Friday 29 May, 2009

तुम बिन


मेरे साँवरिया घनशयाम रे
कैसे बताऊ तोहे तू ही मेरा दिलदार रे
तुझ बिन कुछ भाए न मोहे
तुझ बिन न कुछ सुहाए
तेरे बिन पगली हो फिरू
सुनती हूँ सबके ताने
आ जा इक वारी मेरे नन्दलाल रे
सुन रखी हैं बहुत तारीफ तेरी
चर्चे बहुत सुने तेरे हुस्न के
इक वारी अपना हुस्न हमे भी तो दिखा
चाहे हमारी कोई भी बात मान
बस एक बार अपने चरणों से लगा
हमे अपने निकट अपने पास बुला
हमे भी तुमसे बातें करने का अवसर दिला
हमे भी अपनी नुपुर की रुनझुन सुना
कोई प्यारी मुरली की तान सुना
आ जा अब आ जा कान्हा
अब तो वक़्त कटता नहीं काटे से
हर पल तेरे आने का एहसास कराता हैं
जाने किस पल आ जाए तू
इस बात से भी हिये मेरा घबराता हैं
अब तो बस तू आ जा
अपने प्यारे प्यारे दरस दिखा जा

Thursday 28 May, 2009

कब आओगे ?


कृष्णा प्राण प्रीतम हमारे
कब आओगे कब होंगे दरस तिहारे
कब लोगे टेर इस दासी की
आ जाओ न अब मोहे न सताओ
मेरी आँखों मैं समा जाओ
मेरे हृदय में विराजो राधा संग सरकार
आजाओ बाँके बिहारी मदन गोपाल
यह दृग बिन्दु भी बह बह हार गए
मगर तुम न आये श्याम सुंदर
इन असुअन की लाज बचाने आ जाओ
अगर हुई कोई गलती हमसे
तो भुला कर उसे
मोहे चरणों से अपने लगाओ
मुझे अपना कुछ भी बनाओ
बस अपना बनाओ
श्याम आ जाओ

Wednesday 27 May, 2009

इंतज़ार


कान्हा मेरे करूं हर पल तेरा इंतज़ार
तेरे इंतज़ार में कटती हैं हर सुबह शाम
रात भी करवटो में निकल जाती हैं
मगर तेरा इंतज़ार वैसा ही रहता हैं
तू न आता हैं,तो मन बहुत घबराता हैं
ऐ श्याम अब जो तेरे आने का संकेत हुआ हैं
गुजरता नहीं इक पल भी मेरा
हर पल तेरी यादों में भरा रहता हैं
उस पल में मन खोना चाहता हैं
जिस पल मेरे सारे पल होंगे
जिस पल तू आएगा
मुझ पे इतनी कृपा करना
मुझे मोर मुकुट दरस करना
मेरे कानो में बंसी की धुन सुनाना
मुझे मस्त बनाना,मेरी सुध बुध गवाना
मगर अपना प्रेम मुझे देना
मुझे निज चरणों से लगाना
मेरे नैनो से अश्रु धार बहाना
श्याम मेरे आना तो मोहे भी कृपा कर दरस दिखाना
श्याम आना श्याम आना

Tuesday 26 May, 2009

मिलन की आस


मोहन तेरी बातें बड़ी ही प्यारी हैं
कभी तो हसाती तो कभी रुलाती हैं
यह कैसे दे रहा तू सन्देश हैं
इन संदेशो मैं ही डूब जाने को मन आतुर हैं
अब तो मेरे बाँके बिहारी आयेंगे
मुझे अपनी सांवली सुरतिया के दरस करवाएंगे
मुझे अपनी प्यारी बंसी की तान सुनायेंगे
बिहारी आयेंगे बिहारी आयेंगे बिहारी आयेंगे
इंतज़ार में बीत रहा हैं हर पल
कब वो पल आये कब दरस हो तिहारे
कब तू आ जाए साक्षात मेरे सामने
कुछ समझ नही आ रहा के क्या करू क्या न करू
बस जल्दी से वो पल आ जाए
जिस पल में मैं तेरे चरणों में गिर के में मचल जाऊ
यह इंतज़ार भी कितना अजीब हैं
पिया मिलन की आस करीब हैं
आने को हैं समय तेरे दरस का
मगर ओह छलिया इस बार कोई छल न कर जाना
मोहे भी कृपा कर अपने दरस करवाना

Monday 25 May, 2009

कैसे?



कैसे तेरी बातों को समझ पाऊँगी श्याम
कैसे समझू तेरे इशारे
कैसे पुकारू तोहे श्याम
कैसे होंगे दरस तुम्हारे
आके बता जाओ इक वार
देते हैं सब ताने
सब अपनी अपनी बात मनवाए
मगर तेरे बिन कोई न मोहे समझ पाए
सब की होती होगी कोई बात निराली
मगर मेरी सांवली सरकार
सब निरालो से निराली
अद्भुत छवी हे इसकी प्यारी
देख ले जो इक वार
तो लुट जाए दुनिया सारी
इस छवी पे सारा जहाँ बलिहार
करता हैं कृष्णा तेरा गुणगान
वो अद्भुत छवी निराली
मोर मुकुट धारी
मुरलीधर कृष्णमुरारी
हमे उस छव के दरस करवाओ
हमे भी तो प्यारी मुरली की तान सुनाओ

Sunday 24 May, 2009

कैसे करू इजहार



कैसे करू इजहार अपने दिल का हाल
शब्द भी छोड़ रहे हो जब साथ
मन व्याकुल हो रहा हो
पल पल तेरी यादो में रो रहा हो
तुझे ही ख्वाबो में संजो रहा हो
तो बता कैसे बताउं में अपना हाल-ए-बयान
किस से कहूँ जा के
करू किस से में कोई विनती या अरदास
जो पहुंचा दे मुझे मेरे ठाकुर के पास
क्या करू कैसे करू कोई यतन या प्रयास
जिस से मिल जाए मोहे प्रेम रस की आँख
जो करवा दे दरस बिहारी तेरे इक वार
ओह साँवली सरकार मेरे यार मेरे दिलदार
आजा ना तू इक बार

Thursday 21 May, 2009

श्याम कोई बात बना


श्याम कोई ऐसी बात बना दे
हर शय में अक्स तू मोहे अपना दिखा दे
हर चीज मैं तू समाया हैं
जीव निर्जीव हर किसी में तूने अपना घर बनाया हैं
इस अधम को भी तूने अपनाया हैं
अब जरा अपने दर्शन भी करवा दे
चाहे किसी भी रूप मैं आना मोहन
बस सिर मोरमुकुट कर मुरली
उर माल पहनते आना
अपने प्यारे अधरन पे धर बांसुरी
कोई तान मीठी सुनाते आना
कट पीट पीताम्बर कमरबन्ध लाल पहनते आना
पाँव मैं नुपुर,हाथ में कंगन छनकते आना
श्यामवर्ण श्याम भाल पे तिलक विशाल लगाते आना
जुल्फे प्यारी हवा में लहराते आना
अधरं मुस्कान सजाते आना
श्याम मेरे राधा जू को संग लेते आना
फिर करूंगी में श्यामा जू से विनती
के मोहे श्यामा अपने दल में मिला लो
मोहे बिहारी जी की बना दो

साँवरिया चितचोर ग्वाले



साँवरिया चितचोर ग्वाले
मधुसूदन मनमोहन नटवर प्यारे
नैनो से अपने तू मोहे पिला दे
अपने नैनो के अथाह समुन्दर में डूबा दे
प्रेम रस की गगरी
थोडी मुझपे भी छलका दे
मोहे भी तो तू अपनी
रूपमाधुरी के दरस करवा दे
मोहे अपने नैनो के भँवर में फसा दे
इन नैनन के जाल में कहीं उलझा दे
इनके मोह पाश में जकडा दे
ऐसे पकड़ लो मोहे तुम बनवारी
के रहूँ हर दम तेरे संग में कृष्णा मुरारी
इक पल इक क्षण भी न हो ऐसा
जिस पल जिस क्षण में तुम न हो
तुम्हारे सिवा न रहे कुछ याद मोहे
ऐसी कोई बात बना दो

Tuesday 19 May, 2009

कृष्णा कन्हैया साँवरे
मुरली बजैया घनशयाम रे
आना चित चुराना मेरा श्याम रे
बंसी वट पे बेठ दीवाना बनाना
मोहे मेरे श्याम रे
कृष्णा कन्हैया साँवरे
मुरली बजैया घनशयाम रे
अधर सुधा रस पिलाना मेरे श्याम रे
नैनन से मोहे दीवाना बनाना
मुरली की धुन पर मोहे नचाना
अपना मोर मुकुट वाला रूप दिखाना श्याम रे
अपना मोरो जैसा नृत्य दिखाना
हर पल मोहे अपनी पगली बनाना
दीवानों जैसा हाल बनाना
मेरा सब कुछ तो लूटा तूने
अब अपने दरस तो दिखाना श्याम रे

Sunday 17 May, 2009

केसू श्यामसुंदर के

कृष्णा जीवनधन हमारे
हमारे प्राणों से प्रिये प्राण प्यारे
अजब छटा तेरी छाई हुई हैं
नभ पे घटा से आई हुई हैं
इन घटाओं की ओट से
काले काले घुंगराले केसू तेरे लहराते हैं
लहर लहर बहती पवन के संग
पागल हमे बनाये हुए हैं
तेरे केसुओं के जाल में
फसने के लिए हम कतार लगाये हुए हैं
तेरे मुख को चूम चूम कर यह
दीवाने इन केसुओं के हमे बनाये हुए हैं
दीवानों के दीवानगी को यह और बढाये हुए हैं
और श्यामसुंदर .......
तुम भी तो इन्हें अपने सिर पर बिठाय हुए हो
तभी तो यह इतना इतराते हैं
हवा के हर झोंके के संग इठलाते हैं
उड़ उड़ कर तेरे मुख पर आते हैं
ऐ श्याम हमे भी इन केसुओं में शामिल कर लो
हमे भी अपना कर लो

Saturday 16 May, 2009

श्यामसुंदर झर झर नीर बहाए अखिया
हर पल तुझे बुलाएँ
रह रह कर मोहन तुम्हारा ध्यान आये
कभी तेरी बांसुरी की धुन सताती हैं
तो कभी तेरी मुस्कान पागल बनाती हैं
कभी जलन होने लगती हैं
तेरी इन घुनग्राली लटो से
जो बार बार तेरे गालो को आ छूती हैं
कभी इन आँखों मैं डूबने को मन करता हैं
तो कभी तेरी बंसी की धुन बनने को मन करता हैं
तू कहा हैं रे श्याम कब तक करवाएगा इंतज़ार
आ जा ना मोहे कृष्णमय बना जा न
ना मोहे दिन का रहे ध्यान
न हो रात का ख्याल
कब ढली शाम कब हुआ सवेरा
कुछ भी रहे न ध्यान
सिर्फ रहे इक तेरा ही ख्याल
हर पल तेरा ही नाम गाती रहू
हर पल तुझे ही याद करती रहूँ
श्याम मेरे आ जा ना

Friday 15 May, 2009

श्याम मेरे

ऐ श्याम तुम बिन जाने न कोई मेरे भाव
तुम बिन आता भी नहीं मोहे करार
हर पल दिल तुझी को चाहता हैं
हर पल आस तुम्हारी होती हैं
तुम्ही जानते हो हमे
तुम्ही से हैं सब काम
तुम्ही से हैं प्यार
तू ही दोस्त हमारा हैं
तेरे बिन न तो मेरी कोई कश्ती
और न ही कोई किनारा हैं
तेरे आने की सुन जरा सी भी खबर
दिल धड़क सा गया हैं
चाहे तू हैं अब भी मेरे साथ
मगर नीलमणि मुरलीधर
मुझे मोर मुकुट धारी अपने दरस करवा दे
मोहे अपने चरनन की दासी बना दे
श्याम मेरे आ जा
इक झलक मोहे तू अपनी दिखा जा
मेरी किश्ती अपनी प्रेम समुंदर
में बीच भवंर डूबा जा
मुझे कृष्णा प्रेम समुंदर
में कहीं डूबा जा
श्याम मोरे आ जा
कृष्णा अपने नाम की रटन लगा जा

Thursday 14 May, 2009

कृष्ण प्राण हमारे

कृष्णा हमारे प्राण
तुम्ही हो जीवन आधार
तुम बिन न कछु भाए
तुम बिन न चैन आये
बोलो न कैसे मनाऊ तुझे
कैसे रिझाओं तुझे
किस विध मिलेगा तू श्याम
किस विध देगा दरस इस पागल को
इस पागल को अपना लो श्याम
इस पगली को अपनी प्रेम दीवानी बना लो श्याम
ओह मोर मुकुट वाले ओह बंसी धर
आ जा ना नीलमणि श्यामवर्ण प्रेम रस बरसा जा ना
तू श्याम आ जा ना
अपनी प्यारे से होंठो से एक मुस्कराहट दिखा जा ना
अपने कजरारे नैनो से हमे पागल बना जा ना
श्याम तू आ जा ना

Wednesday 13 May, 2009

ओह साँवरे गिरधारी

ओह साँवरे गिरधारी
कौन सी भूल हुई हमसे भारी
जो तू यूँ रूठ बेठा हैं
क्या अपराध किया हमने ?
जो तू हमे भूल बेठा हैं
बता ना श्यामसुंदर
एक दर्शन की ही बात हैं न
क्यों नैनो से नीर बहाता हैं
तेरे दर्शन की प्यास तुने ही तो लगाई थी
फिर हमसे यूँ रुसवाई क्यों
क्यों नहीं आते हो तुम
हां आते हो मान लेती हूँ
मगर सामने होकर भी छिपे रहते हो
यह नैना क्यों दिए तुने ओह श्याम
बेकार हैं यह श्याम
अगर तू इन्हे अपने दरस नहीं देता
यह दो नैना कहा सक्षम होंगे तेरे दर्शन के लिए
श्यामसुंदर आ जाओ ना
अब कुछ कहा नहीं जाता हैं
मेरे दिल का हाल तुम जानते हो
क्यों कर इतना तड़पाते हो

Tuesday 12 May, 2009

छवी तेरी सांवरे


छवि तेरी एक मन में बना रखी हैं
जाने कैसे यह मन में समा रखी हैं
सुंदर अलकावली तेरे गालो को चूमती हैं
यह कुंडल भी हिलोर ले ले तुझे चूम जाते हैं
मोर मुकुट सीस पे विराजा हैं
तिलक की शोभा तुम्हारे भाल ने बढा रखी हैं
तेरे दोउ सुंदर नैना कमलनैन
बाँवरे हमे बना बेठे हैं
इन नैनो में डूब जाना चाहते हैं
और इस सागर से
कभी बाहर ना आना चाहते हैं
तेरी पलकें प्यारी बड़ी मनभावन हैं
नासिका और कपोलो ने तो
लूटा तेरे दीवानों को
होंठो पे फैली एक प्यारी सी मुस्कान हैं
जिसके साथ साथ बज रही बंसी की तान है
कर्ण प्यारे घुनग्राली लटे चूम रही श्रृंगार को तेरे
मेरे नैना तोसे मिलन की आस लगाये हैं
मेरा दिल तोहे हृदय सिंघासन पे बिठाये हैं
श्याम मोरे आ जा
यमुना के तट पे बंसी तो बजा जा
श्याम मोरे आ जा

Monday 11 May, 2009

आज मन हैं


कान्हा आज मन है
तेरे नने नन्ने पाँव
में बंधे घुन्गरुओं की
झंकार सुनने का

कान्हा आज मन हैं
तेरे वो कोमल हाथों में
पकड़ी बांसुरी की तान सुनने का

कान्हा आज मन है
तेरी वो नाजुक कलाइयों में
पडे कंगन की खनकार सुनने का

कान्हा आज मन है
अपने दिल की हर धड़कन को सुनने का
और तुझ में खुद को लीन करने का
कान्हा आज मन है
आ जाओ एक बार ही दर्शन दे जाओ

Sunday 10 May, 2009

साँवरिया


साँवरिया चितचोर हमारे
कब आओगे प्राण प्रीतम हमारे
ब्रिज के राज दुलारे
नन्द नन्दन कन्हैया
यशोदा मात के प्यारे
माखन चुराने आ जाओ
दही की मटकी फोड़ने आ जाओ
किसी बहाने श्याम आ जाओ
माना के श्याम तेरा इंतज़ार बड़ा प्यारा हैं
बड़ा दुर्लभ तेरा इंतज़ार और तेरी जुदाई होगी
मगर जिसे भी मिली यह
उसने तेरे मिलने की आस तो लगाई होगी
अगर करती हूँ आस के तू आएगा
तू मोहे सुंदर साँवली सुरतिया अपनी दिखायेगा
तो श्याम सुंदर हमारे
प्राण प्रीतम प्यारे नीलमणि मोर मुकुट धारी
आ जाओ

Saturday 9 May, 2009

क्या कहूँ मैं तोसे


क्या कहूँ में तोसे
करूँ कैसे तेरा मैं वर्णन
तुझ बिन कुछ अछा लगता नहीं
तू पास न हो तो जी मेरा लगता नहीं
हर बात में तेरी बात ढूँढती हूँ
हर शय में अक्स तेरा चाहती हूँ
वर्णन तेरे को अल्फाज नहीं
मगर फिर भी गुस्ताखी करती हूँ
रोक न पाती हूँ खुद को
जब भी अकेला पाती हूँ
बातें करने तुझसे तेरे पास दोडी आती हूँ
क्या कहूँ में तोसे
तुम बिन क्यों दिल लगता नहीं
क्यों तेरी यादों में खो जाती हूँ
क्यों हर समय हर पल
तेरे ख्याल तेरी तम्मन्ना
मस्त बनाती हैं मोहे
कुछ तो बता दे मोहन
हमे अपना बना ले मोहन

Friday 8 May, 2009


तेरी यादें मोहे बड़ा सताती हैं मोहन!
तेरी यादें हर पल मोहे रुलाती हैं मोहन!
क्या करू मैं मोहन
लाख कोशिश के बाद भी यह आंसू आ ही जाते हैं
और आकर बड़ा ही सताते हैं
बता ना मोहन कब तक मैं यूँ
बता ना कब तक यूँ छिप छिप नीर बहाती रहूंगी
कब तक तेरी यादों में खुद को तडपाती रहूंगी
मोहना मोहे वृन्दावन के वृक्ष का एक पत्ता ही बना दे ना
फिर उसे वृन्दावन की रज में मिला देना
उस धरा पे आ बनवारी
बांसुरी की धुन तो मोहे सुना देना
श्याम मेरे आ जाना
देर ना लगाना ना ही बहुत जल्दी आना
जो तुम ना आओगे तो यह आंसू बहते रहेंगे
यह दिल हर पल तोहे चाहता रहेगा
तोहे ही याद करेगा तेरा ही हैं
तेरा ही बन जायेगा

Wednesday 6 May, 2009

ऐ श्याम


ऐ श्याम जरा इक बात बता
क्या यूँ ही तू हमे तड़पाता रहेगा
क्या यूँ ही मेरे नयनो से
तू अश्रु धार बहाता रहेगा
क्या कभी साकार दरस तेरा न पाऊँगी
क्या कभी प्यारी मुरली की तू धुन न सुनाएगा
बोल ना बोल ना श्याम मेरे तू कब आएगा
कब तू मोरो को नाचएंगा
क्या यह नयना प्यासे
यूँ ही झर झर बहते रहेंगे
क्या यह कान बाँवरे
तेरी मुरली की धुन को तरसते रहेंगे
कब तक करवाएगा इंतज़ार
इक बार आ जाओ
प्यारी मुरली की तान सुना दो
पागल हमे बना दो
अपनी प्यारी सी मुस्कान दिखा दो
दीवाना अपना हमे बना लो
आ जाओ श्याम आ जाओ
हम पे भी अपनी प्रेम सुधा बरसाओ
श्याम साँवरे रसिया चितचोर आ जाओ

Tuesday 5 May, 2009

कृष्ण मेरे श्यामसुंदर मेरे कन्हैया


कृष्णा मेरे श्यामसुंदर मेरे कन्हैया
तुम्हारी याद बहुत आती हैं
मुझे बहुत रुलाती हैं
खुद ही हसाती हैं
पागलो सा व्यवहार हो गया हैं मेरा
कभी तेरी यादों में आंसू छलक जाते हैं
कभी होंठ मंद मंद मुस्काते हैं
ओह जादू भरे श्याम
आ जाओ न कोई तो बहाना बनाओ
कैसे भी कर के श्याम
अपने दरस दिखाने आओ
अपनी प्यारी सी मुस्कनिया बिखराओ
अपने नैनों से इस भू मंडल को मस्त बनाओ
अपनी मधुर बंसी की कोई प्यारी
मदभरी रसीली तान सुनाओ
हमे अपने नित दर्शन करवाओ
चाहे हमे जो भी जैसे भी बनाओ
बस श्यामसुंदर अब चले आओ
मेरे हृदय में आकर के बस जाओ
मेरे श्यामसुंदर आ जाओ

