Saturday 7 February, 2009


मेरा सावंला सलोना फूलों से प्यारा हैं
हर अदा मेरे मोहन की न्यारी हैं
अगर रुष्ट भी होता हैं तो इक अदा बन जाती हैं
फूलों मे मोहन हैं कलियों में मोहन हैं
खुशबू में मोहन सुगंधी में मोहन
मोहन ही मोहन मोहन ही मोहन
मोहन की मोहिनी मूरत मैं मोहन
मोहन की मधुर मुस्कान हैं
मोहन की बंसी करती मधुर मधुर नाद हैं
मोहन में मैं मोहन में तू
मोहन से सारा संसार हैं
मोहन हैं प्यारा मोहिनी मुस्कान वाला
मोहन की मोहिनी पुकारें हैं
हर क्षण मोहन की राह निहारे हैं
कब आये मोहन कब आये मोहन
मोहन के मयूर भी अब आस लगाये हैं
मोहन मन में मेरे समा जा
मोहन मेरे आ जा
आ जा आ जा
रोम रोम मैं समा जा
आजा आजा आजा
मोहन...........

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