Monday 3 May, 2010

कान्हा रे किसी के संग ऐसा करियो
दे कर प्रीत प्यारी,
दिल में जगा कर एहसास हजारो
फिर उसे उस से जुदा मत करियो
गोपिया रोई बिलखी हर और नजर उन्हें तू ही आये
हर पल वो अपनी सोच में बस तुम्हे ही ले जाए
तुम्ही से करें वो साची प्रीत कान्हा
तू काहे उन्हें छोड़ कहीं चला जाए
तेरी आस लगा के वो वन वन घूमे
अभी जायेंगे मुरली मनोहर
यही आस बस मन में लगायें
रैन पड़े तो चैन खो जाए
आता होगा कृष्ण कन्हैया रास रचाने
यही आस मन में दबाएँ
हर घडी हर पल हर लम्हा करें इंतज़ार तुम्हारा
आजा रे ओह प्यारे कान्हा
अब तो दरस दिखा जा

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