Monday 4 May, 2009

आंसू



yeh aansoo hi to anmol ratan mere shyam ke
jiske pass aa jaaye
wo to bas ho jaaye mere shyam ka
yun in aansuon ko na thukrayiye
jo diya hain mere shyam ne
ussay prem se apnayiye
uski hr baat mein prem bhara hain
jaanay kya in aansuon mein bhi
koi shayad uska raaz chipa hain
shayad yeh prem khjana hain
jo hume humare pee se milvayega
kisi din shyam in asuan ki khatir hi
shayad chala aavega

मेरे श्यामसुंदर मेरे पिया


मेरे श्यामसुंदर मेरे पिया
आओगे कब तुम
दर्शन को तरसे जिया
नैना हो रहे हैं बाँवरे
तुम बिन ओह पिया
तुझसे बातें करने को
हाय तरसे जिया
तेरी मुरली की धुन
सुन मचलने को तडपे जिया
हाय रे श्यामसुंदर
तेरी यादों में डूबने को तडपे जिया
तुम बिन न आये करार
कैसे संभालूं खुद को
तू ही बता जरा मेरे श्याम
कब तू आएगा
कब मुझ अधम को दरस अपने दिखायेगा
कब मुरली की प्यारी सी धुन सुनाएगा
कब प्राण प्रियेतम
पायलों की रुनुक झुनक सुनाएगा
कब इस पगली को निज चरणन से लगायेगा
कोई तो बहाना बना
किसी न किसी विध श्यामसुंदर
मोहे तू अपने सुंदर सलोने दरस दिखा
मोहे अपने चरणों से धूल बना कर लिपटा
श्यामसुंदर आ जा

Saturday 2 May, 2009

मेरे बाँके बिहारी


मेरे बाँके बिहारी
साथ में सज रही हैं तेरे राधा प्यारी
तेरी शोभा हैं अति ही प्यारी
तेरी शोभा की कैसे करू बखानी
तेरी यह छवि मेरे मन को मोहे
छीन रही हैं चैन ओ करार मेरा
दिल लूट लिया इस छवि ने मेरा
जब चरण कमल तू अपने दिखावे
दीवाने तेरे उमड़ उमड़ तेरे चरणों में आंवे
तेरे चरणों ने दीवानी दुनिया बनाई
ब्रह्माण्ड सारा तेरे चरणों की जैकार मनावे
हर प्रकार से मेरे श्यामसुंदर को रीझावे
ओह मेरे बाँके बिहारी
मोहे भी कोई बात सिखा
जैसे भी तो रीझ जाये
वैसी ही हर बात मुझसे करवा
जैसा तुझको भाए
वैसा ही तू मुझको बना
मुझे श्यामसुंदर अपने चरणकमल सो लगा

Friday 1 May, 2009

लगन



लगन तुमसे लगा बेठी हूँ
दिल अपना गवा बेठी हूँ
सर्वस्व तुझी पे लुटा बेठी हूँ
हर हाल में मोहन
नाता तुझसे लगा बेठी हूँ
तुझसे ही दोस्ती मेरी
तुझीसे सारे नाते हैं
पहले तू हैं मेरे प्यारे
बाद में बाकी सारे हैं
जाने क्यों मुझे
तुमपे इतना प्यार आता हैं
हर क्षण कान्हा तू मुझे याद आता हैं
तू साथ साथ हैं मेरे
फिर भी तेरे ख्यालों से बाहर आती नहीं हूँ
तेरी यादों के सिवा कुछ जी चाहता नहीं हैं
हर समय तेरी बंदगी को जी चाहता हैं
तुझसे बातें करू तुझे निहारु तुझे पुकारू
ऐसा मेरा मन चाहता हैं
तू अब आ जा नीलमणि
कोई प्यारी सी धुन सुना जा
मोहे पिया अपने में समा जा