Wednesday 14 October, 2009

तुझ बिन मोहन



मोहन की मोहिनी अदाओं ने
आज क्या कातिलाना अंदाज अपनाया हैं
इसकी मंद मंद मुस्कनिया ने
देखो आज कितना तडपाया हैं
ऊपर से यह नयना मतवारे इसके
इन्होने भी अपना जादू बिखराया हैं
क्या कहें तोसे मोहन
तेरी यादों ने आज कितना सताया हैं
तेरी रसीली बांसुरी की तान
रंग रसिया जाने क्या क्या करती हैं कमाल
तेरे सिवा अब कोई दूजा दिखता नही
तेरे सिवा कोई और बात करने को मन करता ही नही
जिस बात में तेरी बात न हो
वो कोई बात मायने न रखती हैं
जिस सांस में तेरा नाम न हो
वो सांस कोई मायने न रखती हैं
मेरे मोहन तेरे सिवा कुछ भी नही
तू हैं तो सब कुछ हैं
वरना कुछ भी नही

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