Wednesday 30 December, 2009

अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला



अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला
आँखें बंद करू तो तेरे ख्यालो में खो जाना
आँखें खोलू तो सब कुछ ओझल हो जाना
तेरी तस्वीर को बस निहारना
करू तो क्या करू ओह श्याम
जब तुझ बिन और कुछ भी सूझे ना घनशयाम
तेरे नाम का लबो पे रहना
मन का मनमोहनमय हो जाना
वो इक पल ही बस
इक पल में ही सारी खुशियों का पाना
मैं क्या कहू मोहन?
अजब सी उलझन में हैं मुझको तूने डाला

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