Sunday 30 May, 2010

तेरी यादें भी बड़ी अजीब हैं कान्हा जब चाहा नही था चली आई याद तुम्हारी अब चाहते हैं जब यादों को तेरी बड़ी इतराती हैं यादें तेरी, न आती हैं यादें तेरी तेरी यादों की आती हैं याद कैसी रुलाती थी, कैसे सताती थी हमको तेरी यादें ओह मेरे श्याम अब तो तेरी यादों में रहने को करता हैं मन पर यह भी कम नही कुछ श्याम जब चाहो न आती हैं तब श्याम अब तो यादें तेरी हमको सताएं तेरी यादों की याद बड़ी आये

No comments: