ऐ श्यामसुंदर आ जाओ अब यूँ तो न तड़पाओ
तुम बिन प्यासे है यह नयना
दिन रैन तरसे तेरे दरस को
आवे न इनहे इक पल भी चैना
कौन घडी तुम मीलोगे शयाम
उस घडी की हर घडी बाट जो रहे हैं यह नैना
आ जाओ श्यामसुंदर
परेम माखन चुराओ
और परेम माखन अपने संग हमे भी खिलाओ
सुघर श्यामसुंदर आ जाओ
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