Saturday 30 January, 2010

मैं तो बस तेरी दीवानी मेरे श्याम
तेरे ही दर्शन की मुझको लगन लागी श्याम
पर मुझको कई बार समझ कुछ भी न आता हैं
क्या कहू मैं तुमसे श्याम
क्या लिखू,कैसे तुझे बुलाऊ,कैसे तुझे पुकारू श्याम
यह आँखें क्यों आँसू बहाती हैं
क्यों श्याम हिये मेरा तडपता हैं दर्शन को तेरे
जब तू हैं सामने मेरे,फिर क्या कमी हैं ओह श्याम
किस चीज की मुझको लगी प्यास हैं
ऐ श्याम...ऐ श्याम...मेरे श्याम ...प्यारे श्याम...
कृपा कर,कोई एक तो ख़त को उठा,
चाहे अपने किसी भक्त के हिये में ही बैठे
तुम कर लेना विनती मेरी स्वीकार
आन श्याम मुझसे करना कोई बात

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