Friday 4 September, 2009

मोहन!



मोहन संकट में हैं यह पृथ्वी तुम्हारी
आके संकट उभारो संकटहारी मेरे बाँकेबिहारी
मेरे बाँकेबिहारी सुन लीजे टेर हमारी
आके फिर से महका दो हर सूनी डाली
तेरे दर्शन को बेकरार हैं आँखें हमारी
इन आँखों का पर्दा हटाओ मोहन
या खुद बेपर्दा हो जाओ मोहन
मोहे अपने दरस दिखाओ मोहन
इस दुनिया से दूर कही
अपने संग ले जाओ मोहन
आ जाओ मोहन

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