Wednesday 18 November, 2009

दरस प्यास लागी हैं मनमोहन



दरस प्यास लागी हैं मनमोहन
अब आ जाओ
दो बूँद अपने प्रेम समुन्द्र की
हमको भी तो पिला जाओ
नैनो का जल बन के धारा
बहता ही जाए तो क्या करू
रोके से भी न रुक पाए
तो तू ही बता मैं क्या करू
तेरे बिन कहीं चित लगता नही
तेरे नैनो के सिवा कहीं और
डूबने को मन करता ही नही
तो बता न मनमोहन बता
मैं क्या करू?कब आएगा तू
कब इन नैन बरसात की आस पुजाएगा तू
ऐ श्याम कब आएगा तू
अब और न कर देर
मोहे तू अपने हिये में समा ले
मोहे तू अपना बना ले

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