Saturday 31 October, 2009
नयना रिम झिम रिम झिम काहे बरसे
नयना रिम झिम रिम झिम बरसे काहे
मोहन तुम बिन हम तरसे काहे
नयना!हाय नयना तरसे काहे
काहे लगी हैं तुमसे मिलन की आस ओह श्याम
काहे लगे गिरधारी होगा दर्शन तेरा
होगी पूरी मेरी हर आस
आएगा इक दिन
पूरा होगा जिस दिन मेरा हर ख्वाब
काहे लगे मोहे आज यह श्याम
याद तेरी काहे सताएं
काहे रुलाये पल पल खिजाये
काहे होकर के संग भी
होता न दर्शन तेरा ओह श्याम
मैं तो करती हूँ विनती एक मेरे श्याम
मेरे मन से न जाना
हर पल मेरे साथ बिताना
किसी पल भी न भूलू
दुःख हो या सुख हो
मेरे मन में समाना
चाहे लोग कहे पागल
तो परवाह न हो
मेरे मन से अपनी यादों को
एक पल के लिए भी न हटाना
मेरे श्याम ...........
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