Monday 7 December, 2009
तेरी बाँकी सी छवि
तेरी बाँकी सी छवि मेरे मन में समाए जाती हैं
नंदनंदन तेरा इक नूर सा रहता हैं ख्यालो में मेरे
जब भी मैं तोरी छवि निहारु ,बस उसी नूर में खो जाती हू
ऐसा लगता हैं के जैसे उसी में सिमट के तू
मोहे दर्शन देने आ जाएगा,मेरे परदे सब गिराएगा
मोहे तो जी भर के अपने सांवले सलोने से
प्यारे से ,नीलमणि कृष्ण दरस करवाएगा
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