मनमोहन कान्हा मेरे प्यारे,क्यों दिल को यू जलाते हो
ना सामने आते हो, ना छिप पाते हो,
चैन करार छीन हमारा, तुम हमसे क्यों भागे जाते हो
सुनो ना हम सबकी पुकार
आ जाओ वृन्दावन बिहारी तुम सामने आज
प्रेम की फुहारें बरसाओ, हमे अपनी नाम मस्ती में डुबो जाओ
आ जाओ आ जाओ
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