Wednesday 9 September, 2009

पधारो गिरधारी



न तरसाओ प्यारे न इतना तड़पाओ
क्यों चैन करार छीनते हो आ जाओ प्यारे
आ जाओ प्यारे आ जाओ
करनी हैं तुमसे मोहे बस एक ही विनय पुकार
पधारो ओह गिरधारी,श्री राधा संग सरकार
पधारो कृष्णा मुरार ले कर अपनी बंसुरिया साथ
अपनी बांसुरी की वो रसीली तान सुनाओ न
हमारे मन की कसक जो हैं उसे भी पूरा कर जाओ न
हे श्री राधा के प्राण
अपनी भीनी भीनी मुस्कनिया से मस्त हमे बनाओ
अपनी मोहिनी अदा से घायलों को घायल कर जाओ न
यह घायल तेरे कुञ्ज बिहारी
तरसते हैं तेरी ही दवा को गिरधारी
इनको तो तेरा नोन लगाना भी सुहाता हैं
तेरी एक ही नजर इनका हृदय छल्ली कर जाता हैं

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