार
पायल पहनाऊ मैं पग में
चरणों से तेरे लिपट लिपट जाऊ
मैं तो श्याम तेरे गुण गाऊ
चाहे न जानू मैं करना तेरा गुणगान
फिर भी अपनी अटपटी भाषा में
हरदम सिमरु मैं तेरा नाम
कोई कर यतन कोई कर प्रयास
बुला ले मोहे अपने चरणों के पास
चाहे मुझे बुला ले या खुद आ
अब तो कर रही सारी दुनिया इंतज़ार
तेरे सब भक्तो को हैं बस तेरा सहारा मेरे श्याम
अब आ जा अब न देर लगा
देख कैसे हैं जुल्मो की आंधी छाई
अब आ जा अब आ जा
सुन ले मेरी पुकार

Tuesday 10 November, 2009

हे श्यामसुंदर कृपा कीजे



हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
चरणकमल में मुझे रख लीजे
कृपा कीजे कृपा कीजे
चरणकमल रज मुझको दीजे
दासी अपनी मोहे बना लीजे
मोहन चरणों में अपने मोहे रख लीजे
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
चरणकमल में मुझे रख लीजे
कृपा कीजे कृपा कीजे
बना दो मोहे तुम इक घुंघरू
पायल में तेरी छम छम बजा करू
नाचा करू मैं संग संग में तेरे
कृपा कीजे कृपा कीजे
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
चरणकमल में मोहे रख लीजे
बना दो मोहे तुम पुष्प की पाती
भक्तो के हाथो से चरणों में आऊ
भक्तो के संग संग नाम तेरा मै गाऊ
तुझ पे हो अर्पण तुझी की हो जाऊ
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
चरणकमल मै मोहे रख लीजे
कृपा कीजे कृपा कीजे

Monday 9 November, 2009

बस तुम आ जाओ



दिन, महीने,ऋतू,गुजरे कई हैं साल
तूने होकर के साथ भी
क्यों न दरस दिखाया श्याम
माना के काबिल हूँ नही तेरे दरश के
फिर भी मन में लगाई हुई हैं आस
तेरा नाम रटती हैं मेरी हर शवास
कहती हूँ पल पल तुझे साँवरिया
आ जा दे जा दर्शन इक बार साँवरिया
तू नैना मूँद खो ख्यालो में राधा जू के
सुनाना बांसुरी की प्यारी तान
ओह श्याम....क्या कहूँ,
कुछ कहा ही नही जाता
बस तुम आ जाओ

Sunday 8 November, 2009

मेरी श्यामसुन्दर से लगी यारी



मेरी श्यामसुन्दर से लगी यारी
श्यामसुन्दर से मेरी प्रीत पुराणी
दिन में आवे न तनिक चैन
रातो को सतावे तेरे मीठे बैन
क्या कहू मै कान्हा
आँखों से ओझल हुई हैं नींद
मन मे बसी हैं तेरी मूरत सुहानी
आ जा श्यामसुन्दर बुलाते हैं तेरे मीत
आ जा प्यारे सुना जा फिर कोई प्यारा सा गीत
दे जा दरस तू अपने
बना जा अपना जरा साँवरिया

Saturday 7 November, 2009

बृजराज कन्हैया की अनोखी हैं अदा



बृजराज कन्हैया की अनोखी हैं अदा
पर्दानशीं हैं वो साँवरा मेरा
मुझमे ही बैठा हैं वो छिप के कहीं पे
रोम रोम में हैं मेरे अंतर मन में
हम में रह कर हमी से करते हैं पर्दा
देखा हैं ऐसा दिलदार कहीं साँवरा
हम भी उसको ही पुकारें हैं
जिद्द अपनी हम भी ठाने हैं
इक बार तो दर्शन करवा दो बिहारी
इक बार तो आ जाओ
मुरली की तान सुना जाओ
मेरी आत्मा में तुम समा जाओ
मुझे अपना तुम बना जाओ
मुझे अपने में समा जाओ
श्याम सरकार मेरे इक बार तो आ जाओ

Friday 6 November, 2009

मनमोहन प्यारे बंसी की धुन तो बजा दे



मनमोहन प्यारे बंसी की धुन तो बजा दे
सांवरिया जरा आके निकट तू
फिर वो तान तो सुना दे
मनमोहन प्यारे रुन झुन पायल के गीत सुना दे
न तू देर लगा अब आ जा
बाट निहारु तेरी कमल नयन वाले
आके कर कमलो से मुझे उठा ले
श्याम सांवरिया मोहे अपने चरणों से लगा ले
मोहे तू अपनी पग धूरि बना ले

Thursday 5 November, 2009

क्या लिखू क्या न लिखू



क्या लिखू क्या न लिखू
कैसे लिखू क्यों लिखू
इसी दुविधा में हूँ श्याम
तुम तो जानते ही हो न
मेरे हिये की हर बात
फिर क्यों लिखू
क्यों कहू कुछ भी तुम्हे
तुम्हे सबकुछ तो मालूम हैं
क्या छिपा हैं तुमसे
जो तुम्हे कुछ बताने का साहस करू
फिर भी नजाने क्यों
मेरे लबो पे आ जाती एक ही बात हैं
साँवरिया आ जाओ,अब न तड़पाओ
कहती तो हूँ यह पर तुम जानते हो
इस तड़पन के लिए भी कितना तडपती हूँ
नही चाहती मैं इस तड़पन से मुख मोड़ना
तेरी याद में जो मजा हैं
नही चाहती में वो छोड़ना
शायद इसीलिए तू
मेरी नजरो के सामने होकर भी मोहे तड़पाता हैं
सामने होकर भी नजरो को वो नजाकत न देता हैं
तू सामने हैं पर तेरे दीदार को तरसते हैं
क्या कहें अब इस तड़पन की बात
आनन्द की कोई सीमा नही तेरे प्रेम में मेरे घनश्याम
और मैं कुछ न जानने समझने वाली अनजान
कैसे पाऊ तेरा दीदार ,
तुम तो प्रेम समुन्द्र हो
मैं इक सूखा हुआ कतरा
कैसे गुण गाऊ तेरे घनश्याम
क्या लिखू क्या न लिखू
इसी दुविधा में हु श्याम

Wednesday 4 November, 2009

सितमघर,क्यों सितम हमपे ढा रहे हो



तुम तो यूँ मुस्कुरा रहे हो
सितमघर,क्यों सितम हमपे ढा रहे हो
मुरली को पकड़ अधरों से लगा रहे हो
अलोकिक बंसी की धुन तुम बजा रहे हो
पर हमपे तो कयामत ढा रहे हो
तुम तो सितम पे सितम किये जा रहे हो
अपनी नजरो से घायल किये जा रहे हो
कजरारी आँखों से चलाये कितने ही तूने बाण हैं
किया घायल कईयों को ,लगाया मरहम भी कई बार हैं
अब तो आ जाओ,रखो मोरी लाज ओह श्याम
प्रेम रूप घनश्याम,
अपने प्रेम समुद्र की इक बूँद पिला जाओ
श्याम मोरे एक बार आ जाओ

Tuesday 3 November, 2009

प्रेम प्याला




जरा आ निकल के तस्वीर से
तू कुछ इस तरह
के होश-ओ-खबर ना हो मोको
मैं तेरे ही रंग में रंगी रहू
तेरी चाह में गिरधर गिरधर गाती फिरू
तेरी नाम मस्ती में झूमु फिरू
तू आ जाए सामने
मुझे होश ना हो
मैं तो तेरे नाम वाला प्रेम प्याला पीती रहू
तेरे नाम की मस्ती चडी रहे
मेरी हर साँस तेरे चरणों में पड़ी रहे
मेरा रोम रोम तुझपे हो न्योछावर
हर करम में मेरे तू श्याम आना
यारो का हैं यार तू
मेरे संग जो लगाई यारी
तो इस यार को भी श्याम
तू दरस दिखा जाना
मोहे अपना दीवाना बना जाना

Monday 2 November, 2009

श्याम



सुबह से सांझ,सांझ से सुबह
हर पल बीता जाता हैं
सावन भादो हर ऋतू
आती और जाती हैं
पर तू क्यों नही आता श्याम?
क्यों हैं इतना तरसाता
अब न तड़पाओ श्याम
अब तो आ ही जाओ श्याम
सागर की हर लहर आती जाती हैं
आँखों से बिन्दु टपटपआते रहते हैं
तेरे इंतज़ार में व्याकुल नयना नीर बहाते रहते हैं
मन तडपता हैं दर्शन को तेरे
आजा श्याम आ जा

Sunday 1 November, 2009

बस उसी पल में .....



सच कहू ओह मेरे श्याम
आता नही हैं मुझे करना तेरा गुणगान
फिर भी अटपटी भाषा में
जो मन में आये बकती रहती हूँ
क्या अछा क्या बुरा
कुछ न होता हैं ख्याल
मैं तो बस करती हूँ
तुमसे अपने मन की बात
मुझे तू प्यारा लगता हैं
सारे जग से न्यारा लगता हैं
तेरी मुरली की तान सुनने को मन करता हैं
कभी तेरे पायल के घूंगरू की तान को दिल मचलता हैं
तो कभी मन में आई तेरी एक झलक
सब होश उडा देती हैं
हमे तेरा दीवाना बना देती हैं
रोम रोम नृत्य करता हैं
बस उसी पल में रहने को जी करता हैं
बस उसी पल में .....बस उसी पल में

Saturday 31 October, 2009

नयना रिम झिम रिम झिम काहे बरसे



नयना रिम झिम रिम झिम बरसे काहे
मोहन तुम बिन हम तरसे काहे
नयना!हाय नयना तरसे काहे
काहे लगी हैं तुमसे मिलन की आस ओह श्याम
काहे लगे गिरधारी होगा दर्शन तेरा
होगी पूरी मेरी हर आस
आएगा इक दिन
पूरा होगा जिस दिन मेरा हर ख्वाब
काहे लगे मोहे आज यह श्याम
याद तेरी काहे सताएं
काहे रुलाये पल पल खिजाये
काहे होकर के संग भी
होता न दर्शन तेरा ओह श्याम
मैं तो करती हूँ विनती एक मेरे श्याम
मेरे मन से न जाना
हर पल मेरे साथ बिताना
किसी पल भी न भूलू
दुःख हो या सुख हो
मेरे मन में समाना
चाहे लोग कहे पागल
तो परवाह न हो
मेरे मन से अपनी यादों को
एक पल के लिए भी न हटाना
मेरे श्याम ...........

Friday 30 October, 2009

हे केशव



हे केशव कुछ तो रहम कर
कुछ तो कर दया
तुम बिन नही लगता मन
भरी हैं दुनिया सारी
पर कोई नही हैं तुम बिन अपना
तुम्ही बस मेरे अपने हो
और तुम्ही दर्शन ना देने की जिद लिए बैठे हो
कब तक हमे यूँ रुलाते रहोगे मोहन
कब तक ना दोगे दर्शन
सब तुम्हे पुकार रहे हैं
पृथ्वी अम्भर,समुन्द्र की जल धारा
सब को हैं इंतज़ार तुम्हारा
कब आओगे श्याम कब आओगे ?

Wednesday 28 October, 2009

क्यों मोहन



क्यों मोहन तुम परदे पे पर्दा किये जा रहे
हुए हैं पता नही कितने मुझसे गुनाह
तुम हर गुनाह प्यार से नजर अंदाज किये जा रहे
न तो सामने आ कर कुछ बतलाते हो
न ही तुम दरस अपने दिखाते हो
क्यों मोहन क्यों?
क्यों हमे इतने श्वास दिए जा रहे
और कैसे हम तुम बिन जिए जा रहे
तेरे आने की आस से ही हम हैं
तेरे दीदार के लिए बस दम हैं
अब तो आ जाओ गिरधारी
अब न सताओ
प्यारे कर कमलो से मुरली उठाओ
उसे अधरों का रस पिलाओ
श्याम मेरे आ जाओ

