Tuesday 27 April, 2010



प्यारे मोहन की प्यारी हैं हर इक अदा
मुख पे पर्दा भी कर दे तो बनती अदा
तेरे दीवानों की हालत ना तुझसे छिपी
अब तो पर्दे को बेपर्दा करदो हरि
चलो आये पर्दों को हटाते हुए
अपनी टेडी चाल और मन्द मन्द मुस्काते हुए
आये विराजो मेरे दिल में मेरी सरकार
कर दो कृपा मुझपे, बुला लो वृन्दावन ओह श्याम
बुला लो मोहे तुम या, खुद ही चले आओ
करो कुछ तो कृपा अब मेरे श्याम

Sunday 25 April, 2010



ऐ श्याम साँवरे, मेरे दिल में बसा हैं तू आन साँवरे ,

दिल में बसकर तू पूछे मुझसे श्याम
क्या हैं दिल में तेरे मुझको बता
हर बात हैं तुझसे ही मेरी शुरू
तू ही हैं मेरी हर बात साँवरे
जरा दर्शन देने आजा मेरे साँवरे
मेरे दिल में बसा हैं तू आन साँवरे
अपने भक्तो से मुझको तूने मिलाया
मेरा जीवन ही तूने धन्य बनाया
मेरे जीवन में लाया अपने नाम का प्यार
मांगू यही मैं तुझसे वरदान
तेरा नाम रहे जीवन में सदा
भूलो ना बिसरू इक पल भी इसे
मेरा जीवन ही बन जाए तेरे नाम का प्यार
दर्शन देने इक बार आ जाओ मेरी सरकार

Saturday 24 April, 2010

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घनश्याम तुम्हे ढूँढने जाए कहाँ कहाँ !
अपने विरह की आग बुझाए कहाँ कहाँ !!

तेरी नजर में जुल्फों में मुस्कान में !
उलझा है दिल तो छुडाये कहाँ कहाँ !!
घनश्याम तुम्हे ढूँढने...................

चरणों की खाकसारी में खुद ख़ाक बन गये !
अब ख़ाक पे ख़ाक रमाये कहाँ कहाँ !!
घनश्याम तुम्हे ढूँढने...................

जिनकी नजर देखकर खुद बन गये मरीज !
ऐसे मरीज मर्ज दिखाए कहाँ कहाँ !!
घनश्याम तुम्हे ढूँढने...................

दिन रात अश्रु बिंदु बरसते तो है मगर !
सब तन में लगी जो आग बुझाए कहाँ कहाँ !!

घनश्याम तुम्हे ढूँढने जाए कहाँ कहाँ !
अपने विरह की आग बुझाए कहाँ कहाँ !!





By:Kanha ka pyara!

Friday 23 April, 2010



कान्हा रे ओह कान्हा रे
बड़ा तू लागे प्यारा रे
सीस पे सोहे तेरे मोर मुकुट
कानो में झूले कुण्डल प्यारे
केसुओं की लटे उड़ उड़ चूमे गाल तुम्हारे
नयना तेरे मतवारे
तेरे प्यारो के प्राण लिए जाए नयना प्यारे
पग में छम छम नुपुर बाजे
गले वैजन्ती माल साजे
अधरों में छाई मुस्कान तेरे
तेरे भक्तो का हिये लिए जाए
कान्हा रे ओह कान्हा रे बड़ा तू लागे प्यारा रे

Wednesday 21 April, 2010



कहा जाए छिपे बैठे हो कान्हा
कहा चले गए हो के सामने आते ही नही
सामने होकर भी दर्शन ना देते हो
इतने करीब हो पर दूरी इतनी के दिखाई भी ना पड़ते हो
कहा जाए छिपे बैठे हो?
इन नैनों की प्यास का भी कुछ करो ख्याल
कुछ तो करिये हमारा ख्याल
अपनी कृपा की इक नजर ही कर दो
मेरा हाथ पकड़ शरण में अपनी रख लो

Tuesday 20 April, 2010

कान्हा रे ओह कान्हा रे
आप तो जाए बसे हो मथुरा
ध्यान कुछ हमरा भी धरो
आकुल व्याकुल फिर रही हैं
कोई तो सन्देश अपना दो
हवा के झोंके में भी आहट तुम्हारी लगती हैं
फूल और पतियों में भी तुम्ही को ढूँढती फिर रही हैं
अब तो आ जाओ ध्यान कुछ हमरा भी करो
रोज़ तुम्हे देखने की तुमसे बात करने की आदत हैं हमारी
अब यू मुख ना हमसे मोड़ो
काहे जाए बसे हो मथुरा
अपनी बृज गोपीन का ध्यान तो धरो

Sunday 18 April, 2010

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मेरे श्याम मेरे प्यारे,मधुसुदन बृजराज हमारे
बड़ा प्यारा दिया तोहफा तूने मेरी सरकार
करू कैसे मैं तुम्हारा वन्दन, कैसे करू तुम्हारा गुणगान
हरि एक बार दर्शन देने आ जाओ मेरी सरकार
युगल छवि के दर्शन चाहू,
राधा जू के हाथ तोरी बाँसुरी पकडाऊ
राधा जी बजाये बाँसुरी की तान
तुम करो नृत्य मेरी सरकार
बोले तेरी पायल राधा जू का नाम
हरि आ जाओ दर्शन देने इक बार
हरि आ जाओ हरि आ जाओ

Thursday 8 April, 2010

कान्हा रे ओह कान्हा अब तो आ जा
कब से तेरी राह लगाये,
कब से बाँवरे नयना तुझको बुलाये
अब तो आ जा
मेरा दिल तेरे दर्शनों की हैं आस लगाये
पल पल यह कान्हा तुझको बुलाये
हर पल संग मेरे रहना मेरे कान्हा
बस इसी आस के साथ सर मेरा हर जगह झुक जाए