Saturday 3 October, 2009

शरद पूनम की रात महारास !



शरद पूनम की आई हैं रात
सज लो सँवर लो कर लो श्रृंगार
मेरे मोहन ने बजाई हैं बंसी आज
आज आ गयी महारास की रात
महारास की रात मेरे श्याम की बात
आई रे मेरे श्याम से मिलन की रात
हो जाओ तैयार
आई हैं शरद पूनम की रात
मोहन का रूप अलोकिक नैनों में न समाये
कोटिन नयना भी मोहन का रूप न सहन कर पाए
रसीलो कान्हा मेरो प्यारो कान्हा मेरो
बड़ी सुन्दर चंद्रिम आभा छलकाए
करोडो चांदो,की चांदनी फीकी पड़ जाए
मेरो कान्हा कभी स्वर्णिम तो कभी चंद्रिम आभा छलकाए
कभी कभी तो रसीलो रसिया रंगीला बन
सब और धूम मचाये
मेरो कान्हा तो महारास रचाए
आई शरद पूनम की रात
सज लो सँवर लो कर लो श्रृंगार

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