Tuesday 27 October, 2009

मेरे श्याम मेरे मोहन तेरे रूप अनेक



मेरे श्याम मेरे मोहन तेरे रूप अनेक
क्या कहें सब एक से बढ़कर एक
जिस और निहारु बस
एक तेरा ही जलवा दिखाई पडे
कभी बांसुरी बजाता हुआ
कभी गोपियों को नचाता हुआ
कभी भोली भाली प्यारी प्यारी
अपनी गईया गले से लगाता हुआ
कभी मोरो को पास बिठाये हुए
कभी मृग के साथ करता तू अठखेलिया हैं
धन्य भाग भय पाहन के
जो चरण कमल उन पर पड़ते हैं
कभी बेठ जाता हैं तू
किसी वृक्ष की शाखा तले
कभी बंसी बजाता हैं मनोरम यमुना किनारे
तेरी बंसी तो बस राधा राधा पुकारें
घनश्याम प्यारे मेरा रोम रोम तुझको पुकारें
आजा दे दे दीदार एक बार कर दे हमे निहाल

चाहते हैं सब तेरा दीदार



चाहते हैं सब तेरा दीदार
आओ न मोहन एक बार
एक बार तो गले से लगाओ
ऐ श्याम रे मोहे तुम अपनी
गईया बनाओ
श्यामसुंदर अब आओ
अब न हमे तुम सताओ
प्राण प्रीतम घास का एक तिनका बनाओ
और कृपा कर उसे
काली कमली में छिपाओ
ऐ श्याम सुन्दर कोई यतन कर
मोहे तुम अपने दरस दिखाओ
मोहे अपने प्रेम समुन्द्र
की एक बूँद पिलाओ
श्याम आओ

Sunday 25 October, 2009

ओह!मेरे साँवरे गिरधारी,



ओह!मेरे साँवरे गिरधारी,
मैं तो तेरी मोहिनी सूरत पे वारी,
हूँ फ़िदा तुझपे मेरे बाँके बिहारी
अब तो कर ली हैं मैंने तो संग यारी
अब तो सुना दे वो तान ,
जिसपे नचाया था तुने यह संसार
आज भी रहा तू नचा हैं
अपनी बाँसुरिया की धुनों पर
करवा रहा तू ही सब काम हैं
माखनचोर मेरे चितचोर नटवर नन्द किशोर
आ जाओ अब न सताओ
धुन बंसुरिया की सुनाओ
रुनुक झुनुक पालो का संगीत सुनाओ
मीठी प्यारी तोतली बोली में
हमसे दो चार बातें कर जाओ
मेरे श्यामसुंदर आ जाओ

Saturday 24 October, 2009

मोहन प्यारे क्या कहें तुमको क्या हो तुम हमारे



मोहन प्यारे क्या कहें तुमको क्या हो तुम हमारे
कह देंगे अगर प्राण हो हमारे प्राण प्रियतम
तो प्राणों के बाद क्या तेरा साथ न होगा
तुम्ही बताओ न मोहन
तुम्हारी यादो का क्या हमे ख्याल न होगा
कह देंगे अगर दिल हो हमारे दिलबर
तो क्या धड़कन बंद होने के बाद तेरा एहसास न होगा
तुम्ही बताओ न मोहन
तुम्हारी बांसुरी की तान का हमे एहसास न होगा
अब तुम्ही बताओ न मोहन के
क्या हो तुम हमारे
क्यों याद आते हो इतना
क्यों तड़पाते हो इतना

Friday 23 October, 2009

कबसे इस मन को सजाये बैठे हैं मोहन



कबसे इस मन को सजाये बैठे हैं मोहन
तेरे इंतज़ार में पलकें बिछाये बैठे हैं मोहन
तेरे दीदार की तमन्ना लिए
नाजाने कबसे तेरे आने की आस लगाये हैं मोहन
जाने तुम कब आओगे
कब तुम इस पगली को जी भर दरस दिखोगे
जाने तुम कब आओगे
मोहन अब करो न देर
ऐसा न हो के कहीं ज्यादा ही हो जाए देर
अब तो सुन लो करुण पुकार
मेरी न सही भोली भाली गईया तुम्हे पुकार रही
वृक्ष,लताएं,फल,फूल,जल की धार
सब कर रही हैं तुम्हारा गुणगान
यमुना जी भी कर रही पुकार हैं
आ जाओ ना गिरधारी
तुम बिन सूने वन उपवन
सूना संसार हैं
आ जाओ सांवरिया