Sunday 25 October, 2009
ओह!मेरे साँवरे गिरधारी,
ओह!मेरे साँवरे गिरधारी,
मैं तो तेरी मोहिनी सूरत पे वारी,
हूँ फ़िदा तुझपे मेरे बाँके बिहारी
अब तो कर ली हैं मैंने तो संग यारी
अब तो सुना दे वो तान ,
जिसपे नचाया था तुने यह संसार
आज भी रहा तू नचा हैं
अपनी बाँसुरिया की धुनों पर
करवा रहा तू ही सब काम हैं
माखनचोर मेरे चितचोर नटवर नन्द किशोर
आ जाओ अब न सताओ
धुन बंसुरिया की सुनाओ
रुनुक झुनुक पालो का संगीत सुनाओ
मीठी प्यारी तोतली बोली में
हमसे दो चार बातें कर जाओ
मेरे श्यामसुंदर आ जाओ
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment