Thursday 16 April, 2009
कहू मैं क्या ?
कहू मैं क्या कनु?
तेरा रूप हैं कैसा
कैसा हैं तू प्यारा
कितना हैं तू करुनानिधान
कितनी करुणा हैं बरसाता
अधम पतित जनों का
पल में तू करता हैं उद्धार
जो भी कोई पुकारें तोहे दिल से
करता हैं तू पूरण उसकी आस
कितना प्यारा कितना सुन्दर हैं तू
कितना अलोकिक तेरा श्रृंगार
एक क्षण देख ले जो कोई तोहे
तो हो जाए पागल भूल कर अपना आप
जो छवि मोहे तुने दिखाई
जो रूप माधुरी तुने मेरे मन में समाई
नन्हे कोमल कर में पकड़ मुरली
तुने अपने अधरों से लगाई
अपना अधरामृत पिला
प्यारी रसीली कोई तान सुनाई
जिसे सुन गोप गोपियाँ पागल हो
भागी दोडी आई
राधा भी श्याम मिलन को आई
श्याम श्यामा श्याम श्यामा हो गयी
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment