Tuesday 29 December, 2009

ऐ श्याम इक बात तो बता



ऐ श्याम इक बात तो बता
जब भी तेरी याद आती हैं
यह आंसुओं का सैलाब क्यों उमड़ आता हैं
क्यों यह आँखों के किनारों को कर पार
मेरी पलकें भिगो जाता हैं
कभी तो यह आंसू बहुत ही रुलाते हैं
और कभी कभी तेरी यादें में
यही आंसू मुझे बहुत हसाते हैं
मेरे चेहरे पे एक मुस्कराहट सजा जाते हैं
पर कई बार में सोचती हूँ
के यह आंसू तेरी याद में क्यों आते हैं
क्यों मैं बेबस सी हो जाती हू
तेरी यादों में खो जाती हू
क्या कही मुझसे कोई भूल हुई हैं
जो तुम भी दरस नही दिखाते
और तेरी यादों के साथ
यह आँसू चले आते
पता नही क्या पाप मैंने किये होंगे
जो तू भी इतना हुआ मजबूर बैठा हैं
ना तो तू दरस देने आता हैं
ना ही मुझे बुलाता हैं
सामने रहकर मुझे यूँ तड़पाता हैं

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