Wednesday 18 November, 2009

यह आँसू



अब तो यह आँसू जब भी हमे तनहा पाते हैं
तेरी यादो में ऐ कान्हा ,तड़प तड़प कर
अपनी हद से बाहर छलक आते हैं
इतने शीतल के सब शीतल ही शीतल कर जाते हैं
तेरी यादों में हमे इक पल के लिए ही शायद
शायद यह हमे तेरा दीवाना बना जाते हैं

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