Monday 30 November, 2009

मुरलीवाले



मुरलीवाले सुन भी ले अब हमरी पुकार
करू मैं वन्दन बारम्बार
जाती तो हैं मेरी हर पुकार तेरे पास
फिर भी क्यों ना देने आता हैं तू
मोहे अपने दर्शन साकार
अपने प्रेम सागर की लहरों में
तू आ के कहीं हमे डुबो जा
हमे अपना बना ले कमलनयन
या कान्हा मेरा तू हो जा
मेरा इक तू सखा हैं श्याम
सखी अपनी को तू
दर्शन अपना देजा

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