Saturday 21 November, 2009

कान्हा रे ओह कान्हा



कान्हा रे ओह कान्हा सुन ले मेरी पुकार
मुझे बुला ले तू अपने पास
या फिर तू ही आजा न मेरे पास
तू इस कदर पास मेरे आना
के तेरे सिवा किसी और का ध्यान ही न रहे
मैं खो जाऊ तुझमें इस कदर
के दुनिया को कोई परवाह न रहे
मुझे अपनी शरण में ले लो नाथ
कृपा मुझपे कर दो मेरे नाथ

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