Thursday 21 January, 2010

माना के मनमोहन गलतीया हजार करती हु मैं



माना के मनमोहन गलतीया हजार करती हु मैं
इक पल में सो सो बार करती हु मैं
मगर सच में मनमोहन
तूझे दिल से याद करती हु मैं
इक पल में सैंकड़ो बार तेरा ख्याल आता हैं
कभी तो होगा दर्शन तेरा
बस इसी आस में यह दिल धड़का जाता हैं
पागल सी हो तेरे ख्यालो में खो जाती हु
एकांत में हो तुझे याद करने को जी चाहता हैं
भीड़ में भी तेरे साथ होने को जी चाहता हैं
सुख में दुःख में
इक तुझी से बात करने को जी चाहता हैं
अब देर न लगा कन्हाई
बात मेरी मान और जल्दी से आ जा
रूप माधुरी अपनी दिखा
मोहे अपना दीवाना बना

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