Monday 30 November, 2009
मुरलीवाले
मुरलीवाले सुन भी ले अब हमरी पुकार
करू मैं वन्दन बारम्बार
जाती तो हैं मेरी हर पुकार तेरे पास
फिर भी क्यों ना देने आता हैं तू
मोहे अपने दर्शन साकार
अपने प्रेम सागर की लहरों में
तू आ के कहीं हमे डुबो जा
हमे अपना बना ले कमलनयन
या कान्हा मेरा तू हो जा
मेरा इक तू सखा हैं श्याम
सखी अपनी को तू
दर्शन अपना देजा
Sunday 29 November, 2009
मेरे प्यारे मोहन,नीलमणि
मेरे प्यारे मोहन,नीलमणि
नीलम जडित मुकट सीस पे हैं सोहे
मकराकृत कुंडल झूल रहे हैं कानो में
उसपे यह तेरी प्यारी लट
कर रही शायद कुछ यह भी अदाएँ हैं
बड़े भाग्य हैं इन तेरी मतवाली लटों के
जो तेरा संग हर दम पाती हैं
होके दीवानी यह तेरी
तुझे पाने को आपस में ही उलझी जाती हैं
हवा के हर आते जाते झोंके से
जैसे इनकी उमंगें तरंगें बढती जाती हैं
तभी तो उड़ उड़ कर
गालो को श्याम तेरे सहलाती हैं
अब तुम ही बताओ इन्सा भाग्य किसी का होना हैं
यह तेरी प्यारी लटें तो बस
तेरी दीवानी हुई फिरती हैं
हमरे साथ भी मोहन करो ना कुछ बात
आ जाएँ तांकि इस बेचैन हृदय को करार
Saturday 28 November, 2009
ऐ मेरे प्यारे श्यामसुंदर,
ऐ मेरे प्यारे श्यामसुंदर,
क्यों नैनो को इतना तरसाते हो
क्यों हिये को हमारे तुम तडपाते हो
क्या हुई हैं भूल हमसे
जरा हमे इतना ही बताते जाओ
तुम क्यों नही करते मुझसे बात
जरा यह राज बताते जाओ
नैनो में लगी हैं असूअन लड़ी
मैं कबसे हूँ तेरे इंतज़ार में
तेरे ही द्वार पर पड़ी
पर तू दो शब्द भी मुझसे क्यों नही कहता
क्यों कर रखी हैं तुमने
मुझसे यु इतनी दूरी
इतने पास हो तुम
फिर भी क्यों मोहन हैं यह दूरी
दो बातें मुझसे भी तो करते जाओ
श्यामसुंदर मेरे मुझ पर कृपा करो
Thursday 26 November, 2009
श्यामसुंदर की यादें
श्यामसुंदर की यादें बड़ा ही सतावे
पर यह श्यामसुंदर मेरा
जाने क्यों अब तक न दरस दिखावे
जाने कौन भूल कर बैठे हैं हम
जो श्यामसुंदर मेरो रसिया
सामने होकर भी पर्दा न सरकावे
परदे में रहता हैं वो इस कदर
के न तो बेपर्दा होता हैं
और न ही छिपता है
परदे की ओट से ही वो देख रहा हैं
पागल बना रहा हैं दीवानों को
कृष्णा नाम के मतवालों को
Wednesday 25 November, 2009
साँवरे
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
मुझे बना कर गईया तुम
जरा लगाना हाथ ओह श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे..
मुझे बना कर मुरली तुम
अधरामृत पिलाना श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
मुझे बना कर पंख मयूर का
अपने पास ही रखना ओह श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
मुझे बना कर पुष्प माल
ह्रदय से लगाना ओह श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
मुझे बना कर पायल अपनी
चरणों से लिपटाना श्याम
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
मुझे बनाना चाही कुछ भी ओह श्याम
रखना सदैव मोहे अपने ही पास
साँवरे सुन लो मेरी पुकार
दर्शन दीजो आन साँवरे...
