Thursday 8 October, 2009

मोहन मदन मुरारी


मोहन मदन मुरारी सुन लीजो टेर हमारी
अखिया मेरी कब से हैं प्यासी
प्रेम रस की बूँद तो एक पिलाओ
हमे तुम प्रेम समुन्द्र में तो मिलाओ
प्यारे श्याम सुन्दर दर्शन तो दिखाओ
नैना भये बाँवरे कुछ तो तरस खाओ
देखो ब्रिज की गलियां भी करें करुण पुकार
सुन लीजो मनहर टेर इसकी इक बार
आ जाओ अब न देरी तुम लगाओ

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