Saturday 18 April, 2009

ओह मेरे सांवरे


ओह मेरे साँवरे घनश्याम
सुनोगे कब तुम मुरली की तान
कब आओगे दरस देने मोहे
कब तक रहेंगे नैना प्यासे मेरे
कब तक चलता रहेगा यह सारा चक्कर
कब आओगे प्राण नाथ गोविन्द मेरे
लायक तो नहीं पाने के लिए दरस तेरे
फिर भी मोहन आस लगाये बेठी हूँ
और तो कुछ नहीं बस
तोहे मन में समय बेठी हूँ
दीन हीन अधम पापी हूँ मैं
फिर तुमसे मिलन की आस
दिल में लगाये बेठी हूँ मैं
के किसी शाम श्याम आ जायेगा
उस शाम को जल नैनो का मेरे
और चरण श्याम के होंगे
आ जाना श्याम
जब तेरी मरजी ओ तब ही आना
मेरी न एक भी मानना
श्याम आ जाना

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