क्यों आजकल तूने मोहन,
मुझे मुश्किल में हैं डाला
मैंने तो चाहा था बस
तेरे ही नाम का रस
फिर यह क्या मुझपे छा रहा हैं
क्यों हर पल हर घडी हर लम्हा
मेरे दिल को इक अनजाना सा दर्द सता रहा हैं
मेरे मोहन मोपे कृपा करो
अपनी भक्ति का वर मोहे दो
मोहे अपने चरणों में श्याम रख लो
मोपे श्याम इक कोर कृपा की कर दो
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