Monday 23 November, 2009

कहा हो छिपे तुम




कहा हो छिपे तुम?कहा हो छिपे
आन मिलो अब आन मिलो
तुम बिन न भाये कुछ
याद न आये कुछ
तेरी ही यादों ने ऐसा हैं मंजर बनाया
दिल-ओ-दिमाग पे छाए हो तुम्ही
जहा भी मैं देखू नजर आये हो तुम्ही
रातो को उठ उठ के तुझको निहारु
सो जाऊ तो सपनो में भी
मैं मोहन तुमको पुकारू
जागते हुए भी ख्याल तेरा सताएं
तेरी यादों में मोहन
तेरी यादो में मोहन
मैंने क्या नहीं कमाया
तेरी यादों ने ही मुझे
तेरा एहसास हर पल कराया
अब करो न देर गिरधारी
आ जाओ दरस दो मेरे नाथ
मेरे साँवरिया मेरे गिरधारी

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