Friday 9 October, 2009

मोहन!


मोहन मधुबन में मेको बुलाना
अपने सुन्दर दरस मोको कराना
चितचोर साँवरिया चित मेरा चुराना
ऐ श्यामसुंदर श्यामल शाम में
नीलवरण रूप छठा बिखराना
मोहे अपने प्यारे दरस दिखाना
अपना गुलाबी पटका दिखा
अपने नैनों से घायल कर जाना
ऐ श्यामसुंदर अपनी पग की पैझानिया की
रन झुन झंकार से मेरा रोम रोम झंकृत कर देना
ऐ श्यामसुंदर मोहे अपने सुन्दर दरस दिखाना
कहीं बादलो की ओंट से चले आना

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