Friday 16 October, 2009
देखो मोहन
देखो मोहन सुन लो मेरी भी बात
अब न चलेगी तेरी कोई चाल
तेरी मीठी बातों में न अब आउंगी
चाहे बना लो जितने भी बहाने
अब उन बहानो से न बात बन पाएगी
चला लो तीर तुम नजरो के चाहे
घायल कर दो चाहे हृदय हमारा
फैला लो चाहे जादू मुस्कान का
या फिर बना दो मदहोश अब तुम
सुना कर वो रसीली मुरली की तान
अब नही गलने वाली यहा तुम्हारी दाल
पायल के घूंगरू छनकओ या फिर
कंगन के खनकार सुनाओ
माखन चुराओ या ग्वाल बाल सब ले आओ
अब न करो कोई बहाना
अब तो जिद्द छोड़ दो मेरे कान्हा
दे दो दर्शन,समा जाओ
इन नयनन में मेरे कान्हा
इस भिखारिन को इक बूँद
अपने अथाह प्रेम समुन्द्र की पिला दो
समझ उस कतरे को अपना
अपने ही प्रेम समुन्द्र में मिला लो
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