Monday 10 May, 2010




कान्हा रे ओह कान्हा रे,
लगन जो लागी हैं अब तुम संग
उसे सदा निभाना रे, मेरे कान्हा रे
छोड़ना चाहू भी अगर साथ तेरा
छोड़ना मोहन तुम हाथ मेरा
आये चाहे कितने भी दुःख मेरे श्याम
रहे सदा मुझको तेरा ही ख्याल
आये चाहे खुशियों की कोई बहार
तुम रहना सदा संग ही मेरे नाथ
रटु हर पल मैं तो तेरा ही नाम
इतनी ही विनती करू तुमसे श्याम
रहना मेरे मन में सदा मेरी सरकार
करती हु विनती तुझे घनश्याम


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