Tuesday 12 January, 2010

कान्हा रे हम तुम्हे कहे तो क्या





कान्हा रे हम तुम्हे कहे तो क्या
तुम्ही बताओ क्या हैं तुमसे छिपा
सब जानते हुए क्यों ऐसे चुप बैठे हो
क्या देख रहे हो तुम घनश्याम
आ जाओ न
अब तो हमारी बातो को यूँ ही उडाओ न
इस दासी को भी अपनी कोई सेवा बताओ न
मुझे बृज रज बनाओ अपने चरणों से लगाओ
श्याम मेरे एक बार दरस देने आ जाओ न
या बना लो पाहन ही हमे बृज का
आन फिर उस पाहन पे तुम
अपने नाजुक चरण श्याम लगाओ
चाहे कुछ भी बनाओ
बस श्याम अपने दरस नित्य करवाओ

No comments: