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Sunday 22 November, 2009
कैसे तुझे मैं बताऊ
ऐ श्याम कैसे तुझे मैं बताऊ
के किस कदर तेरी याद सताती हैं
जिस और भी जाऊ
कहीं भी जाऊ,कुछ भी करू
तेरी बात साथ साथ ही आती हैं
कैसे तुम्हे बताऊ मैं श्याम
के किस कदर तुम्हारी यह याद हमे सताती हैं
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मुरलीवाले
मेरे प्यारे मोहन,नीलमणि
ऐ मेरे प्यारे श्यामसुंदर,
श्यामसुंदर की यादें
साँवरे
कहा हो छिपे तुम
कैसे तुझे मैं बताऊ
मीरा के मोहन
कान्हा रे ओह कान्हा
कुँवर कृष्ण कन्हाई
यह आँसू
दरस प्यास लागी हैं मनमोहन
ऐ श्याम पुकारू
कैसी लीला
सुन ले मेरी पुकार
हे श्यामसुंदर कृपा कीजे
बस तुम आ जाओ
मेरी श्यामसुन्दर से लगी यारी
बृजराज कन्हैया की अनोखी हैं अदा
मनमोहन प्यारे बंसी की धुन तो बजा दे
क्या लिखू क्या न लिखू
सितमघर,क्यों सितम हमपे ढा रहे हो
प्रेम प्याला
श्याम
बस उसी पल में .....
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