Thursday 13 May, 2010
किस तरह करू मैं शुक्रिया तेरा कान्हा किस किस बात के लिए करू शुक्रिया कान्हा तू पास हैं यह एहसास हैं, दूरी का रहता फिर क्यों आभास है तूने दिया अपने होने का एहसास मुझको करू किस तरह इस बात का शुक्रिया तुझको तेरी दी सांसें नाम तेरा ले, तुझको ही पुकारें, तुझको ही निहारें ओह साँवरिया मांगे भी कुछ तो तुझी से हैं मांगे तुझ बिन जाए कहा यह दासी सुन लो विनती,मंजूर करो अर्जी हमारी तेरे बिन जाए कहीं न तेरी यह दासी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment