Saturday 19 December, 2009

मोहन मेरे मन



मोहन मेरे मन के भाव मैं तुझसे क्या कहू
क्या तू नही जानता इन्हें
पहले खुद ही आते हो
हमे अपना दीवाना बनाते हो
फिर देखो न तुम
कैसे एक झलक के लिए भी इतना तडपाते हो
कईयों को तूने अपना दीवाना बनाया हुआ हैं
अपनी झलक दिखाने के लिए तरसाया हुआ हैं
अब तो आ जाओ न इक पल की देर लगाओ

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