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Saturday 5 September, 2009
सखा कृष्ण
धन्य हुए भाग्य हमारे
जो कृष्णा बने हैं सखा हमारे
बन सखा वो मुझसे बतियाते हैं
कभी मुस्काते तो कभी रूठ जाते हैं
कभी रूठने पे हमारे वो हमे मनाते हैं
सब काज वो खुद करते जाते हैं
और नाम दूसरो का करवाते हैं
धन्य हुए भाग्य हमारे
जो कृष्णा भये सखा हमारे
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क्या लिखू मैं तोहे
आ जाओ घनशयाम
पधारो गिरधारी
श्याम मनहर बैठे छिप के कहा?
श्याम प्यारे प्यारे
आजा ओह काली कमली वाले
सखा कृष्ण
साँवरिया आ जाओ
मोहन!
श्याम के नयना कारे कारे
मोहन के चरण
मोहन की नजरें
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