Monday 23 November, 2009
कहा हो छिपे तुम
कहा हो छिपे तुम?कहा हो छिपे
आन मिलो अब आन मिलो
तुम बिन न भाये कुछ
याद न आये कुछ
तेरी ही यादों ने ऐसा हैं मंजर बनाया
दिल-ओ-दिमाग पे छाए हो तुम्ही
जहा भी मैं देखू नजर आये हो तुम्ही
रातो को उठ उठ के तुझको निहारु
सो जाऊ तो सपनो में भी
मैं मोहन तुमको पुकारू
जागते हुए भी ख्याल तेरा सताएं
तेरी यादों में मोहन
तेरी यादो में मोहन
मैंने क्या नहीं कमाया
तेरी यादों ने ही मुझे
तेरा एहसास हर पल कराया
अब करो न देर गिरधारी
आ जाओ दरस दो मेरे नाथ
मेरे साँवरिया मेरे गिरधारी
Sunday 22 November, 2009
कैसे तुझे मैं बताऊ
Saturday 21 November, 2009
मीरा के मोहन
मीरा के मोहन सुनो हमारी भी पुकार
देने को दर्शन अपने प्यारे श्याम
आ जाओ एक बार,आ जाओ एक बार
रास्ता निहारें हम,तकें बार बार
आ जाओ गिरधर मेरे एक बार
मीरा हुई थी तेरी दीवानी श्याम
नाची गली गली बनके जोगन तेरी
तुझ में ही खो गयी
तेरी ही हो गयी श्याम
आ जाओ एक बार मेरे गिरधर गोपाल
किया कमला तूने था धन्ने को
हुआ फिरता था वो शोदायी
तेरी प्रीत में ओह साँवरिया
पागल हुआ हर कोई
मेरी भी सुन लो पुकार
आ जाओ मेरे गिरधर
कान्हा रे ओह कान्हा
Wednesday 18 November, 2009
कुँवर कृष्ण कन्हाई
हे कुँवर कृष्णा कछु कृपा कीजे
प्रेम धन हमको भी दे दीजे
कछु कृपा कीजे
टेडी चितवन से इक बार
हमको भी देख लीजे
हाय श्याम घायल हमको ही कीजे
कछु कृपा कीजे
थारी दीवानी,फिरू मस्तानी
ढूँढू तोहे पाऊ तोहे
बनके तेरी दीवानी
हे कुँवर कृष्ण कन्हाई
मैं तो लुट गयी तुझ पे
यूँ ही बैठी बिठाई
यह हाल हैं मेरा तब
के जब उन्होने पर्दा अभी
जरा भी सरकाया ही नही
गर गिर जाए वो पर्दा तो....
ऐ श्याम सुन्दर अब तो
कछु कृपा कीजे
प्रेम धन हमको दे दीजे
आपकी दरस प्यास और तेज कर दीजे
यह आँसू
दरस प्यास लागी हैं मनमोहन
दरस प्यास लागी हैं मनमोहन
अब आ जाओ
दो बूँद अपने प्रेम समुन्द्र की
हमको भी तो पिला जाओ
नैनो का जल बन के धारा
बहता ही जाए तो क्या करू
रोके से भी न रुक पाए
तो तू ही बता मैं क्या करू
तेरे बिन कहीं चित लगता नही
तेरे नैनो के सिवा कहीं और
डूबने को मन करता ही नही
तो बता न मनमोहन बता
मैं क्या करू?कब आएगा तू
कब इन नैन बरसात की आस पुजाएगा तू
ऐ श्याम कब आएगा तू
अब और न कर देर
मोहे तू अपने हिये में समा ले
मोहे तू अपना बना ले
Friday 13 November, 2009
ऐ श्याम पुकारू
ऐ श्याम पुकारू तोहे बारम्बार
आजा श्याम आजा श्याम
दे जा मोहे तू अपना दीदार
अपने ही रंग में तू मोहे रंग दे
दीवानी अपनी मोहे बना जा
मेरी आँखों में तू अपना
प्रेम समुन्द्र का जल छिड़का जा
मेरे हृदय सिंघासन पे आ
मोहे श्याम खुद बी खुद अपनी बना
मैं न जानू कुछ भी
ज्ञान भक्ति वैराग्य कुछ भी न जानू श्याम
जानू तो बस तेरा इक नाम जानू
बस इतना ही जानू
के तू हैं मेरा सचा सहारा
तू ही मेरा यार तू ही दिलदार
तू ही तो हैं मेरा प्रीतम प्यारा
आजा न श्याम आजा
Thursday 12 November, 2009
कैसी लीला
कैसी लीला तू श्याम दिखा रहा हैं
इंसान ही बन बैठा दुश्मन
प्यारे भोले भाले जीवो का
क्या बिगाडा इन्होने किसी का
जो यूँ हत्यारा बन बैठा इंसान
शायद यह इंसान हैं ही न
इंसान के भेस में छिपा शैतान हैं
आ ना सांवरिया कर अब सबका उद्धार
तेरा नाम जपने से तो
कहते हैं न हो जाता बेडा पार
पर मुझे कुछ न चाहिए श्याम
अब आ जा
कर दे अब तू इनका कुछ इंतजाम
श्याम तेरी राह निहारु
हर पल सिर्फ तोहे पुकारू आ जा रे
सुन ले मेरी पुकार
कैसे करू कान्हा मैं तेरा श्रृंगार
पायल पहनाऊ मैं पग में
चरणों से तेरे लिपट लिपट जाऊ
मैं तो श्याम तेरे गुण गाऊ
चाहे न जानू मैं करना तेरा गुणगान
फिर भी अपनी अटपटी भाषा में
हरदम सिमरु मैं तेरा नाम
कोई कर यतन कोई कर प्रयास
बुला ले मोहे अपने चरणों के पास
चाहे मुझे बुला ले या खुद आ
अब तो कर रही सारी दुनिया इंतज़ार
तेरे सब भक्तो को हैं बस तेरा सहारा मेरे श्याम
अब आ जा अब न देर लगा
देख कैसे हैं जुल्मो की आंधी छाई
अब आ जा अब आ जा
सुन ले मेरी पुकार
Tuesday 10 November, 2009
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
चरणकमल में मुझे रख लीजे
कृपा कीजे कृपा कीजे
चरणकमल रज मुझको दीजे
दासी अपनी मोहे बना लीजे
मोहन चरणों में अपने मोहे रख लीजे
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
चरणकमल में मुझे रख लीजे
कृपा कीजे कृपा कीजे
बना दो मोहे तुम इक घुंघरू
पायल में तेरी छम छम बजा करू
नाचा करू मैं संग संग में तेरे
कृपा कीजे कृपा कीजे
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
चरणकमल में मोहे रख लीजे
बना दो मोहे तुम पुष्प की पाती
भक्तो के हाथो से चरणों में आऊ
भक्तो के संग संग नाम तेरा मै गाऊ
तुझ पे हो अर्पण तुझी की हो जाऊ
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
चरणकमल मै मोहे रख लीजे
कृपा कीजे कृपा कीजे
Monday 9 November, 2009
बस तुम आ जाओ
दिन, महीने,ऋतू,गुजरे कई हैं साल
तूने होकर के साथ भी
क्यों न दरस दिखाया श्याम
माना के काबिल हूँ नही तेरे दरश के
फिर भी मन में लगाई हुई हैं आस
तेरा नाम रटती हैं मेरी हर शवास
कहती हूँ पल पल तुझे साँवरिया
आ जा दे जा दर्शन इक बार साँवरिया
तू नैना मूँद खो ख्यालो में राधा जू के
सुनाना बांसुरी की प्यारी तान
ओह श्याम....क्या कहूँ,
कुछ कहा ही नही जाता
बस तुम आ जाओ
Sunday 8 November, 2009
मेरी श्यामसुन्दर से लगी यारी
मेरी श्यामसुन्दर से लगी यारी
श्यामसुन्दर से मेरी प्रीत पुराणी
दिन में आवे न तनिक चैन
रातो को सतावे तेरे मीठे बैन
क्या कहू मै कान्हा
आँखों से ओझल हुई हैं नींद
मन मे बसी हैं तेरी मूरत सुहानी
आ जा श्यामसुन्दर बुलाते हैं तेरे मीत
आ जा प्यारे सुना जा फिर कोई प्यारा सा गीत
दे जा दरस तू अपने
बना जा अपना जरा साँवरिया
Saturday 7 November, 2009
बृजराज कन्हैया की अनोखी हैं अदा
बृजराज कन्हैया की अनोखी हैं अदा
पर्दानशीं हैं वो साँवरा मेरा
मुझमे ही बैठा हैं वो छिप के कहीं पे
रोम रोम में हैं मेरे अंतर मन में
हम में रह कर हमी से करते हैं पर्दा
देखा हैं ऐसा दिलदार कहीं साँवरा
हम भी उसको ही पुकारें हैं
जिद्द अपनी हम भी ठाने हैं
इक बार तो दर्शन करवा दो बिहारी
इक बार तो आ जाओ
मुरली की तान सुना जाओ
मेरी आत्मा में तुम समा जाओ
मुझे अपना तुम बना जाओ
मुझे अपने में समा जाओ
श्याम सरकार मेरे इक बार तो आ जाओ
Friday 6 November, 2009
मनमोहन प्यारे बंसी की धुन तो बजा दे
Thursday 5 November, 2009
क्या लिखू क्या न लिखू
क्या लिखू क्या न लिखू
कैसे लिखू क्यों लिखू
इसी दुविधा में हूँ श्याम
तुम तो जानते ही हो न
मेरे हिये की हर बात
फिर क्यों लिखू
क्यों कहू कुछ भी तुम्हे
तुम्हे सबकुछ तो मालूम हैं
क्या छिपा हैं तुमसे
जो तुम्हे कुछ बताने का साहस करू
फिर भी नजाने क्यों
मेरे लबो पे आ जाती एक ही बात हैं
साँवरिया आ जाओ,अब न तड़पाओ
कहती तो हूँ यह पर तुम जानते हो
इस तड़पन के लिए भी कितना तडपती हूँ
नही चाहती मैं इस तड़पन से मुख मोड़ना
तेरी याद में जो मजा हैं
नही चाहती में वो छोड़ना
शायद इसीलिए तू
मेरी नजरो के सामने होकर भी मोहे तड़पाता हैं
सामने होकर भी नजरो को वो नजाकत न देता हैं
तू सामने हैं पर तेरे दीदार को तरसते हैं
क्या कहें अब इस तड़पन की बात
आनन्द की कोई सीमा नही तेरे प्रेम में मेरे घनश्याम
और मैं कुछ न जानने समझने वाली अनजान
कैसे पाऊ तेरा दीदार ,
तुम तो प्रेम समुन्द्र हो
मैं इक सूखा हुआ कतरा
कैसे गुण गाऊ तेरे घनश्याम
क्या लिखू क्या न लिखू
इसी दुविधा में हु श्याम
Wednesday 4 November, 2009
सितमघर,क्यों सितम हमपे ढा रहे हो
तुम तो यूँ मुस्कुरा रहे हो
सितमघर,क्यों सितम हमपे ढा रहे हो
मुरली को पकड़ अधरों से लगा रहे हो
अलोकिक बंसी की धुन तुम बजा रहे हो
पर हमपे तो कयामत ढा रहे हो
तुम तो सितम पे सितम किये जा रहे हो
अपनी नजरो से घायल किये जा रहे हो
कजरारी आँखों से चलाये कितने ही तूने बाण हैं
किया घायल कईयों को ,लगाया मरहम भी कई बार हैं
अब तो आ जाओ,रखो मोरी लाज ओह श्याम
प्रेम रूप घनश्याम,
अपने प्रेम समुद्र की इक बूँद पिला जाओ
श्याम मोरे एक बार आ जाओ
Tuesday 3 November, 2009
प्रेम प्याला
जरा आ निकल के तस्वीर से
तू कुछ इस तरह
के होश-ओ-खबर ना हो मोको
मैं तेरे ही रंग में रंगी रहू
तेरी चाह में गिरधर गिरधर गाती फिरू
तेरी नाम मस्ती में झूमु फिरू
तू आ जाए सामने
मुझे होश ना हो
मैं तो तेरे नाम वाला प्रेम प्याला पीती रहू
तेरे नाम की मस्ती चडी रहे
मेरी हर साँस तेरे चरणों में पड़ी रहे
मेरा रोम रोम तुझपे हो न्योछावर
हर करम में मेरे तू श्याम आना
यारो का हैं यार तू
मेरे संग जो लगाई यारी
तो इस यार को भी श्याम
तू दरस दिखा जाना
मोहे अपना दीवाना बना जाना
Monday 2 November, 2009
श्याम
सुबह से सांझ,सांझ से सुबह
हर पल बीता जाता हैं
सावन भादो हर ऋतू
आती और जाती हैं
पर तू क्यों नही आता श्याम?
क्यों हैं इतना तरसाता
अब न तड़पाओ श्याम
अब तो आ ही जाओ श्याम
सागर की हर लहर आती जाती हैं
आँखों से बिन्दु टपटपआते रहते हैं
तेरे इंतज़ार में व्याकुल नयना नीर बहाते रहते हैं
मन तडपता हैं दर्शन को तेरे
आजा श्याम आ जा
Sunday 1 November, 2009
बस उसी पल में .....
सच कहू ओह मेरे श्याम
आता नही हैं मुझे करना तेरा गुणगान
फिर भी अटपटी भाषा में
जो मन में आये बकती रहती हूँ
क्या अछा क्या बुरा
कुछ न होता हैं ख्याल
मैं तो बस करती हूँ
तुमसे अपने मन की बात
मुझे तू प्यारा लगता हैं
सारे जग से न्यारा लगता हैं
तेरी मुरली की तान सुनने को मन करता हैं
कभी तेरे पायल के घूंगरू की तान को दिल मचलता हैं
तो कभी मन में आई तेरी एक झलक
सब होश उडा देती हैं
हमे तेरा दीवाना बना देती हैं
रोम रोम नृत्य करता हैं
बस उसी पल में रहने को जी करता हैं
बस उसी पल में .....बस उसी पल में
Subscribe to:
Posts (Atom)