Saturday 30 January, 2010




दोगे दर्शन कब मोरे श्याम
प्यासी अखिया कब से नाथ
कब से तोहे मैं पुकारू
कब से तके नयन राह तुम्हारी
विनती करूं मैं आजा मेरे प्यारे
आजा अपने दरस दिखा दे
मुरली की वो प्यारी तान सुना दे
मोरो जैसा जो किया नृत्य था तूने
आज श्याम उसकी तू इक झलक दिखा दे
कब से श्याम श्याम कह में पुकारू
अब तो आजा मेरे श्याम
मेरे श्याम..मेरे श्याम

मैं तो बस तेरी दीवानी मेरे श्याम
तेरे ही दर्शन की मुझको लगन लागी श्याम
पर मुझको कई बार समझ कुछ भी न आता हैं
क्या कहू मैं तुमसे श्याम
क्या लिखू,कैसे तुझे बुलाऊ,कैसे तुझे पुकारू श्याम
यह आँखें क्यों आँसू बहाती हैं
क्यों श्याम हिये मेरा तडपता हैं दर्शन को तेरे
जब तू हैं सामने मेरे,फिर क्या कमी हैं ओह श्याम
किस चीज की मुझको लगी प्यास हैं
ऐ श्याम...ऐ श्याम...मेरे श्याम ...प्यारे श्याम...
कृपा कर,कोई एक तो ख़त को उठा,
चाहे अपने किसी भक्त के हिये में ही बैठे
तुम कर लेना विनती मेरी स्वीकार
आन श्याम मुझसे करना कोई बात
ओह मुरलीवाले श्याम,जरा झलक अपनी दिखा जा
जरा चरणों के अपने तू , हमको दर्शन करवा जा
ओह मुरलीवाले श्याम,जरा झलक अपनी दिखा जा
इस पागल दीवानी को,तेरे नाम की दीवानी को
नीले रंग की अनोखी कहानी सुना जा
ओह मुरलीवाले श्याम,जरा झलक अपनी दिखा जा
जानते हो तुम्ही दिल-ओ-जान हमारे
क्या?इसीलिए इतना श्याम तुम यू इतराते हो
क्यों श्याम दर्शन को तुम,इतना तरसाते हो?
ओह मुरलीवाले श्याम,जरा झलक अपनी दिखा जा
जरा चरणों के अपने तू,हमको दर्शन करवा जा

Tuesday 26 January, 2010



श्यामसुन्दर अब कृपा मोपे कर दीजे
बरस तो रही पहले से ही कृपा बरसात
अब इस बरसात में मुझे भिगो दीजे
अब श्यामसुन्दर कृपा कर बात मुझसे कीजे
न इतना मोहे सताओ,श्याम....
श्याम घन में दरस अपने करवाओ
श्यामसुन्दर पास तो हो ही तुम मेरे
कभी बात भी मुझसे आमने सामने करो
कभी तो बताओ कब आओगे
श्याम मोरे कब तुम दरस अपने मोहे करवाओगे

ऐसा दो मुझको वरदान



हे कान्हा,हे मेरे माधव,
करुणा के पुंज,करुणा सागर
ऐसा दो मुझको वरदान
के कभी भी तोहे बिसरू न
हर समय हर पल मेरी सांसें
करती रहे सिमरन तेरा
रहे मुझको बस ध्यान तेरा
इस संसार चक्र में
चाहे जितने चक्कर तुम लगवाना
बस इक करम मुझ पर करना
अपनी यादो का न साथ छुड़वाना
मेरे मन से इक पल के लिए भी
तुम श्याम इधर उधर न जाना
बस श्याम तुम रहना साथ मेरे
करवाते रहना अपना एहसास
ऐसा दो मुझको वरदान

Thursday 21 January, 2010

तेरे नैनो में बसती हैं दुनिया सारी



तेरे नैनो में बसती हैं दुनिया सारी
मैं तो हो गयी श्याम तेरी दीवानी
बस्ती हैं दुनिया सारी,
तो रहते होंगे हम भी कही न कही
तेरी आँखों में मेरा ठिकाना हैं
मोहन नजर हमपे भी जरा डालना
इस दासी को तो बस तेरा सहारा हैं
तेरे नैनों में बस्ती हैं दुनिया सारी
मैं तो हो गयी श्याम तेरी दीवानी

ऐ श्याम प्यारे मुझको दरस दिखा दे



ऐ श्याम प्यारे मुझको दरस दिखा दे
कब से दरस को प्यासी अखिया
आकर चैन इन्हें दिला दे
ओह श्याम प्यारे मुझको दरस दिखा दे
नीलमणि तुम,नीलवरण हो
नीली झलक अपनी दिखाना
हमे श्याम अपना पागल कर जाना
मोर मुकुट धारण हो करते
मोरो सा नृत्य रचाते
मोर पंखी में छवि अपनी दिखा जाना
ऐ श्याम प्यारे मुझको दरस दिखा जाना
करू विनती मै तुझसे श्याम!
कभी मेरी गली भी आ जाना

माना के मनमोहन गलतीया हजार करती हु मैं



माना के मनमोहन गलतीया हजार करती हु मैं
इक पल में सो सो बार करती हु मैं
मगर सच में मनमोहन
तूझे दिल से याद करती हु मैं
इक पल में सैंकड़ो बार तेरा ख्याल आता हैं
कभी तो होगा दर्शन तेरा
बस इसी आस में यह दिल धड़का जाता हैं
पागल सी हो तेरे ख्यालो में खो जाती हु
एकांत में हो तुझे याद करने को जी चाहता हैं
भीड़ में भी तेरे साथ होने को जी चाहता हैं
सुख में दुःख में
इक तुझी से बात करने को जी चाहता हैं
अब देर न लगा कन्हाई
बात मेरी मान और जल्दी से आ जा
रूप माधुरी अपनी दिखा
मोहे अपना दीवाना बना

Tuesday 12 January, 2010

जाने मनमोहन तुम कहा छिपे बैठे हो




जाने मनमोहन तुम कहा छिपे बैठे हो
याद न आती, क्या तुमको ?
क्यों इतना हमे सताते हो
जाने मनमोहन तुम कहा छिपे बैठे हो
इस दिल में अगर तुम छिपे बैठे हो
तो सामने भी कभी आ जाओ
कभी श्याम सुन्दर दरस अपने करवा जाओ
आँख भी चाहती दीदार तेरा
आत्मा भी तरस रही हैं
ओह श्याम सुन्दर कब होगा दर्शन तेरा

लिखू तो क्या लिखू घनश्याम?




लिखू तो क्या लिखू घनश्याम?
क्या तुम नही जानते
क्या हैं तेरे भक्तो के दिल का हाल
रोज़ रोज़ लिख के पाती
मै तुझको भेजती हु श्याम
के तेरे भक्तो के दिल के रास्ते
पहुँच जाएगा मेरा पैगाम तेरे पास
फिर आके सुध लेगा तू म्हारी
देगा दर्शन तू घनश्याम
पर तू क्यों न देता हैं कोई जवाब
क्या मैं दिल से तुझे पुकार नही पायी
या हैं कोई और बात!
शायद मुझे ही तुझे बुलाना नही आता
तो इक विनती कर मेरी तू स्वीकार
आके मुझको तू सिखाजा
के कैसे बुलाते हैं तुझको
यह आकर मुझको बतला जा...

सुन रे ओह श्याम!हां तू ही




सुन रे ओह श्याम!हां तू ही
मुझे तुझी से हैं कुछ काम
जानना हैं तोहे
के क्या हैं मुझे तुझ से काम
तो आना ही पड़ेगा तुझे मेरे पास
या बुलाना पड़ेगा मुझे अपने पास
कोई भी अपनाओ ढंग
करनी ही पड़ेगी तुझे मुझसे
कम से कम एक मुलाकात
देने ही पड़ेगा दर्शन एक बार
फिर ही बताउंगी मैं
के क्या हैं मुझे तुझसे काम
इसलिए जरा भी देर न लगाना
खबर पाते ही यह
मुलाकात का कोई बहाना बनाना
चलो थोड़ी देते हैं हम तुम्हे राहत
जानते हैं के तुझे हैं बहुत से काम
जब लगे के सुन लेनी चाहिए
अब मुझे इसकी भी बात
तो कोई बनाना बात
और करवा देना मेरी तुझसे मुलाकात
समझे या नही समझे ओह श्याम!

कान्हा रे हम तुम्हे कहे तो क्या





कान्हा रे हम तुम्हे कहे तो क्या
तुम्ही बताओ क्या हैं तुमसे छिपा
सब जानते हुए क्यों ऐसे चुप बैठे हो
क्या देख रहे हो तुम घनश्याम
आ जाओ न
अब तो हमारी बातो को यूँ ही उडाओ न
इस दासी को भी अपनी कोई सेवा बताओ न
मुझे बृज रज बनाओ अपने चरणों से लगाओ
श्याम मेरे एक बार दरस देने आ जाओ न
या बना लो पाहन ही हमे बृज का
आन फिर उस पाहन पे तुम
अपने नाजुक चरण श्याम लगाओ
चाहे कुछ भी बनाओ
बस श्याम अपने दरस नित्य करवाओ

Tuesday 5 January, 2010

नयन मूँद न बंसी बजाया करो



यू नयन मूँद न बंसी बजाया करो
हमे श्यामसुंदर न इतना सताया करो
तेरी इस अदा पे लुट जाते हैं हम
हमे लूट यू इतराया न करो
यूँ नयन मूँद बंसी बजाया न करो
हमे श्यामसुंदर इतना सताया न करो
तेरी यह भोली सी सूरत दिल ले जाती हैं
दिल हमारा लेकर हमे चिढाया न करो
यू नयन मूँद कर बंसी बजाया करो
हमे श्यामसुंदर तू यू ही सताया करो

Monday 4 January, 2010

तू ही मेरा सहारा मुरलीवाले



तू ही मेरा सहारा मुरलीवाले
तेरे बिन मेरा न गुजारा मुरलीवाले
तेरी याद मोहे पल पल सतावे
हर पल चैन करार छीन मुझसे ले जावे
अश्रु जल आँखों में ले आवे
तू ही मेरे हर पल साथ निभावे
तू ही मेरा सखा,तू ही प्राण प्रीतम
तेरी ही राह यह आँखें कबसे निहारे
जनम जनम से तू ही साथ निभावे
अब तो आ जा मुरलीवाले