Monday 13 April, 2009

ठाकुर मेरे


ठाकुर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
तुम बिन प्यासी अखियाँ हमारी
तुम बिन पाए न चैन
बाट निहारे पथ पे हैं नजरे जमाये
जाने किधर से मेरे श्याम आ जाए
ठाकुर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
तुम बिन क्या जीना
तुम्हारी यादों बिन न मोहे जीना
हर पल हर क्षण रहिये
बसिए मन मैं हमारे
तेरी आँखों की मस्ती को हैं पीना मोहे
मुझे तेरी ही यादों मैं हैं जीना
आ जा श्याम मेरे
ठाकुर मेरे कब होंगे दर्शन तेरे
तेरे चरणों में इस सर को झुकाना हैं
मोहन तुमसे मिल बातें करनी हजार हैं
कब से दरस के लिए पथ निहारु
जाने कहा से श्याम आ जाए

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