Wednesday 22 April, 2009

श्याम हर शाम


श्याम!हर शाम याद आती हैं तेरी
हर शाम अपने संग याद लाती हैं तेरी
हर शाम श्याम श्याम गाती हैं
तेरी यादो का भंवर मेरे मन में उठा कर
मेरी आँखों के सागर में एक तूफ़ान लाती हैं
इस सागर की लहरें उशल उशल कर
किनारे से बहर आ जाती हैं
बता श्याम मेरे इसमें दोष किसका
मेरा?जो तेरी यादों में तड़पती हूँ
या उस शाम का
जो कर शाम श्याम की यादों में मोहे तडपाती हैं
मेरा चैन मेरा होश सब शीन ले जाती हैं
बता ना श्याम वो इंतज़ार तेरा हमे करवाती हैं
और हम इंतज़ार करते हैं
तो क्या दोषी हुए
बता ना आ ना

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