Monday 31 August, 2009
मुरली
मुरली धन्य भाग्य तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
अधरामृत पिलाया अधरों से
नाजुक कर कमलो से उठा कर के
तुमको लगाया अधरों से
मुरली धन्य भाग्य तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
कोमल कर से वो उठाते हैं
तुम्हे अपने करीब हर समय बिठाते हैं
कभी अपने पास सुलाते हैं
कभी होंठो का रस तुम्हे पिलाते हैं
कभी बांध के अपनी कमरिया में
रसिया अपने साथ तुम्हे ले जाते हैं
मुरली धन्य भाग तुम्हारे हुए
मोहन ने लगाया अधरों से
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