Tuesday 1 September, 2009

मोहन की नजरें



मोहन की नजरो ने लूटा हमे
दिल भी लूटा चैन भी लूटा
छीना हैं करार हमारा
करते हैं वार वो नजरो से
चुरा लेते हैं वो चित हमारा
घनश्याम घायल करते हैं दिल हमारा
हम रोये तब भी लोग पूछते हैं
क्या हुआ?कैसा हैं घनश्याम तुम्हारा
काहे को रोते हो?
क्या हैं यह सब माजरा तुम्हारा

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