Monday 31 August, 2009

मुरली



मुरली धन्य भाग्य तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
अधरामृत पिलाया अधरों से
नाजुक कर कमलो से उठा कर के
तुमको लगाया अधरों से
मुरली धन्य भाग्य तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
कोमल कर से वो उठाते हैं
तुम्हे अपने करीब हर समय बिठाते हैं
कभी अपने पास सुलाते हैं
कभी होंठो का रस तुम्हे पिलाते हैं
कभी बांध के अपनी कमरिया में
रसिया अपने साथ तुम्हे ले जाते हैं
मुरली धन्य भाग तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से

Sunday 30 August, 2009

मेरे मोहन का दीवाना



मेरे मोहन का दीवाना हैं संसार सारा
सुर नर मुनि जन ध्यावे इसको
सुनने को तरसे इसकी बाँसुरिया
इसके संग नाचन का पाले ख्वाब
करते हर समय इसका गुणगान
रटे हर समय इसका नाम
पुकारें हर समय तुझे ओह मेरे श्याम
कब आओगे मेरे श्याम
कब इस प्यासी पगली को दरस दिखाओगे
बोलो न कब आओगे?

Friday 28 August, 2009

राधा रानी प्यारी



राधा रानी प्यारी वृषभानु की दुलारी हैं
लगे बड़ी ही प्यारी सरकार हमारी हैं
ठाकुर की ठाकुरायण मोहन मोहिनी प्यारी हैं
कृष्णा से मिलावन वाली राधा जी सरकार हमारी हैं
राधा में कृष्णा समाये कृष्णा में राधा प्यारी हैं
भोली महारानी रसराज की प्रिया प्यारी हैं
यही राधा प्यारी रसराज से मिलावन वाली हैं
हे राधा प्यारी रसराज से मिला दो
रसराज के संग अपने प्यारे दरस करा दो
उस मुरली मनोहर चितचोर से
दो बातें हमारी भी करवा दो
हमे भी राधा प्यारी
अपने चरणों की दासी बना लो
हमे रसराज संग अपने दरस करा दो

Tuesday 25 August, 2009

क्या कहू मैं मोहन तुमको



क्या कहू मैं मोहन तुमको
कब से नाता मेरा तुम्हारा
कब से जानू मैं तुझको
कब से बना हैं रिश्ता हमारा
जब से यह दिल बना
इस दिल में तू बसा
जब जब चलती हैं सांसें
नाम लेती क्यों तुम्हारा?
क्या कहू मैं मोहन
कब से हैं नाता हमारा
जब जब छवि तेरी निहारी
नयन क्यों अटक गए उसपे बनवारी
क्या जानू मैं मोहन
कैसे बना यह नाता हमारा

Monday 24 August, 2009

हम खता पे खता किए जा रहे




हे कृष्णा.......................
इक हम हैं जो खता पे खता किये जा रहे
और इक तुम हो जो रहमत की नजर किये जा रहे
हम गुनाहगार हैं गुनाह पे गुनाह किये जा रहे
तुम दयावान हो दया पे दया किये जा रहे
हम रोज़ ही नया कोई अपराध किये जा रहे
और तुम मोहन मेरे अपराधो को क्षमा किये जा रहे
तेरी दया का न कोई पार हैं मोहन
तेरी दया पे हम जिए जा रहे
तेरे बिन न रह पायेंगे हम कहे जा रहे
फिर पता नही कैसे बिन तेरे रहे जा रहे
तुझे देखू तो इक टक देखे जा रहे
तेरे दरस की आस में जिए जा रहे
तुम आओगे इक दिन मुरारी
इसी आस में पल कटे जा रहे
तेरी रहमत की नजर हैं मोहन
तेरी रहमत के सदके हम
तुझे याद किये जा रहे
मन में तेरे आने की आस किये जा रहे

Sunday 23 August, 2009

नयना नन्दलाल के



नयना नन्दलाल के नेह बरसाते हैं
फिर ऐसा क्या दोष हम में
जो इस प्रेम से हम अछूते रह जाते हैं
कर दो दया की नजर ओह मुरारी
कब से अखिया हैं प्यासी
मोहन हुई होगी कोई भूल हमसे भारी
जो तरस रही हैं अखिया
कब से हे दरस की प्यासी
मोहन भूल हमारी कृपा कर भुला देना
हमे दरस अपने दिखा देना
गर कहे के आगे हम कोई अपराध न करेंगे
तो मोहन इसका भी पता हमे क्या हैं?
हम तो नित नया अपराध करते जाते हैं
और हर रोज़ तुम्हे
अपने अपराधो को भूलाने को कहते जाते हैं
और तुम हर बार हमे अपना बनाते हो
मोहन मेरे मुरारी प्रेम की एक बूँद पिला दो
हमे चरणों से अपने लगा लो

Saturday 22 August, 2009

अखिया



तरस तरस अखिया हैं बरसे
नैनों से छम छ्म असुअन बरसे
गिरधर तेरे दरस को
कर दो इक नजर कृपा की कुञ्ज बिहारी
दर्शन दो मोहे बनवारी
अब तो करो हम पे तरस
अपनी कृपा की कर दो इक नजर
मेरे दर्द की दवा सिर्फ तुम हो मोहन
कुछ तो करो बात
तुम बिन अधूरी हैं हर बात
कर दो दया की नजर नन्दलाल
आ जाओ मोरे गिरधर गोपाल
आवे न कुछ भी मोहे जानू न कोई बात
कर दो रहमत की नजर मोरे गिरधर गोपाल

Friday 21 August, 2009

नयना



तुध बिन तरसे यह नयना
बिन बादल बरसों से बरसे यह नयना
बरसे यह नयना हाय!तरसे यह नयना
सुन लो व्यथा इन नयनन की
लगी हैं आस इन्हे घनश्याम तेरे दरस की
पकड़ हाथ हमारा लो
चाहे जिस भी और हमे ले चलो
ले चलो ले चलो हमे ले चलो
जैसे भी रखो मोहन
बस प्रेम अपना दे दो
मन की आँखों से इक पल भी
ओझल न होना ओह मेरे श्याम
मेरे दिल समाये रहना
सदा सदा मेरे दिलदार
मेरे घनश्याम! मेरे दिल में समाये रहना

Wednesday 19 August, 2009

काबिल तो नही हैं तेरे श्याम



काबिल तो नही हैं तेरे श्याम
फिर भी गाऊ मैं तेरा नाम
पल पल आये तेरा ही ध्यान
काबिल तो नहीं हैं तेरे श्याम
आस बँधी फिर भी आयेंगे मोहन
देंगे दरस वो मुझको मेरे घनश्याम
काबिल तो नहीं हैं तेरे श्याम
फिर भी सुनने को धुन मुरली की
काहे तरसे मेरे कान
ओह कान्हा काहे तरसे मेरे कान
तेरे बिन अब पडे न चैना
तेरे लिए सारी दुनिया से लड़ बैना
देखा न मैंने कोई अपना पराया
काबिल तो नही हैं तेरे श्याम
फिर भी दरसन की लग गयी प्यास
हाय! काबिल तो नही हैं तेरे श्याम

Monday 17 August, 2009

बताना रे मेरे कान्हा रे



मेरे कान्हा रे मेरे कान्हा रे
आओगे कब जरा इतना बताना रे
बताना रे मोहे बताना रे मेरे कान्हा रे
पूछे यह पायल मेरी के घूंगरू
बताना रे मेरे कान्हा रे
कब सुनाओगे अपनी पैजनिया की छम छम
कब रचाओगे रास तुम हम संग
बताना रे मेरे कान्हा रे
मेरे कान्हा रे मेरे कान्हा रे
पूछे हैं मेरी कलाईयों के कंगन
खन खन छोर कब मचाएंगे चितचोर के कंगन
बताना रे मेरे कान्हा रे
मेरे कान्हा रे मेरे कान्हा रे
पूछे मेरी यह अटपटी वाणी तुमसे
आयेंगे कब मेरे श्यामसुंदर रे
सुनायेंगे कब अपनी प्यारी वाणी
सुनने को तरसे कान हमारे
आयेंगे कब रे श्याम हमारे
बताना रे मेरे कान्हा रे
मेरे कान्हा रे मेरे कान्हा रे
पूछे यह म्हारा हिये हैं तुमसे
आओगे कब मोहन हमसे मिलने
नेह जगाई प्रीत बढाई
अब काहे हमसे रुसवाई
आओ श्याम प्रियतम हमारे
बताना रे मेरे कान्हा रे
मेरे कान्हा रे मेरे कान्हा रे
पूछे यह मतवारे नयना हमारे
होंगे दरस कब अब तो बता दे
बताना रे मेरे कान्हा रे
मेरे कान्हा रे मेरे कान्हा रे

Sunday 16 August, 2009

मेरे बाँके बिहारी



मेरे बाँके बिहारी
मेरे माधव मदन मुरारी
सुन लीजो टेर हमारी
राह तके अखिया हमारी
रोम रोम को दरस प्यास हैं लागी
कुछ करो इंतजाम अब हमारा
अब हमे एक पल भी बिन तेरे न गवारा
दर्शन दो दिखलाये मोहन
दर्शन दो दिखलाये
अथाह प्रेम समुन्द्र मेरे मोहन
एक ही बूँद पिला जा
हमे अपने प्रेम का रसास्वादन करा जा
मोहन मेरे तू आ जा
काहे इतना तड़पाता हैं
क्यों दरस नहीं दिखाता हैं
भूल हमारी क्षमा करो
मेरे अवगुण चित न धरो
श्याम मोरे दर्शन दो

Wednesday 12 August, 2009

हमे अपना बनाओ



ऐ श्यामसुंदर हमे अपना बना लो
हमे वृन्दावन में बुला लो
अपनी प्यारी सी छवि हमे दिखाओ
चाहे फिर हमे तुम कुछ भी बनाओ
अपनी रसीली रसभरी वाणी सुनाओ
ऐ श्यामसुंदर मोहे तुम अपना बनाओ
मुरली की मीठी तान सुनाओ
मुरली की तान सुना कर
मदमस्त हमे बनाओ
हमे कान्हा वृन्दावन की बगिया का फूल बनाओ
कृपा कर उसे चरणों से अपने लगाओ
चाहे तो हमे फूल पे बेठी ओस की बूँद बनाओ
फिर उस फूल को अपने चरणों से लगा
उस बूँद को अपना स्पर्श दिलाओ
उसे अपने में विलीन करो
हमे श्याम अपना बनाओ
हमे श्याम तुम वृन्दावन की धूलि का कण बनाओ
उसे वृन्दावन में उडा कर
अपने चरणों से लगाओ
ऐ श्याम सुन्दर आ जाओ

Tuesday 11 August, 2009

मन मेरा करता हैं मोहन



मन मेरा करता हैं मोहन
बिना पर उड़ जाऊ मैं
उड़ के पास तेरे पहुँच जाऊ मैं
वृन्दावन में जा डालू डेरा
तेरी मुरली की तान में खो जाऊ मैं
बिना पर उड़ तेरे पास पहुँच जाऊ मैं
पता हैं के तू पास हैं मेरे हरदम
हर शय में तेरा ही रहन बसेरा हैं
होता हैं एहसास भी तेरा
पर इस दिल को कैसे समझाऊ
तेरे दरस को लोचते लोचन को क्या बताऊ
आ जाओ श्याम न अब तरसाओ
नैना बाँवरे भये दरस प्यास बुझाओ
कोई मुरली की टेर सुनाओ
श्याम मेरे आ जाओ

Monday 10 August, 2009

बैठी हु तुम्हे लिखने ख़त मेरे श्याम



बैठी हूँ तुम्हे लिखने ख़त मेरे श्याम
आवे न समझ में कुछ भी
कहू क्या मैं तोसे
क्या करू विनय तुमसे मुरार
बैठी हूँ लिखने ख़त मेरे श्याम
तेरी मुरली मन को चुरावे
हरे बांस की पोरी दिल लुट ले जावे
आँसू करे मेरे तेरा इंतज़ार
आजा वे श्याम आजा वे श्याम
बैठी हु लिखने तुम्हे ख़त मेरे श्याम
खता की होगी कई बार मैंने
मेरी हर खता को करना नजरअंदाज
मैं आई तेरे द्वारे ले दर्शन की प्यास
इस पिपासु की पिपासा कुछ तो मिटाओ
मुझे श्याम अपने दरस तो दिखाओ
अथाह प्रेम के समुन्द्र हो
इस समुन्द्र की इक बूँद ही पिलाओ
श्याम मेरे आ जाओ श्याम मेरे आ जाओ
बैठी हू तुम्हे लिखने ख़त मेरे श्याम

Saturday 8 August, 2009


कैसे तुम्हे बताऊ के क्या हो तुम हमारे
दीनबन्धु दीनानाथ प्राणधन तुम हमारे
दया करो कृपा करो कृपासिन्धु बनवारी
मुझ दासी को रख लो चरणों के पास
मैं आई शरण तिहारी मैं आई शरण तिहारी
दया करो कृपा करो वृन्दावन बिहारी
निज चरणों में मुझे बिठाओ
अपने चरण कमलो का धोवन मोहे पिलाओ
ओह!मेरे छैल छबीले रसिया
कृपा कर वृन्दावन मोहे बुलाओ
श्याम मेरे आ जाओ

