Saturday 1 May, 2010



कान्हा देखे बहुत ही रंग इस दुनिया के
पर तेरे रंग सा गहरा कोई रंग नही
यह दुनिया कहने को बहुत ही प्यारी हैं
प्यार इसमें भी कुछ कान्हा कम नही
मगर सच कहती हू कान्हा
तेरे प्रेम जैसा प्रेम हरगिज नही
तेरे प्रेम का कण भी हैं कहीं
मुझे अपने प्रेम पाश में बांधो हरि
भटकाओ इधर उधर
रख लो मुझे अपने संग ही हरि

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