Thursday 30 April, 2009

हे कृष्ण मुरार


हे कृष्णा मुरार,ग्वाल बालो के सखा
मेरे नटवर नागर मदन गोपाल
यूँ इतना तो ना तरसाओ
इन आँखों से भी
अपनी याद में दो बूँद आंसू गिरवाओ
हम तड़प रहे हैं बिलख रहे हैं
के इन आँखों से भी
तुम्हारी याद में दो आंसू गिर जाए
मगर यह पागल मन छटपटा रहा हैं
तोसे मिलने की आस लगा रहा हैं
ओह मेरे पिया श्याम बनवारी
आ जाओ ना कर के कोई बहाना गिरधारी
मन व्याकुल हो रहा हैं और हो रहा अधीर भी
कैसे तुझे अपना हाल बताऊ
कैसे तुझे इस दिल की स्थिति बतलाऊ
बस श्याम पिया आ जाओ
अब ना देर लगाओ
आ जाओ

Wednesday 29 April, 2009


तुझे चाहने के काबिल तो नहीं गिरधर
मगर खता हैं मेरी
जो तेरी चाहतो को चाहने से रोक नहीं पाती
तेरी यादो के भवंर में उलझी जाती हूँ
तेरी यादो में हर दम आंसू रुपी जल गिराती हूँ
तू चाहे सामने होता हैं
फिर भी यह आंसू जाने क्यों रुकते नहीं
अपने सीमाएं तोड़ बाहर आ जाते हैं
मुझे बड़ा सताते हैं
मगर फिर भी यह आंसू भी बड़े प्यारे लगते हैं
जो मेरे सांवरे की यादों में बहते हैं
और मेरे सांवरे को यह कहते हैं
सांवरिया आ जा रे !

Wednesday 22 April, 2009

श्याम हर शाम


श्याम!हर शाम याद आती हैं तेरी
हर शाम अपने संग याद लाती हैं तेरी
हर शाम श्याम श्याम गाती हैं
तेरी यादो का भंवर मेरे मन में उठा कर
मेरी आँखों के सागर में एक तूफ़ान लाती हैं
इस सागर की लहरें उशल उशल कर
किनारे से बहर आ जाती हैं
बता श्याम मेरे इसमें दोष किसका
मेरा?जो तेरी यादों में तड़पती हूँ
या उस शाम का
जो कर शाम श्याम की यादों में मोहे तडपाती हैं
मेरा चैन मेरा होश सब शीन ले जाती हैं
बता ना श्याम वो इंतज़ार तेरा हमे करवाती हैं
और हम इंतज़ार करते हैं
तो क्या दोषी हुए
बता ना आ ना

Tuesday 21 April, 2009

श्याम बादलो से घनशयाम आ जाए रे


ऐसे मौसम में आन मिलो घनशयाम
आन मिलो आन मिलो आन मिलो मेरे श्याम
ऐसे मौसम में आन मिलो घनशयाम
श्याम बादलो से श्याम आ जाए
बरसती हुई बूंदों से प्रेम रस बरसाए
हाय!श्याम बादलो से श्याम आ जाए
श्याम घन से घनशयाम आ जाए
हाय रे श्याम आ जाए
देखू जिधर भी उधर श्याम नजर आये
श्याम आ जाए रे श्याम आ जाए श्याम आ जाए
देखो मुरली मधुर बजाये रे
मुरली बजाके मोहे वृन्दावन बुलाए रे
श्याम आ जाए रे श्याम आ जाए रे
श्याम बादलो से घनशयाम आ जाए रे
माथे पे तिलक अहा!
माथे पे तिलक चाँद का लगाये रे
श्याम आ जाए रे श्याम आ जाए रे
हर अंग में सूर्य का तेज भरा
सूर्य तेज तेरे अंगो से चुराए रे
तेरे अंगो से चाँद चांदनी पाए रे
हाय रे श्याम आ जाए रे श्याम आ जाए
मोहे अपना बनाये रे श्याम आ जाए रे

Sunday 19 April, 2009

कान्हा


किसी पेड़ की शाख पर बेठ
हर शाम जब श्याम बंसी बजाता था
हम दोडी आती थी
सुध बुध अपनी बिसरा
प्यारी तान सुनने आ जाती थी
कान्हा के नन्हे पाँव
ब्रिज धूलि को पावन बनाते हैं
कान्हा की बांसुरी की तान
ब्रिज की हवाओ में रस भर देती हैं
कान्हा के मधभरे बोल
प्यार के गीत बन जाते हैं
कान्हा के गले में पड़ा हार
बहार ला देता हैं
कान्हा की मुस्कान
खुशिया ही खुशिया बिखरती हैं
पता नहीं कान्हा
तू कब आएगा
कब मोहे अपने पास बुलाएगा

Saturday 18 April, 2009

ओह मेरे सांवरे


ओह मेरे साँवरे घनश्याम
सुनोगे कब तुम मुरली की तान
कब आओगे दरस देने मोहे
कब तक रहेंगे नैना प्यासे मेरे
कब तक चलता रहेगा यह सारा चक्कर
कब आओगे प्राण नाथ गोविन्द मेरे
लायक तो नहीं पाने के लिए दरस तेरे
फिर भी मोहन आस लगाये बेठी हूँ
और तो कुछ नहीं बस
तोहे मन में समय बेठी हूँ
दीन हीन अधम पापी हूँ मैं
फिर तुमसे मिलन की आस
दिल में लगाये बेठी हूँ मैं
के किसी शाम श्याम आ जायेगा
उस शाम को जल नैनो का मेरे
और चरण श्याम के होंगे
आ जाना श्याम
जब तेरी मरजी ओ तब ही आना
मेरी न एक भी मानना
श्याम आ जाना

Friday 17 April, 2009

कृपा करो श्याम मेरे


कृपा करो श्याम मेरे के लगा रहे
मेरा ध्यान चरणों में तेरे
हर दम तेरा ही नाम गाती रहूँ
हर आती जाती सांस के साथ
तुझे पुकारती रहूँ
तेरी ही यादों में रहू खोयी
तेरे ख्यालों में गुम हो जाऊ
भूल कर अपना आप
रटन बस तेरी लगाऊ
तेरे चरणों में गिर कर
तुझे चाहू मोहन मैं तेरी हो जाऊ
कृपा करो श्याम मेरे के
सुनती रहू बांसुरी तेरी
या सुनु तेरी नुपुर की झंकार
देखू तो बस तोहे देखू
चाहू तो बस तोहे श्याम
ऐसी करो कृपा मेरे श्याम

Thursday 16 April, 2009

कहू मैं क्या ?


कहू मैं क्या कनु?
तेरा रूप हैं कैसा
कैसा हैं तू प्यारा
कितना हैं तू करुनानिधान
कितनी करुणा हैं बरसाता
अधम पतित जनों का
पल में तू करता हैं उद्धार
जो भी कोई पुकारें तोहे दिल से
करता हैं तू पूरण उसकी आस
कितना प्यारा कितना सुन्दर हैं तू
कितना अलोकिक तेरा श्रृंगार
एक क्षण देख ले जो कोई तोहे
तो हो जाए पागल भूल कर अपना आप
जो छवि मोहे तुने दिखाई
जो रूप माधुरी तुने मेरे मन में समाई
नन्हे कोमल कर में पकड़ मुरली
तुने अपने अधरों से लगाई
अपना अधरामृत पिला
प्यारी रसीली कोई तान सुनाई
जिसे सुन गोप गोपियाँ पागल हो
भागी दोडी आई
राधा भी श्याम मिलन को आई
श्याम श्यामा श्याम श्यामा हो गयी

Wednesday 15 April, 2009

क्या लिखू में मोहन


क्या लिखू मैं मोहन
कुछ जीत लिखू या हार लिखू
या दिल का अपने हाल लिखू
क्या लिखू मैं मोहन
जो तुमको भाए
जिसे पड़कर तुम चले आओ
फिर प्यारी मुरली की तान सुनाओ
इस मुरली ने दीवाना बना दिया
अपनी तानो में मुझे नाचना सिखा दिया
तेरी मधुर मधुर मुस्कान ने
पागल हमे बना दिया
हम तो पहले ही तेरे थे
इसने तो रहा सहा भी लुटा दिया
तेरी गहरी आँखों ने
हमे तुझमे डूब जाना सिखा दिया
तेरी ही मस्ती में मस्त बना दिया
क्या लिखू मैं मोहन
दिन लिखू या रात लिखू
या मधुबन में रचाई तेरी रास लिखू
जिस रास ने पागल हमे बना दिया
सर्वस्व हमारा लुटा दिया
हमे तेरा बना दिया
गोपियों का दिल चैन जिसने चुरा लिया
क्या लिखू में मोहन
उन वृन्दावन की गलियन की बात
या नंदगाँव की निराली शान
या फिर प्यारा कालिंदी का तट
या बहती यमुना का स्वर
या लिखू मैं बरसाने का हाल
जहा से निकलती थी
ब्रज की गोपियों की टोली एक साथ
जिसमें होती थी एक राधिका गोरी
जो मोहन प्रिय मोहन मोहिनी थी
क्या लिखू मैं मोहन
कुछ याद लिखू
या यादों में आने वाली
कोई बात लिखू
किस से तुम रीझोगे मोहन
क्या तेरे मन को भायेगा
जिसे सुनकर तू
हमारे पास चला आएगा
या हमे अपने पास बुलाएगा

Tuesday 14 April, 2009

मिल गया श्याम राधा चरण दबाते हुए


मुझे मिल गया मुझे मिल गया
मुझे मिल गया श्याम
राधा चरण दबाते हुए
श्री राधा नाम गाते हुए
श्री राधा जी को रिझाते हुए
मुझे मिल गया मुझे मिल गया
मुझे मिल गया श्याम देखो
राधा चरण दबाते हुए
राधा जी पे दिल लुटाते हुए
राधा जी का मन मोहते हुए
राधा नाम गाते हुए
बंसी बजाते हुए
राधा जी को मनाते हुए
गिरिराज उठाते हुए
मधुबन मा रास रचाते हुए
राधा जी से मन लगते हुए
मुझे मिल गया मुझे मिल गया
मुझे मिल गया श्याम
राधा जी के चरण दबाते हुए
गोपी बन राधा जी का मान बढाते हुए
हो राधा जी को मनाते हुए
कृष्णा नारी रूप धारण किये
राधा जी को मनावन के लिए
मुझे मिल गया मुझे मिल गया
श्याम राधा चरण दबाते हुए

Monday 13 April, 2009

ठाकुर मेरे


ठाकुर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
तुम बिन प्यासी अखियाँ हमारी
तुम बिन पाए न चैन
बाट निहारे पथ पे हैं नजरे जमाये
जाने किधर से मेरे श्याम आ जाए
ठाकुर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
तुम बिन क्या जीना
तुम्हारी यादों बिन न मोहे जीना
हर पल हर क्षण रहिये
बसिए मन मैं हमारे
तेरी आँखों की मस्ती को हैं पीना मोहे
मुझे तेरी ही यादों मैं हैं जीना
आ जा श्याम मेरे
ठाकुर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
तेरे चरणों में इस सर को झुकाना हैं
मोहन तुमसे मिल बातें करनी हजार हैं
कब से दरस के लिए पथ निहारु
जाने कहा से श्याम आ जाए

Sunday 12 April, 2009

कृष्ण तेरी यादों में मैं कुछ पागल सी हो गई हूँ


कृष्णा तेरी यादों में मैं
कुछ पागल सी हो गयी हूँ
खुद ही इक पल हँसती हूँ
और दूजे ही पल रो देती हूँ
जैसे ही यह तेरी यादों का तूफ़ान
गहरा जाता हैं
सुध बुध अपनी गवा बैठती हूँ
तुमसे बात करने को मचल जाती हूँ
तेरे दरस पाने को इधर उधर भागती हूँ
जब तू श्याम दरस दिखता नहीं
तो तेरी तस्वीरो से बीतें करती हूँ
तुझे तेरी ही शवि में निहारती हूँ
तुझे ही याद करती हूँ
मगर यह मेरी तुछ सोच
इसमें कहा तू समा पाता हैं
इसीलिए मेरा दिल
जो तेरा था और तेरा ही हैं
तुम्हे ही अपना हाल-ए-बयाँ कर जाता हैं
कृष्णा तेरी यादों में मैं
कुछ पागल सी हो गयी हूँ
सुध बुध अपनी खो गयी हूँ

Saturday 11 April, 2009

आ जाओ श्याम


कनु जल्दी से आ जा
मुझे अपने संग ले जा
अब तो दिल लगता नहीं यहा
ढूँढती फिर रही हु
तुम्हे यहा वहा हर जगह
कृष्णा तू आ जा
प्यारे नीलमणि करुनासिंधु
करुना अपनी बरसा
कृपा कर मुझे अपनी शरण में ले जा
कान्हा आ जा
मेरे प्रियतम श्याम सुंदर
मेरे असुअन की सुन ले करुण पुकार
आ जा श्याम सुंदर
ब्रज के नन्द कुमार
मैं खड़ी कर रही तेरा इंतज़ार
आ जा मेरे श्याम
मेरे आंसू तोहे पुकार रहे
तोहे मिलने को शटपटा रहे
करुणामयी सरकार तोहे पुकार रहे
आ जाओ मेरे श्याम आ जाओ

Friday 10 April, 2009

श्याम ही श्याम रटु


मैं तो श्याम ही श्याम रटु
सुबह शाम रटु, दिन रात रटु
मैं तो राधे श्याम रटु
रटन तेरी ही करू
यतन मिलने का तुमसे करू
मैं तो राधे श्याम रटु
राधे श्याम रटु
हर पल यादों में तेरी रहू
मैं तो मोहन बस तेरी बनू
मैं तो श्याम ही श्याम रटु
दिल का हाल बयान तुमसे करू
मैं तो याद हर पल तुमको करू
मैं तो श्याम ही श्याम रटु
राधे श्याम रटु
श्याम ही श्याम रटु
प्यारे श्याम रटु

Thursday 9 April, 2009


नैना मूँद पुकारू तुझे
बंद नैनो से निहारु तुझे
अपने ही उर में अक्स तेरा बनाऊ
तेरी चोखट पे आ तेरा दरस चाहू
अपने उर में छवी इक बना रखी हैं मोहन
सांवली सूरत प्यारी सी मुस्कान हैं
टेडा सा मुकुट बाँकी सी चाल हैं
नैना बड़े विशाल हैं
गले में डारी तुने वैजन्ती माल हैं
गालन पे लटक रहे तेरे घुंगराले बाल हैं
अधरं पे सज रही प्यारी मुरली की तान हैं
कानो में दारे कुण्डल प्यारे
हाथो में सोहे कंगन न्यारे
सीस मोर मुकुट विराजे
चरणों में तेरे नुपुर साजे
कांधे काली कमली सोहे
ललाट पे तिलक मन मोहे
नैना मूँद पुकारू तुझे
बंद नैनो से निहारु तुझे

Wednesday 8 April, 2009

ऐ श्याम


ऐ श्याम जरा सुन ले मेरी पुकार
आजा तो एक बार
तोहे माखन मिसरी खिलानी हैं
तो से दधि माखन की
मटकी तुड़वानी हैं
तो संग खेल खेलना हैं
प्रियेवर उस खेल में हार
तेरे प्यारे मुख मंडल की
प्यारी प्यारी मुस्कनिया निहारनी हैं
आजा तो श्याम एक बार
तोसे तेरी प्यारी मुरली
की धुन सुननी हैं
उस धुन पे हो मस्त
खोना हैं मुझे सर्वस्व
आजा तो श्याम एक बार
मैया से जा शिकायत लगानी हैं
तुझे मैया से डांट खिलवानी हैं
तो संग बिताना हैं हर पल
रहना हैं मुझे हर पल तेरे संग
ऐ श्याम जरा सुन ले मेरी पुकार
आजा तो एक बार

Monday 6 April, 2009


कान्हा देखो
शम शम बरस रही बूंदे नभ से
आकाश में काली घटा छाई
इस सुंदर छटा में
मानो लग रही तेरी परछाई
इन निर्मल पावन बूंदों ने
देखो तो कैसे फूलो पे जगह पायी
और यह फूल आहा !
यह फूलों के संग कैसे
तेरे चरणों में गिरने चली आई
मेरे श्याम प्यारे इन्हें तो
अपने चरणों में किया स्वीकार तुने
हमे भी ऐसी एक बूँद बना दे
फिर किसी फूल पे लगा
अपने चरणों से लगा ले
मेरे श्याम प्यारे ........
मुझे निज चरणों से लगा ले