Thursday 6 August, 2009

हे कृष्ण



हे कृष्णा मुरारी कृपासिन्धु मेरे बनवारी
कब से हूँ बैठी राह लगाये
अखियाँ अपनी रास्ते पे जमाये
के श्याम आयेंगे
सुन्दर सुघर सलोना रूप दिखायेंगे
नील मणि नील वर्ण में अपने दरस करवाएंगे
नीले वर्ण पे सफ़ेद मोतियाँ माल होगी
कान्हा के सिर पे सजा मयूर पंखा होगा
होंठो से लगी प्यारी मुरली होगी
मुरली से बज रहे होंगे मीठे राग
सुनाएगी हमे कान्हा की मुरली
मनभावन बंसी की तान
श्याम सलोने आ जाओ
न इतना हमे तड़पाओ

Wednesday 5 August, 2009

नयना रिम झिम बरसे



नयना रिम झिम रिम झिम बरसे
तेरी याद में कान्हा
हाय!दिन रात यह तरसे
नयना रिम झिम रिम झिम बरसे
आँखें मेरी बहार आती
जब श्याम!याद तेरी आती
हर पल हर बात में तू
याद हमे आता हैं
याद आता हैं बड़ा ही रुलाता हैं
नयना रिम झिम रिम झिम बरसे
तुमसे मिलने को मोहन
यह मोहन की मोहिनी तरसे
नयना रिम झिम रिम झिम बरसे

Tuesday 4 August, 2009

हे भकतवत्सल!हे कृष्ण मुरार!



हे भकतवत्सल! हे मेरे कृष्णा मुरार!
सुना हैं मैंने के करते हो तुम
सबके मन की पूरण आस
जो जिस रूप में तुमको ध्याये
चाहे जिस भी रूप मैं तुम्हे
तुम देते हो दरस उसे
उस रूप का करवाते हो दर्शन
फिर काहे मेरी बारी
तूने इतनी देर लगाई
जनम जनम की प्यासी को
क्यों तू इतना तडपाये
काहे न श्याम तू अब तक आये
हे मोहन मुरार!
हर जनम में तुम मोहे अपना बनाओ
मेरे हृदय में अपने लिए नेह जगाओ
मोहे हर पल अपने दरस करवाओ
हे कृष्णा मेरे आ जाओ

सोहना श्याम!



मेरा श्याम सबसे सोहना सबसे प्यारा
कोई और न उस जैसा होना
मेरे श्याम की सोहनी अखिया
प्यारी अखिया मतवारी अखिया
अखिया बनाये दीवाना अपना
लूट ले जाए चैन-ओ-करार सबका
प्यारी अखिया सोहनी अखिया
मेरे श्याम के सोहने होंठ
प्यारे होंठ रसीले होंठ
रसभरे रसराज के रसीले होंठ
करदे इक मुस्कान से घायल
जो जरा सा मुस्कुरा दे
दीवाना अपना सबको बना दे
मेरा श्याम सबसे सोहना सबसे प्यारा
रखता सदा ख्याल प्रेमियों का
रहता सदा ध्यान प्रेमियों का

Sunday 2 August, 2009

यार मेरा बाँके बिहारी



ओह! मेरे वृन्दावन बाँके बिहारी दीनन हितकारी
कैसी अजब हैं तेरी यारी
न आये चैन न हो करार
हर समय रहे तेरा ध्यान
तेरी यारी सबसे प्यारी
सारे जग से न्यारी
पद गए तेरी यारी में
तेरी दिलदारी में
दिलदार बाँके बिहारी
यार तेरे बुलाएं तुझको
अपने यारो पे भी कर दो
दया की इक नज़र
अपनी यादो से मन को भर दो मेरे सनम
भीगी पलकों में आकर
बस जाओ इस कदर
के देखे न किसी और को हम
जाए जिस भी दर
वही हो जाए बाँके बिहारी का दर
कैसी अजब हैं तेरी यारी
बुलाएं तुझको तेरे यार बाँकेबिहारी

Saturday 1 August, 2009

कृष्ण प्यारे!



कृष्णा प्यारे!मुरली मनोहर नन्द दुलारे
हे बृज कुँवर! बृजराज हमारे
दया हमपे भी कीजो
इक मुरली की तान सुना दीजो
बाँके बिहारी हमे अपना बना लीजो
इस दासी को वृन्दावन बुला लीजो
हे कृष्ण मुरारी हे बाँके बिहारी
हमे अपने दरस करा दीजो
हमे अपने चरणन में जगह दीजो
हमे अपना बना लीजो